Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Aalekh, lekh

हम और हमारी आजादी-जयश्री बिर्मी

हम और हमारी आजादी कंगना के बयान पर खूब चर्चे हो रहे हैं लेकिन उनके  बयान  के आगे सोचे तो …


हम और हमारी आजादी

हम और हमारी आजादी-जयश्री बिर्मी

कंगना के बयान पर खूब चर्चे हो रहे हैं लेकिन उनके  बयान  के आगे सोचे तो बहुत कुछ सोचने वाले प्रश्नों का सामना हो जायेगा।कुछ सालों तक सब जानने वाले लोग भी चुप रहें लेकिन तथ्यों से मुंह नहीं मोड़ा जायेगा ये भी सत्य हैं।मानते हैं बहुत लोगो ने देश के लिए तन ,मन धन से आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया, लेकिन कितने साल?१८५७ से शुरू हुआ संघर्ष १९४७ में सफल हुआ क्यों? भगत सिंह,राजगुरु ,चंद्रशेखर आजाद जैसे कईं युवा शहीद हुए,कइयों को जेल या कालापानी की सजाएं हुई जहां जुल्मों सितम की इंतहा थी।खाना,पीना रहने का इंतजाम सब कुछ जानवरों से भी बदतर था , यहां तक कि मल–मूत्र खाने पीने को मजबूर किया जाता था। अंग्रजों द्वारा किए गए जुल्मों सितम सह कर भी जो आजादी नहीं मिली वह १९४७  में कैसे मिल गई?

दूसरे विश्वयुद्ध  तक भारतीय खजानों से उनकी तिजोरियां भर चुकी थी।दूसरा जर्मनी की  ब्रिटन और फ्रांस को युद्ध में पड़कार ने ब्रिटन को तोड़ के रख दिया था।कई ऐतिहासिक निष्णंतो का ये मानना हैं।युद्ध के बाद ब्रिटन को अपने देश को आर्थिक,सामाजिक और मानसिक तरीकों से संभालना था।और आधी से भी ज्यादा दुनियां पर शासन करने वाले देश के पास मुलाजिमों को पगार देना भी मुश्किल हो गया था।ज्यादा ही आर्थिक तंगी हो गई थी।तो एक कारण था द्वितीय विश्व युद्ध।

 दूसरे कारण के बारे में हमारी कॉलेज के ट्रस्टी थे,पीरजादा ,जो बहुत विद्वान ,उनका कहना था कि आर्थिक रूप से कमजोर ब्रिटन के नागरिक भी मांग कर रहे थे कि उनका अपना देश लोकशाही में मानते हुए दूसरे देशों पर राज्य कैसे कर सकते हैं वे।उनके अपने देश में बहुत ही विरोध हो रहा था इसलिए उन्हें क्रमश: सभी देशों को आजाद करना पड़ा।अभी कॉलोनियों को आजाद कर दिया था कुछ ही कालचक्र के दरम्यान।

 अगर देखा जाएं तो १८४६ में पलेस्टाइन,१९४८ में म्यांमार,१९५२ में इजिप्त,१९५७ में  मलेशिया को आजाद कर अपनी राज्य लीला समेट ले थी।उसी समय में अफ्रीकी देशों को भी आजाद कर दिया था।ब्रिटन के झंडे के नीचे ६५ देश थे जिनको बाद में आजादी मिली लेकिन उन में से किसी ने भी उसका श्रेय किसी खास व्यक्ति को दिया हो ऐसा नहीं हैं।ये व्यक्तव्य नहीं आया कि अंग्रेजों के दांत खट्टे कर उन्हे देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया हो।वैसे भी जो सितम दूसरे स्वतंत्र सेनानियों ने सहे हैं वैसे इन नामाना कमाने वालों ने नहीं सहे थे।कोल्हू के बेल की जगह बांध कर तेल निकालने वाले स्वतंत्र सेनानियों की कमी नहीं हैं।जिन स्वतंत्र सैनानियों से ज्यादा खतरा था उनको उतनी ही कड़ी सज़ा दी गई थी। यहां तक की फांसी और गोलियां दागनी आम बात थी ।ब्रिटिश इतिहासविदों के अनुसार द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तो गांधीजी का महत्व कम हो गया था।वैसे भी उनकी सैना में ७० फीसदी भारतीय सैनिक थे अगर उनको लड़ने से रोका गया होता तो द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की हिस्सेदारी ही नहीं होती किंतु अहिंसावादी नेताओं ने उन्हें दूसरों के लिए शहीद होने भेज दिया था।तीन दशक तक अहिंसक लड़ाई का नतीजा ओर तीन दशक तक नहीं आता अगर दूसरा  विश्व युद्ध न होता।जिसकी सत्ता हैं उसी के हाथ में राज्य की डोर होने से इतिहास की जानकारी छुपा या बदल सकने की ताकत का दुरुपयोग करना सहज ही था।भारत के विभाजन के बाद सरहदें उन्हों ने तय की,सत्ता हस्तांतरण के कागज भी उन्हों ने बनाएं,नकशे  भी उन्ही ने बनाएं,ये क्या दर्शाता हैं?

१५ अगस्त को आजादी देना भी एक क्रूर मजाक ही था उनका,उस दिन ही जापान शरणागत  हुआ था,इसलिए २६ जनवरी की मांग को ठुकरा के १५ अगस्त तय हुई थी।

वैसे भी प्रसिद्ध बात तो यह हैं कि अंग्रेज सुभाषचंद्र बोस से चिंतित थे,उनकी फौज और हिलचाल दोनों ही उनकी चिंता का कारण थे।इसी वजह से जाते जाते भी,पता नहीं किस कारण वश ,सुभाष चंद्र बोस को जिंदा या मुर्दा उनके हवाले करने का करार कर गए।इससे बात साफ होती हैं कि अंग्रेज कितने आतंकित थे उनसे?

 वैसे कंगना की भाषा और विचार से सहमत हो या नहीं लेकिन सच्चाई से आंखे नहीं मूंद सकते हैं हम।

संकलन जयश्री बिरमी
अहमदाबाद


Related Posts

Sharad purinima by Jay shree birmi

October 22, 2021

 शरद पूर्णिमा अपने देश में ६ ऋतुएं हैं और हर ऋतु का अपना महत्व हैं।जिसमे बसंत का महत्व ज्यादा ही

Gujrat me 9 ratein by Jay shree birmi

October 22, 2021

 गुजरात में नौ रातें  हमारा देश ताहेवारों का देश हैं ,तहवार चाहे हो ,सामाजिक हो या धार्मिक हो हम देशवासी

Khud ko hi sarvshreshth na samjhe by Sudhir Srivastava

October 22, 2021

 खुद को ही सर्वश्रेष्ठ न समझें                         ✍ सुधीर

Kitne ravan jalayenge hum ? By Jayshree birmi

October 15, 2021

 कितने रावण जलाएंगे हम? कईं लोग रावण को महान बनाने की कोशिश करतें हैं,यह कह कर माता सीता के हरण

Aaj ka kramveer by Jay shree birmi

October 12, 2021

 आज का कर्मवीर जैसे हम बरसों से जानते हैं फिल्मी दुनियां में सब कुछ अजीब सा होता आ रहा हैं।सभी

Chalo bulava aaya hai by Sudhir Srivastava

October 12, 2021

 संस्मरणचलो बुलावा आया है       वर्ष 2013 की बात है ,उस समय मैं हरिद्वार में लियान ग्लोबल कं. में

Leave a Comment