मैं
दर्द से तड़प रहा था —
मेरे दोनों पैर
कट चुके थे।
तभी
सूखी लकड़ी
चीख पड़ी —
इस भीषण बर्फीली ठण्ड में
इन मासूम कुत्तों को
बचा लो!
मैं यह देख
रह गया स्तब्ध
जबकि —
हरे-भरे पेड़ और पौधे
बिलकुल मौन खड़े थे।
–प्रतीक झा ‘ओप्पी’
शोध छात्र
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज
