Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

शिक्षकों की व्यथा व उनका निराकरण

शिक्षकों की व्यथा व  उनका निराकरण  शिक्षक मानवीय व्यक्तित्व निर्माता हैं इसलिए अपनी शिक्षण क्षमताओं में विकास और छात्रों में …


शिक्षकों की व्यथा व  उनका निराकरण 

शिक्षकों की व्यथा व  उनका निराकरण

शिक्षक मानवीय व्यक्तित्व निर्माता हैं इसलिए अपनी शिक्षण क्षमताओं में विकास और छात्रों में मनोविज्ञान का ज्ञान सृजित करना समय की मांग है

शिक्षकों को शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण कौशल और विद्यार्थियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का ध्येय रखना ज़रूरी – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियां में नए-नए आयामों को चंद्रहान-3 और आदित्य 9-एल्1 के रूप में स्थापित किए हैं जिसमें भारत की प्रतिष्ठा में चार-चांद लग गए हैं परंतु इन उपलब्धियों को हम अगर गहराई से देखें तो इन आयामों तक पहुंचने वाली शक्ति, यानें इसका श्रेय सीधे-सीधे ज्ञान कला कौशलता और शिक्षा को ही है, क्योंकि बड़े बुजुर्गों का कहना है कि कोई भी मां के पेट से सीख कर नहीं आता दुनियां में आने के बाद मनुष्य प्राथमिक ज्ञान माता-पिता गुरु और शिक्षकों से ही सीख़ता है फिर आगे बढ़ते हुए वह विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा ग्रहण करता है और कुछलता कला के आधार पर वैज्ञानिक डॉक्टर वकील इंजीनियर का इत्यादि बहुत क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त कर देश सेवा करता है। इसलिए इसका मूल आधार शिक्षा है जो हमें हमारे शिक्षकों अध्यापकों से मिलती है जो मानवीय व्यक्तित्व के निर्माता हैं। कुछ दशक पूर्व की शैक्षणिक गुणवत्ता की तुलना अभी से की जाए तो मेरा मानना है कि हमें अभी की गुणवत्ता में कमी महसूस होगी। हालांकि प्रौद्योगिकी विकास उपकरणों में हम आगे जरुर बड़े हैं, परंतु उनके पंगु बनने की ओर माहौल बढ़ रहा है। आज भी बड़े बुजुर्गों द्वारा आंकड़े का हिसाब जिस तेजी ज़ुबानी लगाते हैं, इतनी तेजी से आधुनिक प्रोद्योगिकी से युक्त युवा नहीं लगा सकते।दूसरी और शिक्षक का मनोबल कम करने के लिए कुछ हटकर कार्य उनसे करवाए जाते हैं।शासकीय अशासकीय मैनेजमेंट द्वारा शिक्षण के अलावा अन्य कार्य बाध्यकारी रूप से उनसे करवाए जाते हैं जैसे जनगणना, चुनाव अपडेट, शासकीय योजनाओं के तहत अनेक छोटे-मोटे कार्यों का बोझ उन पर होता है जिसे हटाना समय की मांग है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, शिक्षक मानवीय व्यक्तित्व निर्माता है, इसलिए अपनी शिक्षक क्षमता में विकास और छात्रों में मनोविज्ञान का ज्ञान सृजित करना समय की मांग है।

साथियों बात अगर हम शिक्षक के श्रेष्ठ गुणों की करें तो, हमारे देश में प्राचीन अवधारणा रही है कि शिक्षक के गुण जन्मजात होते हैं, परन्तु आज जनसंख्या वृद्धि एवं शिक्षा प्रसार के साथ-साथ शिक्षकों की बढ़ती मांग को जन्मजात शिक्षकों द्वारा पूरा किया जाना सम्भव नहीं है। इसलिए प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षक तैयार करने की आवश्यकता होती है। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के द्वारा भावी शिक्षकों में ज्ञान, कौशल और व्यवहारमें परिमार्जन कर शिक्षोपयोगी गुणों को विकसित किया जाता है। कार्य क्षमता एवं कुशलता में वृद्धि की भावना बढ़ जाती है। यह सर्वविदित है कि शिक्षा सामाजिक पुनर्निर्माण का प्रभावी साधन है, जो काफी सीमा तक समाज की समस्याओं का समाधान करती है, परन्तु शायद आज यह अपने उद्देश्य में सफल नहीं है। आज भारतीय समाज में अनेक आर्थिक, सामाजिक सांस्कृतिक नैतिक समस्याएं व्याप्त है। भारत में विकास की अपेक्षाकृत धीमी गति है, जातिवाद क्षेत्रीयता साम्प्रदायिकता, हिंसा आतंकवाद, उपचार व्याप्त है, समाज में मूल्यों का निरन्तर विघटन हो रहा है। समाज की नैतिक अवनीति के प्रति शिक्षक की जाबावदेही अपर्याप्त है। अध्यापक में अधि लगा है। जिसका अर्थ है कि निश्चित लक्ष्य तक ले जाने वाला। अध्यापन के लिए सम्यक् ज्ञान एवं तथा उसके स्वरूप को निश्चित करने की जिम्मेदारी शिक्षक पर होती है। कोठारी आयोग का मानना है कि भारत के भविष्य का निर्माण उसकी कक्षाओं में हो रहा है। इन कक्षाओं का पूर्ण निर्देशन शिक्षक के हाथ में होता है। ऐसे छात्र का निर्माण करता है, जिसमें स्वतंत्र निर्णय, तर्क एवं चिन्तन की क्षमता हो और नैतिक एवं चारित्रिक दृष्टि से श्रेष्ठ हो। इनके अलावा उसमें अपने राष्ट्र की संस्कृति में योगदान देने के साथ-साथ उसकी रक्षा कर सकने की क्षमता भी हो।

साथियों बात अगर हम शिक्षण के अपेक्षाकृत कम होते स्तर की करें तो, दो चीजें जरूरी है। आज के शिक्षक का उद्देश्य स्थायी नौकरी प्राप्त करना है और नियत समय पर प्राप्त होने वाली सुविधाओं को प्राप्त करना है। आज पढ़ाना आलस समझा जाता है। शिक्षक सोचता है। उसे पढ़ाने की क्या जरूरत है, लड़के खुद ट्यूशन पढ़ते है। उन्हें अनेक सुविधाए मिली है, जिनका प्रयोग कर वे परीक्षा पास कर लेंगे हमारा काम बैठ लेना है। शिक्षकों में दक्षता, प्रतिबद्धता एवं कार्य सम्पादन में कमी आई है। अधिकांश शिक्षक शिक्षण कौशलों में दक्ष नहीं होते। विषय में विशेषज्ञता के अतिरिक्त उनमें पढ़ाने की और छात्र मनोविज्ञान समझने की कला भी होनी चाहिए। आज अध्यापक हर कार्य में छोटा रास्ता अपनाता है। उससे विद्यार्थी भी यही करते है।शिक्षण आज एक व्यवसाय बन गया है। परन्तु विद्यालय न तो कोई दुकान है और न ही फैक्ट्री जहाँ निर्जीव वस्तुओं का उत्पादन एवं लेन देन होता है। शिक्षा संस्थाओं में शिक्षक को प्रतिदिन अति संवेदनशील भावुक व प्रतिक्षण परिवर्तनशील बालकों के साथ अन्तः क्रिया करनी होती है।शिक्षण वह प्रक्रिया है जिसमें अधिक परिपक्व व्यक्ति (शिक्षक) बहुत से कम परिपक्व व्यक्तियों (छात्रों) के सम्पर्क में आता है तथा उनके व्यवहार में परिमार्जन व व्यक्तित्व निर्माण का दायित्व लेता है, अपने इस उत्तरदायित्व की पूर्ति के लिए अध्यापकों को अपनी शिक्षण क्षमता में विकास के साथ छात्रों के मनोविज्ञान का ज्ञान भी आवश्यक है।

साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के सुझावों की करें तो, अध्यापक शिक्षा की संकल्पना, शैक्षिक तथा सामाजिक व्यवस्था के साथ एकीकृत करनी होगी।
अध्यापक शिक्षा में राष्ट्रीय मूल्य एवं स्पष्ट रूप से परिलक्षित होने चाहिए।सैद्धान्तिक एवं व्यवहारिक घटक यथेष्ट रूप से समन्वित किया जाना चाहिए।जीवन पर्यन्त सतत् अधिगम पर बल अध्यापक शिक्षा की अनिवार्य शर्त बन जानी चाहिए। एनसीटीई एवं एनसीईआरटी के द्वारा सेवारत् शिक्षकों प्रशिक्षण का समय-समय पर आंकलन होना चाहिए। एनसीटीई के द्वारा मापदण्डों के अनुसार प्रशिक्षण संस्थान कार्य कर रहे है या नहीं, का समय-समय पर निरीक्षण करना चाहिए। शिक्षक को स्वयं भी अपनी अभिवृत्ति में और कार्य की प्रतिबद्धता में गुणात्मक में परिवर्तन लाना होगा। नैतिकता से अलग न होकर उसे अपनाना होगा। शिक्षण चयन प्रक्रिया में भी सुधार आवश्यक है। मात्र थोड़े समय में लिया गया साक्षात्कार शिक्षण योग्यता की परख नहीं कर सकता। उच्च स्तर पर सेवारत् एवं नवनियुक्त शिक्षकों के लिए एकेडमिक स्टाफ कॉलेज पुनश्चर्या पाठ्यक्रम और ओरियंटेशन पाठ्यक्रम इस दिशा में अच्छे प्रयास है। परन्तु इन पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है।
साथियों बात अगर हम अध्यापकों में व्यावसायिक प्रतिबद्धता की समग्रता दक्षता की असंतोषजनक स्थिति के कारणों की करें तो, एन.सी.टी.ई. के क्रियान्वयन कार्यक्रम के तहत इन बिन्दुओं में निम्न कारण बताये है,शैक्षणिक विज्ञान के अभिनव विकास के अनुरूप अध्यापक की सेवा पूर्ण शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट है।अध्यापक शिक्षा की अवमानक संस्थाओं में वृद्धि हुई है। तथा व्यवस्था में दुराचार व्याप्त है। सिद्धांत एवं व्यवहार में सामंजस्य के अनुरूप पाठ्यचर्या की जबावदेही पर्यास है।अध्यापक की व्यावसायिक प्रभावशीलता में विकास नहीं हो रहा है।अध्यापक प्रशिक्षण संस्थान शिक्षा कार्यक्रम पूर्ण हो जाने पर भी अध्यापक में व्यावसायिक दक्षता एवं प्रतिबद्धता विकसित नहीं कर पाये।अधिकांशतः सीखे गये शिक्षण कौशल तथा शिक्षण पद्धतियों का विद्यालय की वास्तविक परिस्थितियों में व्यावहारिक उपयोग यदा-कदा ही किया जाता है।अधिकांश विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव प्रभावी शिक्षण में बाधक है।विद्यालय में आये अनुदान का उपयोग भ्रष्ट्राचार के कारण पुस्तकालय समृद्धि और सुविधा वृद्धि में नहीं होता।शिक्षकों की नियुक्तिप्रदोन्नति में भी भ्रष्ट्राचार का बोलबाला है। शिक्षक नियुक्ति के विभिन्न स्तर के चयन बोर्ड इसका उदाहरण है।भौतिकता एवं बाजार वाद की अधिकता और नैतिकता की कमी भी इसका कारण है।
अतः अगर हम उपरोक्त पर्यावरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आओ शिक्षकों की व्यथा को समझकरउनका निराकरण कर शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करें। शिक्षक मानवीय व्यक्तित्व निर्माता हैं इसलिए अपनी शिक्षण क्षमताओं में विकास और छात्रों में मनोविज्ञान का ज्ञान सृजितकरना समय की मांग है।शिक्षकों को शिक्षा क्षेत्रमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षणकौशल औरविद्यार्थियों के जीवनमें सकारात्मक बदलाव लानेका ध्येय रखना ज़रूरी

About author

kishan bhavnani

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 

किशन सनमुख़दास भावनानी 

Related Posts

करवाचौथ: वैज्ञानिक विश्लेषण

October 31, 2023

करवाचौथ: वैज्ञानिक विश्लेषण कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ कहते हैं। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने

करवा चौथ में चाँद को छलनी से क्यों देखते हैं?

October 31, 2023

करवा चौथ में चाँद को छलनी से क्यों देखते हैं? हिन्दू धर्म में अनेक त्यौहार हैं, जिन्हें भक्त, पूरे श्रद्धाभाव

परिवार एक वाहन अनेक से बढ़ते प्रदूषण को रेखांकित करना जरूरी

October 31, 2023

परिवार एक वाहन अनेक से बढ़ते प्रदूषण को रेखांकित करना जरूरी प्रदूषण की समस्या से निपटने सार्वजनिक परिवहन सेवा को

सुहागनों का सबसे खास पर्व करवा चौथ

October 30, 2023

सुहागनों का सबसे खास पर्व करवा चौथ 1 नवंबर 2023 पर विशेष त्याग की मूरत नारी छाई – सुखी वैवाहिक

वाह रे प्याज ! अब आंसुओं के सरताज

October 28, 2023

वाह रे प्याज ! अब आंसुओं के सरताज किचन के बॉस प्याज ने दिखाया दम ! महंगाई का फोड़ा बम

दिवाली की सफाई और शापिंग में रखें स्वास्थ्य और बजट का ध्यान

October 28, 2023

दिवाली की सफाई और शापिंग में रखें स्वास्थ्य और बजट का ध्यान नवरात्र पूरी हुई और दशहरा भी चला गया,

PreviousNext

Leave a Comment