Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

विज़न 2047 कर्तव्यों की साधना

 विज़न 2047 कर्तव्यों की साधना  नए भारत के निर्माण में हर नागरिक को अधिकारों के साथ कर्तव्यों को रेखांकित करना …


 विज़न 2047 कर्तव्यों की साधना 

विज़न 2047 कर्तव्यों की साधना
नए भारत के निर्माण में हर नागरिक को अधिकारों के साथ कर्तव्यों को रेखांकित करना तात्कालिक ज़रूरी – एड किशन भावनानी 

गोंदिया –  वैश्विक रूप से हर देश में अपनी अपनी अलग -अलग विशेषताओं से उनकी अपनी अलग अलग पहचान बनती है बात अगर हम भारत देश की करें तो भारत की सदियों पुरानी एक अपनी चेतना, उर्जा का अपना ही एक प्रवाह है। यह ऊर्जा, चेतना भारत के आदि अनादि काल से ही उन महापुरुषों, गुरुओं, महान व्यक्तियों की प्रवाहित है जिनकी तपस्या से एक पर्वत पहाड़ भी जागृत होते हैं और मानवीय प्रेरणा का केंद्र बन जाते हैं, जो भगवान राम, कृष्ण से लेकर अनेक कालखंडों में अनेक महापुरुषों, सिद्ध पुरुषों व्यक्तियों की वजह से निरंतर बढ़ते और मार्गदर्शन पाते रहते हैं जो संकल्पों की परिणिति में बदलते रहते हैं। 

साथियों बात अगर हम भारतीयों की वर्तमान परिपेक्ष की करें तो अवधारणा या विज़न 2047 यह हमने संकल्पित किया है जो वर्तमान आजादी के अमृत महोत्सव में नए भारत के लिए उमड़ रहा है!! 

वह भी भारतीयों के हृदय में!!! जहां संकल्प के साथ में साधना जुड़ी है तब मानव मात्र के साथ हमारा मम भाव, हमारी सेवा भी जुड़ जाती है, समझिए एक नया सवेरा होने वाला है। सेवा और त्याग का यही अमृत भाव आज अमृत महोत्सव में नए भारत के लिए उमड़ रहा है और देशवासी आज विज़न 2047 की नींव रख रहे हैं जो करीब-करीब हर मंत्रालय स्तरपर रोज़ हम प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से विभिन्न हुनरहाट, प्रौद्योगिकी के नए-नए आयाम, कौशलता विकास, भिन्न संस्थाओं द्वारा किया जा रहे एमओक्यू इत्यादि अनेक कार्यशाला में शामिल है। परंतु एक बात हमें नहीं भूलना चाहिए कि केवल अधिकार के बल पर ही लक्ष्य को नहीं पाया जा सकता उसके लिए कर्तव्यों की साधना भी करनी होती है जिसे नए भारत के निर्माण के लिए हर नागरिक को रेखांकित करना तात्कालिक ज़रूरी है। 

साथियों बात अगर हम कर्तव्यों की साधना की करें तो हम दशकों से देखते आ रहे हैं कि भारत में अधिकारों के लिए आंदोलन, मोर्चे, हड़ताल, भारत बंद, लामबंदी, सत्याग्रह, इत्यादि अनेक तरीकों से अधिकार प्राप्त करने की प्रक्रिया होती है परंतु अपने कर्तव्यों की पालना के लिए ऐसे उग्र उत्सुकता देख देखने को नहीं मिली!!! 

भारत जैसे शांतिप्रिय, आध्यात्मिक,  धर्मनिरपेक्ष, संतनगरी, महापुरुषों की आध्यात्मिक धरती पर अब समय आ गया है कि हम अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों की साधना भी करें। 

साथियों बात अगर आम संविधान में अपने अधिकारों की करें तो वहां कर्तव्यों की भी उस्तुती है। इसीलिए हम अब नए भारत के निर्माण के लिए हर नागरिक को अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों की भी साधना करना तात्कालिक जरूरी है!! जिससे देश जिस गति से विकास के राह पर आगे बढ़ रहा है उसमें कई गुना तेजी से वृद्धि होगी। 

साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा दिनांक 20 ज़नवरी 2022 को एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी कहा कि, भारत ने अपना बहुत बड़ा समय इसलिए गंवाया है क्योंकि कर्तव्यों को प्राथमिकता नहीं दी गई। इन 75 वर्षों में कर्तव्यों को दूर रखने की वजह से जो खाई पैदा हुई है, सिर्फ अधिकार की बात करने की वजह से समाज में जो कमी आई है, उसकी भरपाई हम मिल करके आने वाले 25 वर्ष में, कर्तव्य की साधना करके पूरी कर सकते हैं।

उन्होंने कहा आप लोगों ने एक कहानी जरूर सुनी होगी। एक कमरे में अंधेरा था तो उस अंधेरे को हटाने के लिए लोग अपने -अपने तरीके से अलग-अलग काम कर रहे थे। कोई कुछ कर रहा था, कोई कुछ कर रहा था। लेकिन किसी समझदार ने जब एक छोटा सा दीया जला दिया, तो अंधकार तुरंत दूर हो गया। वैसी ही ताकत कर्तव्य की है। वैसी ही ताकत छोटे से प्रयास की भी है। हम सभी को,देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया जलाना है।

हम सभी मिलकर, देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे, तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा। भारत भूमि को प्यार करने वाला, इस भूमि को मां मानने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जो देश को नई ऊंचाई पर ना ले जाना चाहता हो, कोटि-कोटि लोगों के जीवन में खुशहाली ना लाना चाहता हो। इसके लिए हमें कर्तव्यों पर बल देना ही होगा।

अमृतकाल का ये समय, सोते हुए सपने देखने का नहीं बल्कि जागृत होकर अपने संकल्प पूरे करने का है। आने वाले 25 साल, परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं। सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, ये 25 वर्ष का कालखंड, उसे दोबारा प्राप्त करने का है। इसलिए आजादी के इस अमृत महोत्सव में हमारा ध्यान भविष्य पर ही केंद्रित होना चाहिए। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अधयन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विज़न 2047 के लिए कर्तव्यों की साधना तात्कालिक ज़रूरी है!!! तथा नए भारत के निर्माण में हर नागरिककों को अधिकारों के साथ कर्तव्यों को रेखांकित करना तात्कालिक ज़रूरी है। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, कानूनी लेखन, चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महा


Related Posts

AI में भी बना सकेंगे आप अपना कैरियर, जानिए कैसे

March 8, 2024

AI में भी बना सकेंगे आप अपना कैरियर, जानिए कैसे परिचय: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एक गतिशील और तेजी से बढ़ते

जब महिला होगी सशक्त, तब देश उन्नति में न लगेगा वक्त

March 8, 2024

जब महिला होगी सशक्त, तब देश उन्नति में न लगेगा वक्त आज के आधुनिक समय में महिला उत्थान एक विशेष

संतुलन अधिनियम: साझा जिम्मेदारियों के लिए साझेदारी को सशक्त बनाना”

March 8, 2024

“संतुलन अधिनियम: साझा जिम्मेदारियों के लिए साझेदारी को सशक्त बनाना” जिंदगी में सिर्फ बोझा ना उठाओ,स्वयं को थोड़ा समझाओ,एक दूसरे

बड़े काम का रेजोल्यूशन

December 31, 2023

बड़े काम का रेजोल्यूशन एक बार फिर रेजोल्यूशन बनाने का दिन आ ही गया, नए साल के साथ। बिहेवियर साइकोलॉजी

प्रभु श्री राम की प्राणप्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024

December 31, 2023

 नव वर्ष 2024-22 जनवरी 2024 को बजेगा भारत का आध्यात्मिक डंका  विश्व को नए वर्ष 2024 का नायाब तोहफा-प्रभु श्री

सेक्स में रूचि कम हो रही है तो सावधान हो जाएं

सेक्स में रूचि कम हो रही है तो सावधान हो जाएं

December 30, 2023

सेक्स में रूचि कम हो रही है तो सावधान हो जाएं ऐसी तमाम महिलाएं हैं, जिनकी समय के साथ सेक्स

Leave a Comment