Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ –   राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ 29-30 जुलाई 2023 दो दिवसीय …


राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ – 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ
 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ
29-30 जुलाई 2023 दो दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम का सफल आगाज़
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के 3 वर्ष – स्कूलों उच्च शिक्षा और कौशल विकास क्षेत्र में हर्ष

आगामी 25 वर्षों में एक ऊर्जावान नई पीढ़ी तैयार करने में एनएईपी-2020 की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना ज़रूरी – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर आदि अनादि काल से भारतीय बौद्धिक क्षमता का लोहा हर देश मानताहै जिसका उदाहरण हम विश्व की बड़ी कंपनियों के अनेक सीईओ भारतीय मूल के हैं। इसपर भी सोने पर सुहागा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के रूप में एक अनमोल दस्तावेज भारत को 3 वर्ष पूर्व मिला था जिसके उपलक्ष्य में दो दिवसीय तीसरी वर्षगांठ 29-30 जुलाई 2020 के रूप में भारत मंडपम में शिक्षा समागम और देश के अनेक स्कूलों, स्थानों पर शिद्दत के साथ मनाया गया जिसमें अनेक उपलब्धियों को गिनाया गया और एनईपी 2020 को तेजी से लागू करने की बात कही गई। दिल्ली के भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन माननीय पीएम ने किया जिसमें अनेक बातें कहीं चूंकि यह बातें पीएम ने कही है तो उसके सकारात्मक दूरगामी परिणाम महत्वपूर्ण होंगे।भारत मंडपम में एनईपी 2020 की तीसरी वर्षगांठ मनाई गई इसीलिए आज हम पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 3 वर्ष, स्कूलों उच्च शिक्षा और कौशल विकास क्षेत्रों में हर्ष।
साथियों बात अगर हम एनईपी 2020 की तीसरी वर्षगांठ को भारत ने मनाने की करें तो, 29 जुलाई को तीसरी वर्षगांठ मनाई गई। केंद्रीय विद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन मिया गया। तृतीय वर्षगांठ के मुकर पर केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य ने संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता की। नई शिक्षा नीति के उद्देश्य एवं उसकी विशेषता के बारे बताया। स्कूली शिक्षा पद्धति में नवाचार को बढ़ावा देने के वाली शिक्षा के बारे में जानकरी साझा किया।बाल वाटिका संचालन, प्राथमिक कक्षाओं में फंडामेंटल लिटरेसी, न्यूमरेसी, निपुण, खिलौना व कला आधारित शिक्षा बाल मनोविज्ञान, स्मार्ट क्लास का विकास, पीएम श्री ,विद्या प्रवेश, विद्यांजलि पोर्टल परख, नवभारत साक्षरता कार्यक्रम, कौशल विकास तकनीकीशिक्षा,इंटरप्रेन्योरशिप ,एक्सपीरियंशियल लर्निंग एवं सतत रूप से शिक्षकों के शैक्षणिक उन्नयन हेतु अंतर स्कूल प्रशिक्षण कार्यक्रम पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम में वन चाइल्ड वन प्लांट योजना के तहत बच्चों एवं शिक्षकों ने पौधे लगाए
साथियों बात अगर हम भारत मंडपम दिल्ली में एनईपी की तीसरी वर्षगांठ मनाने की करें तो, माननीय पीएम महोदय ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा., अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया पीएम श्री योजना के तहत फंड की पहली किस्त जारी की12 भारतीय भाषाओं में अनूदित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम पुस्तकों का विमोचन किया21वीं सदी का भारत जिन लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ रहा है, उन्हें अर्जित करने में हमारी शिक्षा प्रणाली की बहुत बड़ी भूमिका है एनईपी में पारंपरिक ज्ञान और भविष्य की प्रौद्योगिकियों को समान महत्व दिया गया है मातृभाषा में शिक्षा भारत में छात्रों के लिए न्याय के एक नए रूप की शुरुआत कर रही है। यह सामाजिक न्याय की दिशा में भी बहुत ही उल्‍लेखनीय कदम हैजब छात्र किसी भाषा में विश्वस्त होंगे, तो उनका कौशल और उनकी प्रतिभा बिना किसी बाधा के उभर कर सामने आएगी।हमें अमृत काल के अगले 25 वर्षों में एक ऊर्जावान नई पीढ़ी का निर्माण करना है, जो गुलामी की मानसिकता से मुक्त, नवोन्‍मेषण के लिए जिज्ञासु और कर्तव्य की भावना से ओतप्रोत होशिक्षा में समानता का अर्थ है कि कोई भी बच्चा स्थान, वर्ग या क्षेत्र के कारण शिक्षा से वंचित न हो5जी के युग में, पीएम श्री स्कूल आधुनिक शिक्षा के माध्यम होंगेआईआईटी परिसर जंजीबार और अबू धाबी में खोले गए। कई अन्य देश भी हमसे अपने देशों में आईआईटी परिसर खोलने का आग्रह कर रहे हैं। एनईपी के उद्घाटन के समय कवर किए जाने वाले विशाल कैनवास का स्‍मरण करते हुए, पीएम ने सभी हितधारकों के समर्पण और नई अवधारणाओं को अपनाने की इच्छा की सराहना की। उन्होंने कहा कि एनईपी में पारंपरिक ज्ञान और भविष्य की प्रौद्योगिकियों को समान महत्व दिया गया है। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा में नए पाठ्यक्रम, क्षेत्रीय भाषाओं में पुस्तकों, उच्च शिक्षा के लिए और देश में अनुसंधान इकोसिस्‍टम को सुदृढ़ बनाने के लिए शिक्षा की दुनिया के हितधारकों की कड़ी मेहनत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि छात्र अब समझते हैं कि 10+2 प्रणाली के स्थान पर अब 5+3+3+4 प्रणाली प्रचालन में है। पूरे देश में एकरूपता लाते हुए 3 साल की उम्र से शिक्षा आरंभ हो जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रिमंडल ने संसद में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक पेश करने को मंजूरी दे दी है। एनईपी के तहत राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा शीघ्र ही सामने आएगा। 3-8 साल के छात्रों के लिए रूपरेखा तैयार है पूरे देश में एक समान पाठ्यक्रम होगा और एनसीईआरटी इसके लिए नए पाठ्यक्रम की पुस्‍तकें तैयार कर रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि क्षेत्रीय भाषाओं में दी जा रही शिक्षा के परिणामस्वरूप 22 विभिन्न भाषाओं में कक्षा 3 से 12 के लिए लगभग 130 विभिन्न विषयों की नई पुस्तकें आ रही हैं। बीते वर्षों में जिस तेजी से भारत की औद्योगिक साख बढ़ी है, जिस तेजी से हमारे स्टार्टअप्स की धमक दुनिया में बढ़ी है, उसने हमारी शैक्षणिक संस्थानों का सम्मान भी विश्व भर में बढ़ाया है। तमाम ग्लोबल रैंकिंग्स में इंडियन इंस्टीट्यूट्स की संख्या बढ़ रही है, हमारी रैंकिंग में भी इजाफा हो रहा है। आज हमारे आईआईटी के दो-दो कैंपस जंजिबार और अबू धाबी में खुल रहे हैं। कई दूसरे देश भी अपने यहां हमसे आईआईटी कैंपस खोलने का आग्रह कर रहे हैं। दुनिया में इससे मांग बढ़ रही है। हमारे एजुकेशन इकोसिस्टम में आ रहे इन सकारात्मक बदलावों के कारण कई ग्लोबल यूनिवर्सिटीज़ भी भारत में अपने कैंपस खोलना चाहती हैं। ऑस्ट्रेलिया की दो यूनिवर्सिटीज गुजरात के गिफ्ट सिटी में अपने कैंपस खोलने वाली हैं। इन सफलताओं के बीच, हमें अपनी शिक्षण संस्थानों को लगातार मजबूत करना है, इन्हें फ्यूचर रेडी बनाने के लिए निरंतर मेहनत करनी है। हमें हमारे इंस्टीट्यूट्स, हमारी यूनिवर्सिटीज़, हमारे स्कूल्स और कॉलेजेज़ को इस रेवलौजेशन का केंद्र बनाना है। पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि सक्षम युवाओं का निर्माण एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण की सबसे बड़ी गारंटी है और माता-पिता और शिक्षक इसमें प्रमुख भूमिका निभाते हैं। उन्होंने शिक्षकों और अभिभावकों से छात्रों को आत्मविश्वासपूर्ण जिज्ञासा और कल्पना की उड़ानों के लिए तैयार करने की अपील की। उन्होंने कहा “हमें भविष्य पर नज़र रखनी होगी और भविष्यवादी मानसिकता के साथ सोचना होगा। हमें बच्चों को किताबों के दबाव से मुक्त करना होगा।प्रधानमंत्री ने इस जिम्मेदारी के बारे में बात की जो एक मजबूत भारत में बढ़ती वैश्विक जिज्ञासा हम पर डालती है। उन्होंने छात्रों को योग, आयुर्वेद, कला और साहित्य के महत्व से परिचित कराने की बात याद दिलाई। उन्होंने 2047 में भारत की ‘विकसित भारत’ की यात्रा में छात्रों की वर्तमान पीढ़ी के महत्व के बारे में शिक्षकों को याद दिलाते हुए निष्कर्ष निकाला।
साथियों बात अगर हम एनईपी 2020 को लांच करने की पृष्ठभूमि की करें तो, युवाओं को तैयार करने और उन्हें अमृत काल में देश का नेतृत्व करने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से एनईपी 2020 लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य उन्हें बुनियादी मानवीय मूल्यों पर आधारित रखते हुए भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है। अपने कार्यान्वयन के तीन वर्षों के दौरान इस नीति से स्कूल, उच्च और कौशल शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आया है।इसे दो दिवसीय कार्यक्रम में शिक्षाविदों, क्षेत्र विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, उद्योग प्रतिनिधियों, शिक्षकों और स्कूलों, उच्च शिक्षा और कौशल संस्थानों के छात्रों और अन्य लोगों को अपनी अंतर्दृष्टि, सफलता साझा करने और एनईपी 2020 को लागू करने में कहानियां और सर्वोत्तम अभ्यास और इसे और आगे ले जाने के लिए रणनीतियां तैयार करने के लिए एक मंच प्रदान किया। अखिल भारतीय शिक्षा समागम में सोलह सत्र शामिल होंगे, जिसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शासन तक पहुंच, न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूह के मुद्दे, राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण सहित विषयों पर चर्चा होगी।इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने पीएम श्री योजना के अंतर्गत फंड की पहली किस्त जारी की। ये स्कूल छात्रों का विकास इस तरह से करेंगे कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की परिकल्पना के अनुसार एक समतापूर्ण, समावेशी और बहुलवादी समाज के निर्माण में संलग्न, उत्पादक और योगदान देने वाले नागरिक बनें। पीएम ने 12 भारतीय भाषाओं में अनूदित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम पुस्तकों का भी विमोचन किया।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ – 29-30 जुलाई 2023 दो दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम का सफल आगाज़।राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के 3 वर्ष – स्कूलों उच्च शिक्षा और कौशल विकास क्षेत्र में हर्ष।आगामी 25 वर्षों में एक ऊर्जावान नई पीढ़ी तैयार करने में एईपी-2020 की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना ज़रूरी हैं।

About author

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 

किशन सनमुख़दास भावनानी 
 गोंदिया महाराष्ट्र

Related Posts

Langoor ke hath ustara by Jayshree birmi

September 4, 2021

लंगूर के हाथ उस्तरा मई महीने से अगस्त महीने तक अफगानिस्तान के लड़कों ने धमासान मचाया और अब सारे विदेशी

Bharat me sahityik, sanskriti, ved,upnishad ka Anmol khajana

September 4, 2021

 भारत प्राचीन काल से ही ज्ञान और बुद्धिमता का भंडार रहा है – विविध संस्कृति, समृद्धि, भाषाई और साहित्यिक विरासत

Bharat me laghu udyog ki labdhiyan by satya Prakash Singh

September 4, 2021

 भारत में लघु उद्योग की लब्धियाँ भारत में प्रत्येक वर्ष 30 अगस्त को राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस मनाने का प्रमुख

Jeevan banaye: sekhe shakhayen by sudhir Srivastava

September 4, 2021

 लेखजीवन बनाएं : सीखें सिखाएंं      ये हमारा सौभाग्य और ईश्वर की अनुकंपा ही है कि हमें मानव जीवन

Bharteey paramparagat lokvidhaon ko viluptta se bachana jaruri

August 25, 2021

भारतीय परंपरागत लोकविधाओंं, लोककथाओंं को विलुप्तता से बचाना जरूरी – यह हमारी संस्कृति की वाहक – हमारी भाषा की सूक्ष्मता,

Dukh aur parishram ka mahatv

August 25, 2021

दुख और परिश्रम का मानव जीवन में महत्व – दुख बिना हृदय निर्मल नहीं, परिश्रम बिना विकास नहीं कठोर परिश्रम

Leave a Comment