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विश्व के हालात -कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

 विश्व के हालात  विश्व आर्थिक मंच 2022 – भारत ने दुनिया को लोगों के लिए आशा से भरा हुआ बुके …


 विश्व के हालात 

विश्व के हालात -कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

विश्व आर्थिक मंच 2022 – भारत ने दुनिया को लोगों के लिए आशा से भरा हुआ बुके दिया है 

डब्ल्यूईएफ दाओस सम्मिट 2022 – आर्थिक सुधारों पर ज़ोर देकर निवेशकों को लुभाने का प्रयास सराहनीय –  एड किशन भावनानी 

गोंदिया –  वैश्विक स्तरपर लगातार दूसरे वर्ष भी कोरोना महामारी के वैश्विक घातक प्रहार के कारण राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मंचों द्वारा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय अनेकों वेबीनार सम्मेट, सम्मेलन वर्चुअल मोड में करने पर मज़बूर है क्योंकि कोरोना महामारी से लड़ाई के साथ साथ जीवनचक्र को चलाने के नए नए रास्तों, इनोवेशन, नवाचार, प्रौद्योगिकी, आर्थिक तंत्र का चक्र चलाना ज़रूरी है। बस!!! यही कारण है कि पिछले साल और इस साल भी कोरोना के पीक स्तर पर भी वर्चुअल मोड में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मंथन, चिंतन एक दूसरे का साथ, वैश्विक साथ, भाईचारे को गति देना ज़रूरी है। 

साथियों बात अगर हम स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच 2022 के डाओस एजेंडा शिखर सम्मेलन के, विश्व के हालात, विषय पर पांच दिवसीय सम्मेलन की करें तो यह दूसरा साल भी डिजिटल तरीके से हो रहा है उल्लेखनीय है कि, डब्लयूईएफ का दावोस एजेंडा सम्मेलन पिछले पचास साल से आयोजित हो रहा है।आम तौर पर इसका आयोजन स्विट्जरलैंड के रिसॉर्ट शहर दावोस में होता है। इस बार भी दावोस में ही आयोजन होने वाला था, लेकिन कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के सामने आने और दुनिया भर में नई लहर का प्रकोप फैल जाने के बाद ऑफलाइन आयोजन को टाल दिया गया। पिछले साल अगस्त में डब्लयूई  की एक बैठक सिंगापुर में होने वाली थी। कोरोना के प्रकोप के चलते उसे भी रद्द करना पड़ गया था। 

साथियों बात अगर हम दिनांक 17 जनवरी 2022 को पहले दिन चीन के बाद भारत के संबोधन की करें तो अनेक टीवी चैनलों पर पीएम के संबोधन को दिखाया गया प्रिंट मीडिया के अनुसार जिसमें उन्होंने,,विश्व के हालात,, विषय पर अपना संबोधन किया और कहा कि भारत कोरोनासे मुकाबले के साथ ही आर्थिक क्षेत्र में भी आवश्यक विज़न के रूप में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा हमने सही दिशा में सुधारों पर भी ध्यान केंद्रित किया। वैश्विक आर्थिक विशेषज्ञों ने भारत के निर्णयों की प्रशंसा की है और मुझे विश्वास है कि हम भारत से विश्व की आकांक्षाओं को पूरा करेंगे। केवल 1 वर्ष में भारत ने लगभग 160 करोड़ कोविड वैक्सीन की खुराक दी है। भारत जैसे लोकतंत्र ने पूरी दुनिया को उम्मीद का एक गुलदस्ता दिया है, इस बुके में शामिल हैं- लोकतंत्र के प्रति विश्वास, 21वीं सदी को सशक्त बनाने की तकनीक और हम भारतीयों की प्रतिभा और स्वभाव।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत द्वारा विकसित और अनुकूलित डिजिटल बुनियादी ढांचा राष्ट्र के लिए एक ताकत बन गया है। आरोग्य सेतु ऐप और कोविन पोर्टल एक्टिव मामलों पर नज़र रखने और टीकाकरण स्लॉट बुकिंग में मदद कर रहे हैं। आज भारत के पास विश्व का बड़ा, सुरक्षित और सफ़ल डिजिटल पेमेंट्स प्लेटफॉर्म है। सिर्फ पिछले महीने में भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस  के माध्यम से 4.4 बिलियन व्यहार हुए हैं। उन्होंने कहा वन अर्थ, वन हेल्थ’ हमारा विज़न हैं। कोविड के दौरान हमने देखा कि कैसे भारत ने वन अर्थ, वन हेल्थ के विजन को पूरा किया और कई देशों को दवाएं और टीके उपलब्ध कराए, जिससे कई लोगों की जान बच गई। आज भारत दुनिया के लिए फार्मेसी बन गया है. तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक!!! 

आज भारत, दुनिया में रिकॉर्ड संख्या में सॉफ्टवेयर इंजीनियर भेज रहा है। भारत में पचास लाख से ज्यादा सॉफ्टवेयर डेवलपर काम कर रहे हैं। भारत में वर्तमान में विश्व स्तर पर तीसरे सबसे ज्यादा यूनिकॉर्न हैं। हमें एक समान सोच रखनी होगी। आज के वैश्विक हालात को देखते हुए सवाल ये भी है कि क्या मल्टिलेटरल संगठन, नए वर्ल्ड ऑर्डर और नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं? 

इसलिए हर लोकतांत्रित देश का ये दायित्व है कि इन संस्थाओं में रिफॉर्म्स पर बल दे, ताकि इन्हें वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा सके।

उन्होंने कहा कि हम मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ के विचार के साथ आगे बढ़ रहे हैं। दूरसंचार, बीमा, रक्षा और एयरोस्पेस के अलावा भारत में अब सेमीकंडक्टर्स के क्षेत्र में भी अपार अवसर हैं। मिशन लाइफ को एक वैश्विक जन आंदोलन बनना चाहिए।  यह वैश्विक जलवायु परिवर्तन की कुंजी है। एक परिवार के रूप में हमने जिन चुनौतियों का सामना किया है, वे वैश्विक व्यवस्था में बदलाव के कारण भी बढ़ रही हैं।उनसे लड़ने के लिए प्रत्येक देश के लिए सामूहिक और समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है। आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, मुद्रास्फीति और जलवायु परिवर्तन इसी तरह के उदाहरण हैं।

आत्मनिर्भरता के रास्ते पर चलते हुए भारत का फोकस सिर्फ प्रोसेस को आसान करने पर ही नहीं है, बल्कि इन्वेस्टमेंट और प्रोडक्शन को इन्सेन्टीवाइज करने पर भी है. इसी अप्रोच के साथ आज 14 सेक्टर्स में 26 बिलियन डॉलर की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम्स लागू की गई हैं। आज भारत, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा दे रहा है, और सरकार के दखल को कम से कम कर रहा है। भारतीयों में इनोवेशन की नई तकनीक को एडोप करने की जो क्षमता है, एंटरप्रेसेउरशिप की जो स्पिरिट है, वो हमारे हर ग्लोबल पार्टनर को नई ऊर्जा दे सकती है, इसलिए भारत में इन्वेस्टमेंट का ये सबसे अच्छा समय है। 

उन्होंने कहा हमने सही दिशा में सुधारों पर भी ध्यान केंद्रित किया. वैश्विक आर्थिक विशेषज्ञों ने भारत के निर्णयों की प्रशंसा की है और मुझे विश्वास है कि हम भारत से विश्व की आकांक्षाओं को पूरा करेंगे। पहले दिन पीएम ने खास संबोधन में कहा कि भारत अभी कोरोना की नई लहर से जूझ रहा है। भारत आजादी के 75 साल का जश्न भी मना रहा है। हमने कोरोना के दौरान इकोनॉमिक रिफॉर्म पर भी फोकस किया है।हमारे पास कोरोना वैक्सीनेशन में 160 करोड़ डोज लगाने का आत्मविश्वास भी है जो केवल एक वर्ष में दी गई है। 

उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी के बहाने वैश्विक स्तर पर तालमेल और यूएन जैसे संस्थानों में सुधार की बात भी की. उन्होंने कहा, हमें ये मानना होगा कि हमारी लाइफस्टाइल भी क्लाइमेट के लिए बड़ी चुनौती है। थ्रो अवे कल्चर और कंज्यूमरिज्म ने क्लाइमेट चुनौती को और गंभीर बना दिया है, इन्हें देखते हुए सैकुलर इकॉनमी की तरफ बढ़ना बहुत ज़रूरी है। सप्लाई चेन की दिक्कतें, महंगाई और पर्यावरण का संकट इन्हीं का परिणाम है।एक और उदाहरण है। क्रयोटॉक्योरऐंसी का जिस तरह की टेक्नोलॉजी इससे जुड़ी है, उसमें किसी एक देश के द्वारा लिए गए फैसले, इसकी चुनौतियों से निपटने में अपर्याप्त होंगे। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विश्व आर्थिक मंच 2022 में भारत ने दुनिया को लोगों के लिए आशा से भरा एक बुका दिया है तथा आर्थिक सुधारों पर जोर देकर निवेशकों को लुभाने का प्रयास सराहनीय क़दम है।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


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