Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Jayshree_birmi, poem

मुस्कुराते चेहरे| muskurate chehre kavita

मुस्कुराते चेहरे हो खत्म दुनिया से दुःख की लहरेतब दिखेंगे हम मुस्कुराते हुए चेहरेजुल्म ओ सितम का दौर खत्म होप्यार …


मुस्कुराते चेहरे

मुस्कुराते चेहरे| muskurate chehre kavita

हो खत्म दुनिया से दुःख की लहरे
तब दिखेंगे हम मुस्कुराते हुए चेहरे
जुल्म ओ सितम का दौर खत्म हो
प्यार और अमन के सपनें रचे हो
लिखे सब प्रेम महोबबत की कहानी
न नफरत की बातें किसी की जुबानी
जब लिखेंगे हम सब प्यार के ही तराने
दुनिया में करते नफरत कीसी बहाने
बताओं कौन गाएगा उल्फत के फसाने
खत्म मत करो हसीं को इस जहां से
हमें ही करना है नष्ट जहां से नफरत
हमें बदलनी होगी सब की फितरत
नहीं उतर आयेगी कोई परी आसमां से
मिटाने नफरत,घृणा,द्वेष को जहां से

About author  

Jayshree birimi
जयश्री बिरमी
अहमदाबाद (गुजरात)


Related Posts

kavita-haiwaniyat by antima singh

June 23, 2021

 कविता-हैवानियत कमजोर जानकर किसी को क्युं सताते हैं लोग, मासूम दिलों पे पत्थरों की बौछार क्युं चलाते हैं लोग, कभी

kavita kal ki mahabharat aur aaj ki mahabharat by saurabh

June 23, 2021

“कल की महाभारत और आज की महाभारत” महाभारत के सभी पात्र, अब तो घर ही में है,घृतराष्ट्र, दुर्योधन, शकुनि, सब

kavita- aaj phir giraft me aaya darpan by anita sharma

June 22, 2021

आज फिर गिरफ्त में आया दर्पण, आज फिर गिरफ्त में आया दर्पण, आज फिर चेहरे का नकाब डहा। दिल में

kavya – gaon ki galiyan by sudhir shrivastav

June 22, 2021

गाँव की गलियां समयचक्र औरआधुनिकता की भेंटचढ़ गईं हमारे गाँव की गलियां,लगता ऐसे जैसे कुछ खो सा गया है,अपनापन गलियों

kavya alochak aur prasansahak by jitendra kabir

June 22, 2021

 आलोचक और प्रशंसक आलोचना का एक पहलू… अक्सर हम अपने आलोचकों से मन ही मन रहते हैं परेशान, मौका ना

kavita samanta ki tasveer by jitendra kabir

June 22, 2021

 समानता की तस्वीर एक नज़र… किसी दम्पत्ति की इकलौते बेटे के साथ तस्वीर पर, फिर एक नजर किसी दूसरे दम्पत्ती

Leave a Comment