Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

poem, Tamanna_Matlani

मेरे अपने ……. (Mere apne)

मेरे अपने ……. रिश्ते बंधे होते हैं, कच्चे धागे की डोर सेहमने तो संभाला बहुत, अपने रिश्तों कोपर रिश्तों की …


मेरे अपने …….

रिश्ते बंधे होते हैं, कच्चे धागे की डोर से
हमने तो संभाला बहुत, अपने रिश्तों को
पर रिश्तों की मर्यादा समझ ना सके
मेरे अपने…….

अपने तो बन गए अब मेरे सपने
सपने भी ना रहे अब मेरे अपने
अब तो कुछ नहीं है मेरे बस में
क्योंकि रिश्तों की मर्यादा समझ ना सके
मेरे अपने…….

दिखावा बनकर रह गए हैं मेरे रिश्ते
टूट गए हैं सब छन-छन करके
बेगाने से लगने लगे हैं मेरे अपने
क्योंकि रिश्तों की मर्यादा समझ ना सकेमेरे अपने……

कहते हैं रिश्तों की महक में
होता है एक एहसास अपनेपन में
ढूंढती ही रही इसे बेवजह अपने रिश्तो में
पर रिश्तों की मर्यादा समझ ना सके
मेरे अपने……

चलती ही रही मैं अकेली जिंदगी के सफर में
इस पड़ाव को पार करने की चाह में
जिंदगी भर जूझती-तड़पती रही मैं
पर रिश्तों की मर्यादा समझ ना सके
मेरे अपने…….

हालांकि लोग बिछड़ते तो हैं आपस में
पर ऐसा अलगाव, न चाहा था मैंने
नासूर बन गए हैं घाव इस दर्द में
क्योंकि रिश्तों की मर्यादा समझ ना सके
मेरे अपने……

मरने पर ना जाएगा कोई साथ में
फिर भी रहना चाहा अपनों की छांव में
बन गई बोझ मैं अपनों के ही बवंडर में
क्योंकि रिश्तों की मर्यादा समझ ना सके
मेरे अपने……..

उलझ कर रह गई मैं अपनों के ही जाल में
थी बहुत तमन्नाएं मुझे अपनों से जीवन में
तड़प-तड़प कर जी रही थी अपनी जिंदगी में
क्योंकि रिश्तों की मर्यादा समझ ना सके
मेरे अपने……..

जिंदगी से निराश रहकर क्या करूंगी मैं
आखिर कब तक, अपनों को जोड़ने का प्रयास करती रहूँगी मैं
कड़वाहट में मिठास कब तक घोलते रहूंगी मैं
क्योंकि रिश्तों की मर्यादा तो समझ ही ना सके
मेरे अपने…….

भगवान भी मेरा सारथी बनकर कह रहा है सुन ले
सह लिया तूने जो सहना था तुझे
बहुत हुआ सहना अर्जुन तू अब बन रे
क्योंकि रिश्तों की मर्यादा तो समझ न सके
तेरे अपने…..

खुलकर जीना सीख ले तमन्ना तू भी,
अपने सुलझे जवाबों से
सबको निरुत्तर करना सीख ले तू भी,
क्योंकि रिश्तो की मर्यादा तो
अब तक समझ न सके तेरे अपने…..

About author 

Tamanna matlani

तमन्ना मतलानी
गोंदिया(महाराष्ट्र)


Related Posts

Sapne by shri shiv narayan jauhari vimal

June 27, 2021

 सपने दो आँख चिपका दी गई हैं हरेक चहरे पर पढो दस्तावेज दुनिया की चित्रपट देखो और सुलझाओ पहेली दीन

Bharat varsh by arun kumar shukla

June 27, 2021

 शीर्षक- भारत वर्ष मस्तक दिव्य हिमालय जिसका, पांव धुले नितसागर इसका। हृदय भाग में बहती है नित , गंगा यमुना

karm hi Ishwar by kamal siwani bihar

June 27, 2021

                      कर्म ही ईश्वर   क्या ईश्वर  मिलता  है  हमको ,

kavita Sandeh by sudhir srivastav

June 27, 2021

 संदेह संदेह के बादल एक बार घिर आये, तो सच मानिए कि फिर कभी न छंट पाये,  मान लिया छंट

bihadon ki bandook by priya gaud

June 27, 2021

 “बीहड़ों की बंदूक” बीहड़ों में जब उठती हैं बंदूकें दागी जाती हैं गोलियां उन बंदूकों की चिंगारी के बल पर

Rajdaar dariya by priya gaud

June 27, 2021

 राज़दार दरिया दरिया  सबकी मुलाकातों की गवाह रहती है कुछ पूरी तो कुछ अधूरी किस्सों की राजदार रहती है आँखे

Leave a Comment