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Chanda_rawat, poem

सुबह- चन्दा नीता रावत

। । सुबह ।। सुबह सवेरे जब रात ढले सूर्य की किरणें पृथ्वी पर आतीपृथ्वी के हरे चादर पर लालिमा …


। । सुबह ।।

सुबह- चन्दा नीता रावत
सुबह सवेरे जब रात ढले

सूर्य की किरणें पृथ्वी पर आती
पृथ्वी के हरे चादर पर लालिमा
बिखरें जाती है
नीले गंगन मे सतरंगी रूप दिखाती है
पक्षियों की मधुर वाणी
हृदय को मंत्र मुक्त कर जाती है

चमकीले ओस के मोती
पडतें,पौधो पर,
कलियां पुष्प बन जाती है
विश्व इत्र से महक जाती है
सृष्टि के बदलते रुप से
मन मोहित हो जाता है

सुबह सवेरे रात ढले जब 

सूर्य की किरणें पृथ्वी पर आती है
देख ये दृश्य,सृष्टि के अतरंगी रुप,से
मन मोहित हो जाता है
हृदय तृप्त हो जाता है

चन्दा रावत
औरंगाबाद वाराणसी


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