Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

poem

माँ का समर्पण- अनीता शर्मा

माँ का समर्पण माँ का समर्पण उसे निभाती एक स्त्री । माँ शब्द अपने में सशक्त,सबको माफ कर चुप रहती। …


माँ का समर्पण

माँ का समर्पण- अनीता शर्मा
माँ का समर्पण

उसे निभाती एक स्त्री ।

माँ शब्द अपने में सशक्त,
सबको माफ कर चुप रहती।
सारा दिन दायित्व निभाती,
ताने-बाते सब सह जाती ।
अपने बच्चों के लिए समर्पित,
दुखी-भूखा देख तड़पती ।

बोझा ढोती, मेहनत करती,
बच्चों का हर सुख चाहती ।

कष्ट झेलती,उन्हें दुलारती,
स्नेहिल ममतामयी हृदयी माँ।

हर पल घर का ध्यान रखती,
अपने से पहले बच्चों को रखती।

बच्चों को ठोकर लग जाती,
आँसू माँ की आँखो में भर आते।

हर मुश्किल में सशक्त खड़ी हो,
हल खोजती मेहनत करती।

अनिता शर्मा झाँसी
मौलिक रचना


Related Posts

Peele Peele phoolon me ab jakar gungunana hai

February 8, 2021

 ग़ज़ल पीले पीले फूलों में अब जाकर गुनगुनाना हैरोने वाले को हंसाना है सोने वाले को जगाना है समय के

Zindagi me mere aana tera

February 6, 2021

 ग़ज़ल  ज़िन्दगी में मेरे आना तेरा प्यार हर पल मेरा, निभाना तेरा भूल जाऊं मैं कैसे तुझको सनम प्यार गंगा

Ishq me ankho se ashq ka behna jaruri

January 4, 2021

 Ishq me ankho se ashq ka behna jaruri यह गीत  ,कवि C. P. गौतम द्वारा रचित है , कवि C.

Bhatakte naav ka kinara ho tum – kavya

January 4, 2021

Bhatakte naav ka kinara ho tum – kavya यह काव्य ,कवि C. P. गौतम द्वारा रचित है , कवि C.

Beete lamho me jeena, zahar jaise peena

November 20, 2020

गीत तुम जहाँ भी रहोग़म का साया न होप्यार तुमको मिलेदर्द आया न होइस दीवानें की खुशियाँतुम्हें ही मिलेमाफ करना

swatantra prem aur partantra prem-kavya

November 15, 2020

swatantra prem aur partantra prem-kavya स्वतंत्र प्रेम और परतंत्र प्रेम -काव्य   जब प्रेम स्वतंत्र बहता है,बहती  है मोहक खुशियां, होता

Leave a Comment