यह व्यंग्यात्मक कविता शासकीय कर्मचारियों का शासन पद चेयर में अभूतपूर्व सम्मान हरे गुलाबी की बारिश जनता पर ठस्का समाज में तुत्वर शासन और जनता के जवाई की हैसियतपर आधारित है।
व्यंग्य कविता-क्योंकि मैं शासन का जँवाई राजा हूं
शासन का ठस्के वाला कर्मचारी हूं
जनता पर धौंस खुलेआम जमाता हूं
अपने पद का दुरुपयोग करता हूं
क्योंकि मैं शासन का जँवाई राजा हूं
गया जमाना जब जनतासेवक थाअब जमाई हूं
अच्छे अच्छों के काम लटकाता हूं
मिलीभगत से पद की सुरक्षा पाता हूं
क्योंकि मैं शासन का जँवाई राजा हूं
प्रक्रिया में डिस्क्रीएशनरी पावर रखता हूं
ठाठ बाट ऐश एयाशी से रहता हूं
जनता से बहुत जीहुजूरी मस्कापॉलिश पाता हूं
क्योंकि मैं शासन का जँवाई राजा हूं
किसी की इज्जत करतानहीं वल्कि करवाता हूं
सेठ लोगों से हरे गुलाबी जुगाड़ करता हूं
गरीबों मीडियम क्लास को चकरे खिलाता हूं
क्योंकि मैं शासन का जँवाई राजा हूं
ऊपर मलाई पहुंचाके जवाई का रुतबा पाता हूं
शासन को ससुराल और पद को माल सूतो यंत्र
और चेयर से रुतबे की लाठी चलाता हूं
क्योंकि मैं शासन का जमाई जँवाई राजा हूं





