Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

poem, Veerendra Jain

विश्व रक्तदाता दिवस 2023 | vishwa raktdata divas 2023

विश्व रक्तदाता दिवस 2023 रक्त ना हो अग़र तन में भला कैसे जिए कोई,है अचरज क्या रक्तवीरों को ईश्वर जो …


विश्व रक्तदाता दिवस 2023

विश्व रक्तदाता दिवस 2023 | vishwa raktdata divas 2023

रक्त ना हो अग़र तन में भला कैसे जिए कोई,
है अचरज क्या रक्तवीरों को ईश्वर जो कहे कोई !

लहू इनका ही पाकर के ज़िंदा इंसानियत अब तक,
आइए आगे पाकर रक्त आपका भी जिए कोई !!

चरम सीमा वात्सल्य की है जो करते रक्त का दान हैं
तन से ज्यादा जिनको प्यारी लगती दूजों की जान है,
अनजाने चेहरों की खातिर बूंद बूंद जो लुटा देते,
निस्वार्थ जो सेवा करते मानवता की सच्ची शान हैं !!

अनजानों की खातिर जो रक्त का दान करते हैं,
लहू ऱगों में बहता है, धड़कन बनके धड़कते हैं,
जीते हैं जब तक प्राणी वो उनका उपकार निभाते हैं,
ऐसे फरिश्तों का हम सब शत् शत् अभिवंदन करते हैं!!

About author 

Veerendra Jain, Nagpur
Veerendra Jain, Nagpur 
Veerendra Jain, Nagpur
Instagram id : v_jain13

Related Posts

kavita meri kismat me kya pta kya by ramesh

June 3, 2021

 मेरी किस्मत में क्या पता क्या मेरी किस्मत में क्या पता क्या फिर भी उनके इरादे भाप लिया चाहत के

मेरा गाँव कविता| mera gaon kavita written by ramdheraj

मेरा गाँव कविता| mera gaon kavita written by ramdheraj

June 3, 2021

यह मेरा गाँव कविता गांव के जीवन को बहुत अच्छी से दिखाती है । तथा गांव में बिताए गए पलों को याद दिलाती है । आज हम शहरो की तरफ भाग आए है लेकिन हमारा बचपन अभी भी उन गांवो में ही कैद है ।

kavita do kandhe mil jate hai by chanchal krishnavanshi

June 3, 2021

कविता -दो कन्धे तो मिल जाते हैं यहां मुझे दो कन्धे तो मिल जाते हैं यहां मुझे, रोने के बादमानता

कविता – पहले जैसा नहीं रहा गांव आज मेरा

June 2, 2021

कविता – पहले जैसा नहीं रहा गांव आज मेरा । पहले जैसा नहीं रहा गांव आज मेरा । देख कर

kavita agar chahat hai kabhi kisi ke dil me bus jaane ki

June 2, 2021

 कविता  अगर चाहत है कभी किसी के दिल में बस जाने की, कभी गलती मत करना उसको आजमाने की। अगर

gazal aaj kal shahar me ek fasana sare aam ho gya

June 2, 2021

ग़ज़ल  आजकल शहर में एक फ़साना सरे आम हो गया, जब से यार मेरा सियासी लोगो का गुलाम हो गया 

Leave a Comment