Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

लघुकथा-जीवंत गजल | jeevant gazal

लघुकथा-जीवंत गजल हाथ में लिए गजल संध्या का आमंत्रण कार्ड पढ़ कर बगल में रखते हुए अनुज ने पत्नी से …


लघुकथा-जीवंत गजल

लघुकथा-जीवंत गजल | jeevant gazal

हाथ में लिए गजल संध्या का आमंत्रण कार्ड पढ़ कर बगल में रखते हुए अनुज ने पत्नी से कहा, “तुम्हें पता है, गजल सुनी नहीं, अनुभव की जाती है।”
श्वेता ने एक फिर वह आमंत्रण कार्ड अनुज के हाथ में रखते हुए कहा, “गजल न मुझे सुननी ही है और न अनुभव ही करनी है। मुझे तो बस तुम्हारे साथ चलना है। अब यह बताओ कि तुम चलोगे या नहीं?”
दोनों विवाह के सात साल पहले एक-दूसरे के प्यार में पड़े थे और तब से अब तक दोनों के बीच एक भी काॅमन हाॅबी या इच्छा नहीं रही थी, पर प्यार इतना अधिक था कि शिकायतों के बीच से रास्ता निकाल कर आगे बढ़ते रहे। दोनों को एक-दूसरे को समय देने में हमेशा परिस्थितियां और काम के प्रति प्राथमिकता बीच में आती रही। दोनों एक-दूसरे पर गुस्सा जरूर होते, पर प्यार की वेलिडिटी इतनी अधिक थी कि कुछ भी आड़े नहीं आता था।
पिछले एक साल से दोनों की ड्यूटी अलग-अलग शिफ्ट में थी यानी एक घर आता था तो दूसरा ड्यूटी पर जाता था। रोजाना घर के फ्रिज पर रखी चिट्ठी में लिखे जाने वाले मैसेज के नीचे बनाया जाने वाला दिल का निशान ही उनका प्यार था। केवल रविवार को ही दोनों एक साथ होते थे। अब इस परिस्थिति में सप्ताह भर बाद मिलने वाले रविवार को किसी गायक को सुनने में बिताना अनुज को बहुत मुश्किल लग रहा था। पर प्यार की एक अलिखित शर्त होती है कि कोई भी खुद की अपेक्षा सामने वाले व्यक्ति की इच्छा को समझ सकता है।
रविवार की शाम को दोनों जन खचाखच भरे हाल में जा कर बैठ गए। दो-तीन गजल गा कर माहौल बनाने की कोशिश कोई की गई। जिन्हें गजल का बहुत शौक था, उन लोगों के लिए तो कानों का जलसा शुरू हो गया था। पर अनुज के लिए सहन न हो, इस तरह का अनुभव था। दो-चार बार मोबाइल निकाल कर फेसबुक चेक करने का मन हुआ। पर वह बगल में बैठी पत्नी का मजा खराब नहीं करना चाहता था, इसलिए शांति से बैठा रहा। समझदार पत्नी को पता था कि वह उसी की वजह से यहां बैठा है। इसलिए धीरे से उसने उसके कान में कहा, “अगर तुम्हें मजा न आ रहा हो, तो बाहर जा कर घूम आओ।”
अनुज तो यही चाहता था। वह हाल से निकल कर बाहर गैलरी में आ गया। दिसंबर की ठंड में वह सिगरेट निकाल कर सुलगाने जा रहा था कि उसकी नजर किसी पर पड़ी। उसने मोबाइल निकाल कर पत्नी को मैसेज किया, ‘गजल देखनी हो तो बाहर आ जाओ।’
बाहर आ कर श्वेता ने सवालिया नजरों से अनुज की ओर देखा। अनुज ने सामने फुटपाथ पर इशारा किया। एक झोपड़ी के बाहर अलाव जल रहा था। अलाव के पास फटी गुदड़ी ओढ़े पति-पत्नी बैठे एक ही कटोरे में चाय पी रहे थे।
दोनों बिना कुछ कहे इस जीवंत गजल को देखते रहे।

About author 

वीरेन्द्र बहादुर सिंह जेड-436ए सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उ0प्र0) मो-8368681336

वीरेन्द्र बहादुर सिंह
जेड-436ए सेक्टर-12,
नोएडा-201301 (उ0प्र0)
मो-8368681336


Related Posts

तापमान भले शून्य हो पर सहनशक्ति शून्य नहीं होनी चाहिए

December 30, 2023

तापमान भले शून्य हो पर सहनशक्ति शून्य नहीं होनी चाहिए  समाज में जो भी दंपति, परिवार, नौकरी और धंधा टिका

शराब का विकल्प बनते कफ सीरप

December 30, 2023

शराब का विकल्प बनते कफ सीरप सामान्य रूप से खांसी-जुकाम के लिए उपयोग में लाया जाने वाला कफ सीरप लेख

कविता-सूखा पेड़ | sukha ped

December 30, 2023

कविता-सूखा पेड़ सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आश हैजैसे किसी प्यासे को पानी की प्यास हैदूसरे हरेभरे वृक्ष

मानवजाति के साथ एलियंस की लुकाछुपी कब बंद होगी

December 30, 2023

मानवजाति के साथ एलियंस की लुकाछुपी कब बंद होगी नवंबर महीने के तीसरे सप्ताह में मणिपुर के आकाश में यूएफओ

सांप के जहर का अरबों का व्यापार

December 30, 2023

सांप के जहर का अरबों का व्यापार देश की राजधानी दिल्ली में तरह-तरह के उल्टे-सीधे धंधे होते हैं। अपराध का

Story – mitrata | मित्रता

December 28, 2023

मित्रता  बारिशें रूक गई थी, नदियाँ फिर से सीमाबद्ध हो चली थी, कीचड़ भरे मार्गों का जल फिर से सूरज

Leave a Comment