Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

शिक्षा मानव बौद्धिक क्षमता का विकास करने की प्राथमिक सीढ़ी का प्रथम पहिया है

शिक्षा मानव बौद्धिक क्षमता का विकास करने की प्राथमिक सीढ़ी का प्रथम पहिया है शिक्षा और ज्ञान न्यायपूर्ण और प्रगतिशील …


शिक्षा मानव बौद्धिक क्षमता का विकास करने की प्राथमिक सीढ़ी का प्रथम पहिया है

शिक्षा मानव बौद्धिक क्षमता का विकास करने की प्राथमिक सीढ़ी का प्रथम पहिया है
शिक्षा और ज्ञान न्यायपूर्ण और प्रगतिशील समाज निर्माण की कुंजी है

ज्ञान को सीख़ने की इच्छा शक्ति और ज़िद्द नेंआसमान में उड़ने से लेकर सितारों के बीच चलायमान तक पहुंचा दिया है

समावेशी शिक्षा का न्यायपूर्ण और प्रगतिशील समाज़ का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका है – एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया – वैश्विक रूप से मानव बुद्धि का लोहा आज हर स्तर पर सशक्त और काबिले तारीफ़ माना जा रहा है,जिसने दशकों पूर्व किसी ज़माने में पैदल चलने वाले, प्राकृतिक पत्तों और चीजों से तन ढकने वाले और जंगलों में जीवन यापन कर खाद्य जुटाने वाले मानव को न सिर्फ केवल आज के डिजिटल दौर में पहुंचा दिया है, बल्कि मानवता को आग की खोज से लेकर खेती, आसमान में उड़ने से लेकर सितारों के बीच चलायमान तक पहुंचा दिया है और आगे चांद पर रहवासी,घर बनाकर मानव कालोनियां स्थापित करने की ओर कदम बढ़ा दिया है तथा पृथ्वी लोक पर सब कुछ आर्टिफिशियल बना के रख दिया है, वाह रे मानव बौद्धिक क्षमता का कमाल! यह सब शिक्षा और ज्ञान की इच्छाशक्ति और ज़िद्द ने पूर्ण किया है जिसके बारे में हम आज चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम शिक्षा और ज्ञान की करें तो यही मानव बौद्धिक क्षमता का विकास करने की प्राथमिक सीढ़ी का प्रथम पहिया है और यहीं से मानव बौद्धिक संपदा की नींव पड़ती है जो आगे चलकर तेज़ी से विकास की सीढ़ी पर चढ़कर अपनी कामयाबी के मंजिलों तक पहुंचाती है शिक्षा और ज्ञान को भारतीय संस्कृति, सभ्यता, में मां सरस्वती के अस्त्र के रूप में जाना जाता है। प्राय बच्चों को ध्यान होगा कि आज भी हर शुक्रवार को अधिकतम शिक्षण संस्थाओं में मां सरस्वती की वंदना, पूजा की जाती है ।
साथियों बात अगर हम समावेशी शिक्षा की करें तो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक रूप से वंचित वर्गों पर विशेष ध्यान देने के साथ ही समान और समावेशी शिक्षा पर आधारित है। मेरा ऐसा मानना है कि कोई भी मानव जन्म से ही बौद्धिक कौशलता लेकर नहीं आता बल्कि जन्म के बाद ही परिस्थितियों, माहौल, परिवार, आर्थिक, सामाजिक इत्यादि अनेक कड़ियों के आधार पर शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करता है, और बौद्धिक क्षमता का विकास करता है
कई बार ऐसा होता है कि गांव से आया गरीब बच्चा थोड़ी सी ही सुविधाओं के बलपर अपने सर्वश्रेष्ठ कौशलता में निख़ार लाकर ऐसी उपलब्धियां गिना देता हैं जो कोई सोच भी नहीं सकता, जबकि सर्वसाधन संपन्न मानव भी उतनी सफलता अर्जित नहीं कर पाता, इस भेदभाव को मिटाने समावेशी शिक्षा का बीज बोया गया है।
साथियों बात अगर हम समावेशी शिक्षा की करें तो वर्तमान स्थितियों, परिस्थितियों, डिजिटलाइजेशन, निजी स्कूलों की भरमार, कोचिंग क्लासेस का प्रचलन इत्यादि अनेक कारणों से क्षणिक खर्च ऐसे शिखर तक पहुंच चुका है जो सबके बस की बात नहीं है, उसके अतिरिक्त मानवीय और शारीरिक रूप से बाधित छात्रों के लिए शिक्षा वह ज्ञान ग्रहण करना भी किसी चुनौती से कम नहीं इन्हीं दिक्कतों परेशानियों को ध्यान में रखते हुए समावेशी शिक्षा सोच का उदय हुआ और इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से लागू करने की कोशिश की गई है।
साथियों बात अगर हम समावेशी शिक्षा व्यवस्था को समझने की करें तो, समावेशी शिक्षा एक ऐसी शिक्षा होती है जिसमें सामान्य बालक-बालिकाएं और मानसिक तथा शारीरिक रूप से बाधित बालक एवं बालिकाओं सभी एक साथ बैठकर एक ही विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते हैं। समावेशी शिक्षा सभी नागरिकों समानता के अधिकार की बात करता है और इसीलिए इसके सभी शैक्षिक कार्यक्रम इसी प्रकार के तय किए जाते हैं ऐसे संस्थानों में विशिष्ट बालकों के अनुरूप प्रभावशाली वातावरण तैयार किया जाता है और नियमों में कुछ छूट भी दी जाती है जिससे कि विशिष्ट बालकों को समावेशी शिक्षा के द्वारा सामान्य विद्यालयों में सामान्य बालकों के साथ कुछ अधिक सहायता प्रदान करने की कोशिश की जाती है।
समावेशी शिक्षा विशिष्ट बालकों को भी उनके व्यक्तिगत अधिकारों के साथ उसी रूप में स्वीकार करती हैं। समावेशी शिक्षा जहां बिना किसी भेदभाव के सामान्य तथा विशिष्ट बालकों को एक साथ शिक्षा दी जाती हैं जिससे उनके अंदर भेदभाव की भावना को मिटाया जाता है समावेशी शिक्षा भेदभाव को दूर करने छुआछूतताओं को दूर करने का एक सबसे अच्छा उदाहरण है।समावेशी शिक्षा विशिष्ट कार्यक्रमों द्वारा बालकों को शिक्षा प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका है बालक विशिष्ट कार्यक्रमों में भाग लेकर या उन्हें देखकर उनके अंदर अधिगम की शक्ति को बढ़ाया जाता है। इसलिए समावेशी शिक्षा में विशिष्ट कार्यक्रमों द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती है।
साथियों बात अगर हम केंद्रीय शिक्षा मंत्री के एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार, उन्होंने जोर देकर कहा कि यह हम में से प्रत्येक का कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार देने के लिए सबसे अच्छा काम करें, उन्हें उनकी पूरी क्षमता के उपयोग करने को लेकर मार्गदर्शन करें और इस तरह हमारे देश और दुनिया को बेहतर और अधिक समावेशी स्थान बनाएं।
उन्होंने कहा कि एक जानकार व्यक्ति अच्छा, न्यायपूर्ण और प्रगतिशील समाज का निर्माण करता है। उस ज्ञान को सीखने की जिद, लागू करने और आगे बढ़ाने की इच्छा ने मानवता को आग की खोज से लेकर खेती, आसमान में उड़ने से लेकर सितारों के बीच चलायमान तक पहुंचा दिया है। आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों पर विशेष ध्यान देने के साथ समान और समावेशी शिक्षा पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि एक समावेशी कक्षा सभी को असंख्य अनुभव और दृष्टिकोण से लाभान्वित करती है साथ ही देश के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों को समझती है। उन्होंने सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी स्कूलों से आग्रह किया कि वे दिखाएं कि हमारे अग्रणी स्कूल कितने समावेशी हैं और देश के प्रत्येक बच्चे को सर्वोत्तम शिक्षा मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए और क्या किया जा सकता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि शिक्षा और ज्ञान न्यायपूर्ण और प्रगतिशील समाज निर्माण की कुंजी है, ज्ञान को सीखने की इच्छा शक्ति और ज़िद्द ने आसमान में उड़ने से लेकर सितारों के बीच चलायमान तक पहुंचा दिया है तथा समावेशी शिक्षा का न्यायपूर्ण और प्रगतिशील समाज़ का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका है।

About author

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


Related Posts

janmdin jeevanyatra by Maynuddin Kohri

July 25, 2021

जन्मदिन —- जीवनयात्रा  आजादी के बाद के काले बादल छट जाने के बाद देश मे अमन चैन,गणतन्त्र भारत की सुखद

Guru govind dono khade kako lagu paye by jayshri birmi

July 23, 2021

गुरु गोविंद दोनो खड़े काको लागू पाए अपने देश में गुरु का स्थान भगवान से भी ऊंचा कहा गया है।

Naari gulami ka ek prateek ghunghat pratha by arvind kalma

July 23, 2021

नारी गुलामी का एक प्रतीक घूंघट प्रथा भारत में मुगलों के जमाने से घूँघट प्रथा का प्रदर्शन ज्यादा बढ़ा क्योंकि

OTT OVER THE TOP Entertainment ka naya platform

July 23, 2021

 ओटीटी (ओवर-द-टॉप):- एंटरटेनमेंट का नया प्लेटफॉर्म ओवर-द-टॉप (ओटीटी) मीडिया सेवा ऑनलाइन सामग्री प्रदाता है जो स्ट्रीमिंग मीडिया को एक स्टैंडअलोन

Lekh jeena jaruri ya jinda rahna by sudhir Srivastava

July 23, 2021

 लेखजीना जरूरी या जिंदा रहना        शीर्षक देखकर चौंक गये न आप भी, थोड़ा स्वाभाविक भी है और

Ram mandir Ayodhya | Ram mandir news

July 21, 2021

 Ram mandir Ayodhya | Ram mandir news  इस आर्टिकल मे हम जानेंगे विश्व प्रसिद्ध राम मंदिर से जुड़ी खबरों के

Leave a Comment