Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Aalekh, lekh

युवाओं को भारत की प्राचीन परंपरा और संस्कृति से परिचित कराने की ज़रूरत

 युवाओं को भारत की प्राचीन परंपरा और संस्कृति से परिचित कराने की ज़रूरत – भारत की बहुलवादी संस्कृति में सामाजिक …


 युवाओं को भारत की प्राचीन परंपरा और संस्कृति से परिचित कराने की ज़रूरत – भारत की बहुलवादी संस्कृति में सामाजिक अलगाव से परे लोगों को एकजुट करने की शक्ति है 

bharteey sanskriti aur pracheen paramparayein by kisan gondiya

भारतीय संस्कृति और प्राचीन परंपराएं समूचे विश्व को आकर्षित करती है, लेकिन हम भारतीयों का ही अपनी संस्कृति और परंपराओं से दूर होना चिंतनीय – एड किशन भावनानी गोंदिया

 वर्तमान भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या युवा है हालांकि 2011 की जनगणना और वर्तमान स्थिति से लेकर 2030 तक के आंकलन का अगर हम अध्ययन करें तो हमें महसूस होगा कि बुजुर्गों के प्रतिशत में भी धीरे-धीरे वृद्धि होती जा रही है। साथियों बात अगर हम वर्तमान युवा पीढ़ी की करें तो हम पाएंगे के कुछ अपवादों को छोड़कर युवा पीढ़ी की आकांक्षाएं, सोच, जीवनशैली, रहन-सहन इत्यादि गतिविधियां पाश्चात्य रंग में रंगती हुई न ज़र आ रही है। जिसे हर वर्ग, हर समाज, हर राजनीतिक, सांस्कृतिक, हर सामाजिक, बौद्धिक वर्ग के बुद्धिजीवियों को इसपर तात्कालिक ध्यान देना होगा और युवाओं को भारत को प्राचीन परंपरा संस्कृति, जिसे धीरे-धीरे युवा पीढ़ी भूलते जा रही है, उन्हें इस क्षेत्र की ओर आकर्षित, प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है, क्योंकि भारत की बहुलवादी संस्कृति व परंपराओंमें सामाजिक अलगाव से परे लोगों को एकजुट करने की शक्ति है, जो आत्मनिर्भर भारत की एक सशक्त और बहुमूल्य नींव है। यदि हम अपनी संस्कृति,परंपराओं से आज के युवाओं को तात्कालिक तीव्रता से नहीं जोड़ पाए तो हमारी आने वाली पीढ़ियों के हम दोषी होंगे। क्योंकि यदि वर्तमान पीढ़ी ही अगर संस्कृति और परंपराओं को भूलेंगे तो आने वाली पीढ़ी तो देश को पूरा पाश्चात्य संस्कृति के रंग में रंग देगी ऐसा मेरा मानना है। साथियों बात अगर हम वर्तमान परिस्थितियों की करें तो, दिन प्रतिदिन हम पश्चात्य संस्कृति को अपनाते जा रहे हैं और हमारी संस्कृति सिर्फ पुस्तकों और कहानियों में ही कहीं गुम होती जा रही है। सबसे अहम है हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना। त्याग, सम्मान, संयम, सत्य, अहिंसा अध्यात्म ये सभी हमारी संस्कृति की पहचान रहे हैं। जहां हम कभी गर्व करते थे अपनी संस्कृति पर, वहीं आज का युवा वर्ग का मोह पश्चिमी संस्कृति की तरफ बढ़ता जा रहा है। रहन-सहन तो पूरीतरह बदल ही चुका है, अपने सिद्धान्तों और मूल्यों से भी दूरी बनानी शुरू कर दी है। साथियों बात अगर हम वर्तमान बढ़ते शहरीकरण, एकल परिवार, युवाओं में बदलाव, पढ़ाई के प्रति उदासीनता की करें तो, युवाओं में अपनी सभ्यता, संस्कृति और मान्यताओं से लगाव नहीं है। युवा वर्ग का गलत रास्तों पर जाना भी पश्चिमी सभ्यता के बढ़ते परिणाम का ही फ़ल है। भारतीय समाज और युवा वर्ग पर यदि पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव इसी प्रकार बढ़ता रहा, तो भारतीय संस्कृति खतरे में पड़ सकती है। साथ ही पढ़ाई के प्रति उदासीनता भी बच्चों को गलत राह पर ले जाती हैं। युवाओं में भटकाव के पीछे एकल परिवार भी महत्त्वपूर्ण कारक है। आज दुनिया भौतिकतावादी हो गई है और लोगों की जरूरतें बढ़ती जा रही हैं। इसलिए उनके अंदर तनाव और फ्रस्टेशन बढ़ता जाता हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को अपनी संस्कृति से भी अवगत कराएं, ताकि उनको सही दिशा मिल सके।साथियों बात अगर हम हमारी संस्कृति परंपराओं से भटकने के कारण ही करें तो युवाओं में इसका कारण उनके बदलते ट्रेंड, आज के युवाओं में शहरीकरण और विदेशों में जॉब करने की ललक, टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले पाश्चात्य संस्कृति से ओतप्रोत सीरियल, प्ले स्कूल से ही अंग्रेजी माध्यम पढ़ाने की माता-पिता की ललक, लॉजिंग बोर्डिंग में बच्चों को रखने का प्रचलन इत्यादि अनेक कारण हैं जो बच्चों युवाओं को भारतीय संस्कृति से दूर कर रहे हैं। साथियों बात अगरहम वर्तमान पारिवारिक माहौल की करें तो कुछ अपवादों को छोड़कर आज के डिजिटल युग में, दूरियां इतनी बढ़ी हैं कि नैतिक मूल्यों का पतन होने लगा है, मानवता कराहने लगी है। आपसी सौहार्द, प्रेम और भाईचारे के पर्व फीके पड़ते जा रहे हैं। युवाओं की सोच दिखावे वाली बनती जा रही है। हमें याद रखना होगा कि नैतिकता, अपनत्व और देशभक्ति जैसे मूल्यों ने ही भारतीय संस्कृति को बनाए रखने में योगदान दिया है। युवा वर्ग का भारतीय संस्कृति से दूर होना देश के लिए कदापि उचित नहीं हो सकता। इसलिए हम हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए आवश्यक कदम उठाए। साथियों बात अगर हम युवाओं को मार्गदर्शन देने की करें तो अब समय आ गया है कि तात्कालिक समय से युवाओं को भारत की प्राचीन परंपरा और सांस्कृतिक से परिचित कराएं, इसलिए जरूरी है कि आज के युवाओं को भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई प्रेरणादायक किताबों से रूबरू करवाया जाए, ताकि युवा पीढ़ी उसे भारतीय संस्कृति के महत्त्व का पता चल सके। तब उसे यह समझ में आएगा कि भारतीय संस्कृति पिछड़ी सोच पर आधारित नहीं है। हर बात का वैज्ञानिक कारण है। इसलिए ज़रूरी है कि आज के युवाओं को भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई प्रेरणादायक किताबों से रूबरू करवाया जाए, ताकि युवा पीढ़ी उसे भारतीय संस्कृति के महत्त्व का पता चल सके। तब उसे यह समझ में आएगा कि भारतीय संस्कृति पिछड़ी सोच पर आधारित नहीं है। हर बात का वैज्ञानिक कारण है। साथियों बात अगर हम 17 अक्टूबर 2021 को भारत के माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा एक कार्यक्रम को संबोधन करने की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी कहा, युवाओं को भारत की प्राचीन परम्‍परा और संस्कृति से परिचित होने और अनेकता में एकता के हमारे राष्ट्रीय मूल्य को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया।उन्होंने कहा कि समाज में विभिन्न सामाजिक अलगावों से परे भारत की बहुलवादी संस्कृति में लोगों को एकजुट करने की शक्ति है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि युवाओं को भारत की प्राचीन परंपरा और संस्कृति से परिचित कराने की ज़रूरत आन पड़ी है। क्योंकि भारत की बहुलवादी संस्कृति में सामाजिक अलगाव से परे लोगों को एकजुट करने की शक्ति है। 

-संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


Related Posts

Hindi divas par do shabd by vijay lakshmi Pandey

September 14, 2021

 हिन्दी दिवस पर दो शब्द…!!   14/09/2021           भाषा  विशेष  के  अर्थ में –हिंदुस्तान की भाषा 

Hindi divas 14 september lekh by Mamta Kushwaha

September 13, 2021

हिन्दी दिवस-१४ सितम्बर   जैसा की हम सभी जानते है हिन्दी दिवस प्रति वर्ष १४ सितम्बर को मनाया जाता हैं

maa ko chhod dhaye kyo lekh by jayshree birmi

September 13, 2021

 मां को छोड़ धाय क्यों? मातृ भाषा में व्यक्ति अभिव्यक्ति खुल के कर सकता हैं।जिस भाषा सुन बोलना सीखा वही

Hindi maathe ki bindi lekh by Satya Prakash

September 13, 2021

हिंदी माथे की बिंदी कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, साक्षर से लेकर निरीक्षर तक भारत का प्रत्येक व्यक्ति हिंदी को

Jeevan aur samay chalte rahenge aalekh by Sudhir Srivastava

September 12, 2021

 आलेख        जीवन और समय चलते रहेंगें              कहते हैं समय और जीवन

Badalta parivesh, paryavaran aur uska mahatav

September 9, 2021

बदलता परिवेश पर्यावरण एवं उसका महत्व हमारा परिवेश बढ़ती जनसंख्या और हो रहे विकास के कारण हमारे आसपास के परिवेश

Leave a Comment