Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh

मानवीय सन्दर्भों के सशक्त रचनाकार डॉ. सत्यवान सौरभ

मानवीय सन्दर्भों के सशक्त रचनाकार डॉ. सत्यवान सौरभ विभिन्न विषयों के साथ-साथ खास तौर पर सम्पादकीय और दोहे लिखने की …


मानवीय सन्दर्भों के सशक्त रचनाकार डॉ. सत्यवान सौरभ

मानवीय सन्दर्भों के सशक्त रचनाकार डॉ. सत्यवान सौरभ

विभिन्न विषयों के साथ-साथ खास तौर पर सम्पादकीय और दोहे लिखने की महारत के फलस्वरूप इन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया है। तितली है खामोश (दोहा संग्रह), कुदरत की पीर (निबंध संग्रह), यादें (ग़ज़ल संग्रह), परियों से संवाद (बाल काव्य संग्रह) और इश्यूज एंड पैन्स (अंग्रेजी निबंध संग्रह) डॉ. सौरभ की प्रमुख पुस्तकें हैं। इनके साथ-साथ सैंकड़ों पुस्तिकाओं और स्मारिकाओं का लेखन, संपादन एवं प्रकाशन कर सृजन सन्दर्भों को समृद्ध किया है। रचनाकार अपने परिवेश और संस्कार के साथ अर्जित अनुभवों से सृजन सन्दर्भों को विकसित ही नहीं करता वरन् उसे संरक्षित भी करता है। यह भाव और स्वभाव ही एक रचनाकार के सामाजिक सरोकारों को परिलक्षित करता है। इन्हीं सन्दर्भों को अपने भीतर जागृत करते हुए अपने रचनाकर्म में सतत् रूप से सक्रिय हैं हरियाणा के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और शैक्षिक नगरी और भिवानी-हिसार की धरा बड़वा गाँव के निवासी कवि, लेखक, स्वतंत्र पत्रकार और शिक्षाविद डॉ. सत्यवान सौरभ। इनका लेखन और जीवन लोगों को इस कद्र प्रेरित करते हैं कि हर कोई ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि विपरीत परिस्थितियों पर धैर्य से जीत हासिल की जा सकती है। सौरभ की उपलब्धियों पर उन्हें सैंकड़ों राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
–आर. के.फीचर्स

रचनाकार अपने परिवेश और संस्कार के साथ अर्जित अनुभवों से सृजन सन्दर्भों को विकसित ही नहीं करता वरन् उसे संरक्षित भी करता है। यह भाव और स्वभाव ही एक रचनाकार के सामाजिक सरोकारों को परिलक्षित करता है। इन्हीं सन्दर्भों को अपने भीतर जागृत करते हुए अपने रचनाकर्म में सतत् रूप से सक्रिय हैं हरियाणा के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और शैक्षिक नगरी और भिवानी-हिसार की धरा बड़वा गाँव के निवासी कवि, लेखक, स्वतंत्र पत्रकार और शिक्षाविद डॉ. सत्यवान सौरभ। स्कूली दिनों से ही इनके कला, संस्कृति और साहित्यिक विचारों, व्यवहार, कार्यशैली और लेखन के साथ कुशल आयोजन और प्रबंधन को देखने–समझने का अवसर मिला है। सामाजिक समरसता और समन्वय को समर्पित सौरभ अपने समभाव और दृष्टिकोण से अपने सृजन कर्म और व्यवहार के प्रति सजग और चेतन होकर निरन्तर सृजन यात्रा कर रहैं हैं। सरकारी सेवा काल में सभी वर्ग के सहकर्मियों को साथ लेकर चलने एवं तनाव मुक्त वातावरण की कार्य शैली विकसित की और सतत् रूप से इसे अपने व्यवहार में संरक्षित और पल्लवित रखा। इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति इनके कार्य- व्यवहार से प्रभावित रहा और आगे बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ।

अपने कार्य-व्यवहार से इन्होंने सभी वर्ग के व्यक्तियों की हर संभव मदद की, उनकी समस्या और पीड़ा में भागीदार बने और छोटे-बड़े सभी से पूरा आदर एवं स्नेह भाव रखते हुए अपने सहज स्वभावानुरूप अपने कार्य को समर्पित रहे। आपने जीवन में कर्म की प्रधानता को प्रमुख मानते हुए हमेशा कर्म को ही सच्ची पूजा माना। “मन चंगा तो कठौती में गंगा” और ” पूत कपूत तो क्यों धन संचय, पूत सपूत तो क्यों धन संचय” के वाक्यों को हमें जीवन का ध्येय माना। आप निरन्तर सृजनरत तो हैं ही, समाज के सभी क्षेत्रों के प्रतिभाशाली और विशेषज्ञ व्यक्तियों, महिलाओं, बच्चों इत्यादि पर लिखते समय उन्हें प्रोत्साहन देने और प्रेरित करने का भाव सदैव मन में रखते हैं। सदैव जिंदा दिल रहने की मुख्य वजह लेखन से प्राप्त ऊर्जा को मानने वाले डॉ. सौरभ नि:स्वार्थ भाव से लेखन को ही अपनी पूजा, धर्म और कर्म मानते हैं। स्कूली दिनों से ही लेखन के क्षेत्र में विभिन्न विषयों कला- संस्कृति, पुरातत्व, इतिहास, पर्यटन, सभी क्षेत्रों के विकास, , बाल विवाह , दहेज जैसी सामाजिक कुरुतियों के उन्मूलन, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, नशा मुक्ति, स्वच्छता, रक्तदान ,दिव्यांग कल्याण जैसे सामाजिक सरोकार और मातृभाषा हिंदी के विकास, लोकोत्सव, लोकतीर्थ, लोककलाएं, लोक देवी-देवता, लोकनृत्य, लोकगीत, लोक-चित्रांकन, आंचलिक मेले आदि विभिन्न विषयों पर हजारों आलेख, फीचर, रिपोर्ताज, सफलता की कहानियाँ, साक्षात्कार, बाल आलेख और बाल कहानियां, सरल एवं सुग्राहय भाषा शैली में निर्बाध दोहा लेखन कार्य करने वाले लेखकों तथा रचनाधर्मियों में देश भर के साहित्य एवं मीडिया जगत में एक सशक्त हस्ताक्षर हैं।

लेखन में भी संपादकीय लेखक के रूप में आपने विशिष्ठ पहचान कायम की है। सभी विधाओं पर आपका लेखन हरियाणा तक ही सीमित नहीं रह कर देश के संदर्भ में भी व्यापक स्वरूप लिए हैं। आपके आलेख और पुस्तकें तथ्यात्मक, सूचनात्मक और शोध परक होने से शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इनकी रचनाएं बड़ी संख्या में हज़ारों सरकारी एवं गैर सरकारी पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित हो रही हैं। इसी दौर के समाचार पत्रों में ने निरंतर आपकी रचनाओं को प्राथमिकता से प्रकाशित किया गया है। इस दौर में विभिन्न विषयों पर इनकी रचनाएं बहुतायत से प्रकाशित हुई हैं। यूएसए से प्रकाशित हिंदी-अंग्रेजी द्विभाषी साप्ताहिक ” हम हिदुस्तानी” में भी लंबे समय तक इनकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। देश के कई समाचार पत्रों में इनकी रचनाएं निरंतर प्रकाशित हो रही हैं। यही नहीं विभागीय और अन्य विभागों और संस्थाओं के पत्र-पत्रिकाओं का लेखन, संपादन और प्रकाशन भी करवाया और निजी स्तर पर पुस्तकें भी लिख कर प्रकाशित करवाई हैं । इसी समर्पण और लगन का परिणाम रहा कि आप देश भर में विख्यात लेखक के रूप में स्थापित हो गए। विभिन्न विषयों के साथ-साथ खास तौर पर सम्पादकीय और दोहे लिखने की वजह से ही इन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया है।

तितली है खामोश (दोहा संग्रह), कुदरत की पीर (निबंध संग्रह), यादें (ग़ज़ल संग्रह), परियों से संवाद (बाल काव्य संग्रह) और इश्यूज एंड पैन्स (अंग्रेजी निबंध संग्रह) डॉ सौरभ की प्रमुख पुस्तकें हैं। इनके साथ-साथ सैंकड़ों पुस्तिकाओं और स्मारिकाओं का लेखन, संपादन एवं प्रकाशन कर सृजन सन्दर्भों को समृद्ध किया है। इनका लेखन और जीवन लोगों को इस कद्र प्रेरित करते हैं कि हर कोई ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि विपरीत परिस्थितियों पर धैर्य से जीत हासिल की जा सकती है। सौरभ की उपलब्धियों पर उन्हें सैंकड़ों राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। इंटरनेशनल ब्रिटिश अकादमी और इंटरनेशनल फॉरम ऑफ पीस अकादमी तथा वर्ल्ड पीस फेडरेशन, बांग्लादेश एवं फिलीपींस द्वारा दिनांक 19 मार्च, 2022 को यूनिवर्सिटी एंड म्यूजियम ऑफ़ द रिसर्च एंड विजडम, ढाका द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल प्रोग्राम में और विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, बिहार द्वारा गाँव बड़वा, सिवानी (भिवानी) के युवा लेखक सत्यवान ‘सौरभ’ को उनकी शैक्षणिक, साहित्यिक, सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यों मे अतुलनीय अनवरत योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। सौरभ, ब्रिटेन, बांग्लादेश व फिलीपींस देश द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित होने वाले हरियाणा के प्रथम व्यक्ति हैं जो कि हरियाणा सहित सम्पूर्ण भारत के लिए विशेष सम्मान की बात है।

ऐसे समभाव और विचारशील लेखक डॉ. सत्यवान सौरभ का जन्म हरियाणा के भिवानी के गाँव बड़वा में 03 मार्च 1989 को पिता श्री रामकुमार रिछपाल गैदर माता कौशल्या देवी के परिवार में सबसे बड़े पुत्र के रूप में हुआ। आप चार भाई बहिन हैं। आपका विवाह प्रियंका सौरभ से 2016 में सम्पन्न हुआ। आपके प्रारंभिक जीवन का परिवेश कभी भी उत्साहवर्धक नहीं रहा, परिस्थितियां हमेशा विषम बनी रही। जीवन में उत्साह के परिवेश का उजास आपको जन्म के 22 साल बाद प्राप्त होने आरम्भ हुआ जब आपने सरकारी सेवा में प्रवेश किया और विभागीय कार्य करते हुए 2019 में राजनितिक विज्ञान विषय से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की तथा पीएच. डी. के लिए पंजीकरण करवाया। अन्ततः यही कि अपने आप को सृजनात्मकता में लीन करने वाले डॉ. सत्यवान सौरभ ऐसे विचारशील लेखक हैं जो समाजिक और सांस्कृतिक सन्दर्भों को सतत् रूप से संस्कारित, पल्लवित और संरक्षित रखने की दिशा में निरन्तर प्रयासरत हैं।

About authors

–आर.के.फीचर्स
333 – बी.आर. के. पुरम, सेक्टर बी,
कोटा- 324010 (राजस्थान)


Related Posts

शरद पूर्णिमा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण

October 28, 2023

शरद पूर्णिमा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण हिंदू कैलेंडर में सभी व्रत त्यौहार चंद्रमा की कलाओं के अनुसार निर्धारित तिथियों पर मनाए

दशानन: एक वैचारिक अध्ययन | Dashanan: A Conceptual Study

October 23, 2023

दशानन: एक वैचारिक अध्ययन नवरात्रों के अवसर पर माता के पंडालों के दर्शन हेतु बाहर जाना होता था तो बाजार

बदलती रामलीला: आस्था में अश्लीलता का तड़का

October 23, 2023

बदलती रामलीला: आस्था में अश्लीलता का तड़का जब आस्था में अश्लीलता का तड़का लगा दिया जाता है तो वह न

कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत

October 22, 2023

कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत नवरात्रि का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। नौ दिनों

अंतरिक्ष की उड़ान भरने भारत का पहला ह्यूमन मिशन गगनयान

October 22, 2023

अंतरिक्ष की उड़ान – गगनयान ने बढ़ाया भारत का मान – भारत की मुट्ठी में होगा आसमान अंतरिक्ष की उड़ान

भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते

October 20, 2023

भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे

PreviousNext

Leave a Comment