शैलपुत्री
पर्वतराज हिमालय के,
घर बेटी एक आई।
बाएं हाथ में कमल लाई।
इसलिए वृषारूढ़ा कहलाई।
शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय के, घर बेटी एक आई। दाएं हाथ में त्रिशूल,बाएं हाथ में कमल लाई। वृषभ है वाहन इसका,इसलिए …
December 30, 2023
अंतिम इच्छा सुनो दिकु… बस एक अंतिम इच्छा हैतुम से मुलाकात करने कीमेरे जीवन में तुम्हारा जो महत्त्व है उसपर
December 30, 2023
साहित्य संगम संस्थान गुजरात इकाई का तृतीय वार्षिकोत्सव धूमधाम से हुआ संपन्न देश-विदेश की जानी-मानी पंजीकृत, साहित्य में अपनी अलग
December 30, 2023
कविता-सूखा पेड़ सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आश हैजैसे किसी प्यासे को पानी की प्यास हैदूसरे हरेभरे वृक्ष
November 26, 2023
कविता :तितली | kavita – Titli आसमान है रंग-बिरंगीरातों की झिलमिल-झिलमिलऔ तारों की चमक सुनहलीतितली के पंखों – सी उड़ी
November 14, 2023
कविता –औरत संघर्ष मेरी दोस्त! जब मैंने तुम्हें पढा़,तब मुझे एक जीवंत स्त्रीत्व का बीता हुआ कल स्मरण हो आया..राजनीतिक
November 13, 2023
कविता: दिवाली सुनो दिकु…अंतर्मन का अँधेरा मिट जाएगातुम्हारे आने से दिल का दीप जल जाएगा धरा होगी नर्म-सी शीतलइश्क में