Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

यूनिफॉर्म सिविल कोड का आगाज़ | introduction of uniform civil code

यूनिफॉर्म सिविल कोड का आगाज़ – कंसल्टेशन प्रक्रिया शुरू यूनिफॉर्म सिविल कोड का आगाज़ | introduction of uniform civil code …


यूनिफॉर्म सिविल कोड का आगाज़ – कंसल्टेशन प्रक्रिया शुरू

यूनिफॉर्म सिविल कोड का आगाज़ | introduction of uniform civil code
यूनिफॉर्म सिविल कोड का आगाज़ | introduction of uniform civil code

लॉ कमीशन द्वारा मान्यता प्राप्त धार्मिक संस्थानों, आम नागरिकों के विचार , सुझाव दर्ज़ कराने 30 दिनों का समय दिया

यूसीसी विषय की प्रासंगिकता, महत्व, अदालती आदेशों, वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर सभी नागरिक अपने सुझाव विचार दर्ज़ कराएं – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर आदि अनादि काल से भारत एक विविधता में एकता वाला देश रहा है, जहां हजारों लाखों जातियां उपजातियां धर्म धार्मिक समुदायों का निवास रहा है जो आपसी प्रेम भाईचारे से रहते आए हैं और अपने अपने धर्म की मान्यताओं के अनुरूप पीढ़ियों से अपना जीवन व्यतीत करते आ रहे हैं परंतु कुछ दशकों से हम प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से देख सुन रहे हैं कि जाति धर्म मज़हब समुदाय की बातों के प्रचलन में वृद्धि हुई है स्वाभाविक ही है कि वैचारिकता में भी असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता इसी को आधार बनाकर लगभग सभी दलों पार्टियों ने अपने जनाधार की नीतियां रणनीतियां इसी को लेकर बनाई जाती हैपरिणामतः हाई कॉलोनाइजेशन, ध्रुवीकरण, सहिष्णुता इत्यादि शब्दों का प्रयोग बढ़ गया है। मानव समाज में धर्म, जात-पात का आधार पर बढ़ गया है और कानून, सुविधाएं, छूटों, बंधनों में अब धार्मिकता जातपात के आधार पर मुद्दे उत्पन्न होने शुरू हो गए हैं, इसीलिए ही शायद करीब 75 वर्ष पूर्व बनाए गए संविधान में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का प्रावधान किया गया था जिसे हम संविधान की दूरदर्शिता का अंदाज लगा सकते हैं। चूंकि दिनांक 14 जून 2023 को भारत के 22 वें विधि आयोग द्वारा यूसीसी को लागू करने के संबंध में कंसल्टेशन रिपोर्ट बनाने के लिए पंजीकृत धार्मिक संस्थाओं और आम जनता से सुझाव विचार दर्ज़ कराने का अनुरोध किया है ताकि इस कानून को लागू करने की ओर कदम बढ़ाए जा सके,सुझाव विचार दर्ज कराने की तारीख 13 जुलाई याने नोटिस के 30 दिनों के अंदर निर्धारित की गई है। हालांकि इसके पूर्व 2016 में भी इसी तरह का नोटिस निर्गमित हुआ था और 2018 में इनकी रिपोर्ट दी गई थी जिसमें इसे लागू करने को गैरजरूरी बताया गया था और कुछ दिशानिर्देश सुझाव जारी किए गए थे, परंतु अब 3 सालों से अधिक की लंबी गैप के बाद फिर सुझाव मांगे गए हैं। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के आधार पर इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, यूसीसी का आगाज़ – कंसल्टेशन प्रक्रिया शुरू।
साथियों बात अगर हम विधि आयोग द्वारा एक बार फिर यूसीसी कंसल्टेशन के लिए 14 जून 2023 को एक पुष्ठ का नोटिस जारी करने की करें तो, समान नागरिक संहिता का मुद्दा एक बार फिर गरमा रहा है इस मुद्दे पर लॉ कमिशन एक बार फिर कंसल्टेशन पेपर जारी करने जा रहा है, इसके लिए सार्नजनिक और धार्मिक संगठनों से राय मांगी गई है. आयोग ने बुधवार (14 जून) को एक बयान जारी कर कहा कि 22 वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के बारे में मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के विचारों को जानने के लिए फिर से निर्णय लिया है जो लोग रुचि रखते हैं और इच्छुक हैं वे अपनी राय दे सकते हैं। आयोग ने विचार प्रस्तुत करने के लिए 30 दिन का समय दिया है।कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस कीअध्यक्षता वाले 22वें लॉ कमीशन ने इच्छुक लोगों से अपने विचार अपने वेबसाइट या ईमेल पर देने के लिए कहा, उल्लेखनीय है कि 22वें विधि आयोग को हाल में तीन साल का कार्य विस्तार दिया गया है, इसने कानून एवं न्याय मंत्रालय की ओर से एक पत्र भेजे जाने के बाद समान नागरिक संहिता से जुड़े विषयों की पड़ताल शुरू कर दी है। भारत में विभिन्न धर्मों के बीच शादी, तलाक, गोद लिए जाने जैसे निजी मामलों को एक ही कानून के तहत लाने के लिए सरकार देश में यूनिफार्म सिविल कोड लाना चाहती है, लेकिन भारत धर्मनिरपेक्ष और विविधताओं से भरा एक देश है और इसीलिए जहां कुछ लोग इसके समर्थन में हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसका विरोध कर रहे हैं बता दें कि जरूरत पड़ने पर आयोग व्यक्तिगत सुनवाई या चर्चा के लिए किसी व्यक्ति या संगठन को बुला सकता है।
साथियों बात अगर हम विधि आयोग के 2018 में जारी किए गए कंसल्टेशन पेपर की करें तो, विधि आयोग ने एक सार्वजनिक नोटिस में कहा,शुरुआत में भारत के 21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर विषय की जांच की थी और 07.10.2016 की एक प्रश्नावली और 19.03.2018, 27.03.2018 और 10.04.2018 की सार्वजनिक अपील/नोटिस के साथ अपनी अपील के माध्यम से सभी हितधारकों के विचारों का अनुरोध किया था। इसके अनुसरण में, आयोग को भारी प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई थी। 21वें विधि आयोग ने 31.08.2018 को पारिवारिक कानून में सुधार पर परामर्श पत्र जारी किया था। चूंकि तीन साल से अधिक समय बीत चुका है। इस विषय की प्रासंगिकता और महत्व और साथ ही इस विषय पर विभिन्न न्यायालय के आदेशों को ध्यान में रखते हुए, उक्त परामर्श पत्र जारी करने के संबंध में, भारत के 22वें विधि आयोग ने इस विषय पर नए सिरे से विचार-विमर्श करना समीचीन समझा।तदनुसार, भारत के 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के बारे में बड़े पैमाने पर और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के विचारों और विचारों को जानने के लिए फिर से निर्णय लिया। 2018 में भारत के विधि आयोग ने ‘पारिवारिक कानून में सुधार’ पर एक परामर्श पत्र जारी किया, जिसमें यह कहा गया कि इस स्तर पर एक समान नागरिक संहिता का निर्माण न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय है। समान नागरिक संहिता लाने की तैयारी तेज हो गई है।उल्लेखनीय है कि लॉ कमिशन ने 7 अक्टूबर 2016 को लोगों के यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए लोगों को कमिशन ने तीन तलाक मुद्दे को छोड़कर बाकी मुद्दों पर जवाब मांगा था। इसके तहत 16 सवाल पूछे गए थे। लॉ कमिशन ने बहुविवाह, निकाह, हलाला आदि मामले में कोई सुझाव नहीं दिया और कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। नाजायज बच्चों को संपत्ति में अधिकार देने के लिए स्पेशल कानून बनाए जाने की सिफारिश की थी। पिता की संपत्ति में ये अधिकार देने के लिए कानून बनाने की बात की गई थी।
साथियों बात अगर हम यूसीसी को समझने की करें तोयूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है, भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो, यानी हर धर्म, जाति, लिंग के लिए एक जैसा कानून अगर सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होंगे। समान नागरिक संहिता लागू करना सत्ता पक्ष पार्टी के के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा रहा है। उन्होंने हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता का वादा किया था। उधर, उत्तराखंड जैसे राज्य अपनी समान संहिता तैयार करने की प्रक्रिया में हैं।तत्कालीन कानून मंत्री ने दिसंबर 2022 में राज्यसभा में लिखित जवाब में कहा था कि समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने के प्रयास में राज्यों को उत्तराधिकार, विवाह और तलाक जैसे मुद्दों को तय करने वाले व्यक्तिगत कानून बनाने का अधिकार दिया गया है।सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र ने साफ कहा था कि संविधान के चौथे भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्व का विस्तृत ब्यौरा है जिसके अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार कादायित्व है। अनुच्छेद 44 उत्तराधिकार, संपत्ति अधिकार, शादी, तलाक और बच्चे की कस्टडी के बारे में समान कानून की अवधारणा पर आधारित है।
अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का आगाज़ – कंसल्टेशन प्रक्रिया शुरू।लॉ कमीशन द्वारा मान्यता प्राप्त धार्मिक संस्थानों, आम नागरिकों के विचार सुझाव दर्ज़ कराने 30 दिनों का समय दिया।यूसीसी विषय की प्रासंगिकता, महत्व, अदालती आदेशों, वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर सभी नागरिक अपने सुझाव विचार दर्ज़ कराएं।

About author

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 
किशन सनमुख़दास भावनानी 
गोंदिया महाराष्ट्र

Related Posts

शरद पूर्णिमा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण

October 28, 2023

शरद पूर्णिमा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण हिंदू कैलेंडर में सभी व्रत त्यौहार चंद्रमा की कलाओं के अनुसार निर्धारित तिथियों पर मनाए

दशानन: एक वैचारिक अध्ययन | Dashanan: A Conceptual Study

October 23, 2023

दशानन: एक वैचारिक अध्ययन नवरात्रों के अवसर पर माता के पंडालों के दर्शन हेतु बाहर जाना होता था तो बाजार

बदलती रामलीला: आस्था में अश्लीलता का तड़का

October 23, 2023

बदलती रामलीला: आस्था में अश्लीलता का तड़का जब आस्था में अश्लीलता का तड़का लगा दिया जाता है तो वह न

कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत

October 22, 2023

कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत नवरात्रि का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। नौ दिनों

अंतरिक्ष की उड़ान भरने भारत का पहला ह्यूमन मिशन गगनयान

October 22, 2023

अंतरिक्ष की उड़ान – गगनयान ने बढ़ाया भारत का मान – भारत की मुट्ठी में होगा आसमान अंतरिक्ष की उड़ान

भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते

October 20, 2023

भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे

PreviousNext

Leave a Comment