Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh, sneha Singh

व्यक्त होना सीखें : प्यार हो या बात | Learn to Express: Love or Talk

व्यक्त होना सीखें : प्यार हो या बात, व्यक्त नहीं होंगी तो मूर्ख मानी जाएंगी हम सुनते आए हैं कि …


व्यक्त होना सीखें : प्यार हो या बात, व्यक्त नहीं होंगी तो मूर्ख मानी जाएंगी

व्यक्त होना सीखें : प्यार हो या बात |  Learn to Express: Love or Talk
हम सुनते आए हैं कि न बोलने में नौ गुण। बात तो सही है। अमुक समय पर शब्दों को हजम कर जाना ही चतुराई है। पर जहां सचमुच बोलने की जरूरत है, वहां भी मौनव्रत धारण कर के बेठे रहने वाले को या तो मूर्ख माना जाएगा या फिर यह मान लिया जाएगा कि बेकार है। जिस तरह न बोलने में नौ गुण वाली कहावत प्रचलित है, उसी तरह जो बोले उसी की बेर बिकती है, यह कहावत भी खूब प्रचलित है। सामने वाले व्यक्ति के सामने कब व्यक्त हुआ जाए, जिसके पास इसका ज्ञान है, उस इंसान का मन भाग्य से ही कभी दुखी होगा। बात यह है कि कब नहीं बोलना है और कब व्यक्त होना है, इसके बीच की पतली रेखा को समझना बहुत जरूरी है। जिसके पास इसकी समझ होगी, वह तमाम जंग चुटकी बजा कर जीत लेगा।

एक सीधासादा उदाहरण है। आप का विवाह हुए एक साल से भी ज्यादा का समय हो गया है। आप अपनी सास के साथ मिल कर रसोई संभाल रही हैं, पर आप को लगता है कि आप सास के साथ किसी काम को जिस तरह कर रही हैं, आप उसी काम को किसी दूसरी तरह से और अच्छा कर सकती हैं। आप उस काम को जिस तरह करना चाहती हैं, वह आप के लिए आसान और सार्थक रहेगा। सास को यह बात शांति से बताएं। यहां अपनी बात न बता कर मन में यह सोच लेना कि सास से कहूंगी तो उन्हें बुरा लगेगा तो? बेकार में झगड़ा होगा तो? इस तरह की अनेक बातें मन ही मन सोच कर काम के प्रति असहजता अनुभव करने से अच्छा है अपनी बात कह देना। एक बार कह देने से मन का बोझ हलका हो जाएगा। सामने वाला भी समझ जाएगा कि आप को इस तरह नहीं, दूसरी तरह काम करने में मजा आता है। व्यक्त होने से किसी को बुरा लगेगा, यह सोच लेने के बजाय यह सोचना चाहिए कि अपने मन की बात कह देंगी तो सामने वाले व्यक्ति को आप को समझने में आसानी रहेगी। इसी तरह घर के झगड़े का भी है। दूसरी बात, घर में किसी तरह की कहासुनी हुई हो तो शब्दों को किस तरह काबू में रखा जाए, इस बात का भान होना चाहिए। तमाम लोग गुस्से में सामने वाला व्यक्ति अत्यंत दुखी हो जाए, इस हद तक खरीखोटी सुना देते हैं। ऐसा करने के बजाय शांति से समस्या को हल करना चाहिए। ऐसा करने से दोनों पक्षों का सम्मान बना रहेगा।

कहने का ढ़ंग

आप अपने मन की बात किस तरह कहती हैं, इसके ऊपर बहुत कुछ निर्भर होता है। अपने मन की बात कहनी है, पर किस भाषा में कहनी है, इसकी समझ होना बहुत जरूरी है। किसी को बुरा लग जाए, इस टोन में ऐसी भाषा में अपने मन की बात कहने के बजाय ऋजुता अपनाएं। जहां तक हो सके शांत और सरल भाषा में दिल की बात कहें। याद रखिए, कोई व्यक्ति आप से मोटी आवाज में बात कर रहा है तो आप भी उसी की तरह उबल कर बात करेंगी तो अंतत: बात का बतंगड़ ही बनेगा। पर अगर आप शांति से बात करेंगी तो सामने वाला व्यक्ति जोरजोर से बोलने में शर्मिद॔गी का अनुभव करेगा और वह धीरे-धीरे शांत हो कर बात करने लगेगा। इसी तरह आप सामने वाले व्यक्ति से किसी बात का बुरा लगा हो, तो उससे चिल्ला कर कहने के बजाय शांति से दिल की बात कहें। ऐसा करने से बिना मतलब के बवाल से बच सकती हैं। बेकार में शामिल ऊर्जा खर्च नहीं होगी, मानसिक संताप का अनुभव नहीं होगा और किसी का मन भी दुखी नहीं होगा।

 खुद को व्यक्त करें

स्त्री हो या पुरुष, अगर वह अपने मन की बात मन में रख कर घूमेगा तो उस व्यथा का निराकरण कभी नहीं होगा। आप कोई बात मन में रख कर घूमती रहेंगी और सोचें कि सामने वाला व्यक्ति आपकी व्यथा समझ लेगा तो ऐसा कभी नहीं होगा। याद रखिए, बिना मांगे मां भी खाना नहीं देती। इसलिए मन में जो हो, उसे कहना सीखें। कहेंगी तभी सामने वाला व्यक्ति समझेगा कि आप के अंदर क्या चल रहा है? आप कैसी परिस्थिति से गुजर रही हैं? प्यार हो या संताप, मन में क्या चल रहा है, यह बताना जरूरी है। अक्सर ऐसा होता है कि आप को अपने पार्टनर के प्रति बहुत लगाव होता है, पर यह बात आप उसे बता नहीं सकतीं तो वह कैसे जानेगा कि तुम सचमुच उससे प्यार करती हो। इसलिए बताना जरूरी है। इसी तरह तुम सच्ची हो और बिना कारण तुम्हारे साथ कुछ गलत हो रहा है, अन्याय हो रहा है तो उस समय भी बोलना जरूरी है। अगर नहीं बोलोगी तो लोग तुम्हें मूर्ख समझेंगे और सही होने पर भी तुम्हारे साथ बारबार अन्याय करेंगे। लोग समझ जाएंगे कि चाहे जो भी कहो, इसके साथ जो भी अन्याय करो, चाहे जैसा व्यवहार करो, यह बोलेगी तो है नहीं। जब लोग तुम्हारे लिए ऐसा समझ बैठेंगे, तब वे आप के साथ अधिक से अधिक उस तरह का व्यवहार करने लगेंगे। इसलिए जहां जरूरी हो, वहां बोलना जरूरी है। एक हद से अधिक किसी की हां में हां मिलाना भी ठीक नहीं है। हर जगह बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन जरूरी नहीं है, पर जहां जरूरत हो वहां करना चाहिए। कोई आप को मूर्ख, गैर समझदार या कमजोर मान बैठे, इस हद तक अव्यक्त रहना उचित नहीं है।

About author

Sneha Singh
स्नेहा सिंह

जेड-436ए, सेक्टर-12
नोएडा-201301 (उ.प्र.)


Related Posts

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी

May 26, 2024

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी अगर आप विजेता बनना चाहते हैं, तो विजेताओं के साथ रहें। अगर आप

विचारों की भी होती है मौत

विचारों की भी होती है मौत

May 26, 2024

प्रत्येक दिन दिमाग में 6,000 विचार आते हैं, इनमें 80% नकारात्मक होते हैं। इन नकारात्मक विचारों से दूर रहने के

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह

May 26, 2024

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह तीरंदाज एक बार में एक ही लक्ष्य पर निशाना साधता है। गोली चलाने वाला एक

जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, | jo log lakshya nhi banate

जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, | jo log lakshya nhi banate

May 26, 2024

 जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, वे लक्ष्य बनाने वाले लोगों के लिए काम करते हैं। यदि आप अपनी योजना

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य

May 26, 2024

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य सबसे पहले अपने जिंदगी के लक्ष्य को निर्धारित करें। अपने प्रत्येक

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही

May 26, 2024

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही पर्यावरण शब्द का चलन नया है, पर इसमें जुड़ी चिंता

Leave a Comment