Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh, Priyanka_saurabh

मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता?

मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता? मध्यम वर्ग के लोगों की चिंताओं का कोई अंत नहीं होता। …


मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता?

मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता?

मध्यम वर्ग के लोगों की चिंताओं का कोई अंत नहीं होता। क्योंकि ये बच्चों को लायक बनाने में अपना पूरा जीवन निकाल देते हैं। फिर उस अनुरूप बच्चों का विवाह या नौकरी न हो तो भी चिंतित रहते हैं। अपनी इज्जत बनाए रखने के लिए यह अपना दुख दर्द किसी से नहीं कहते हैं। दूसरों से बातचीत करने पर कभी-कभी समाधान मिल जाया करता है। पर क्योंकि यह लोग कहते नहीं इसलिए इन्हें समाधान नहीं मिल पाता और यह चिंताओं से घिरे रहते हैं।

प्रियंका सौरभ

भारतीय मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता? भारतीय मध्यम वर्ग वह वर्ग है जिसे समाज में अपनी मान मर्यादा को भी बनाए रखना होता है। बच्चों की शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान देना होता है तथा समाज में क्या चल रहा है? इसका भी ध्यान रखना जरूरी होता है। बच्चों के विवाह पर भी इन्हें काफी धन खर्च करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त दूसरे के यहां भी कोई फंक्शन होने पर इन्हें स्वयं भी अच्छे कपड़ों का इंतजाम करना पड़ता है जो इनकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है। इस कारण यह चिंतित रहते हैं। इन लोगों में योग्यता की कोई कमी नहीं रहती। इनके पास कमी होती है तो वह धन की कमी होती है। उच्च वर्ग के समान बौद्धिक स्तर होने के बावजूद भी धन की कमी के कारण यह मात खा जाते हैं। इस कारण यह अक्सर तनावग्रस्त भी हो जाते हैं। मध्यम वर्ग के जो लोग अच्छे कमाई करने लगते हैं , वे मध्यमवर्ग से निकलकर उच्च वर्ग में शामिल हो जाते हैं।

इन लोगों की चिंताओं का कोई अंत नहीं होता। क्योंकि बच्चों को लायक बनाने में अपना पूरा जीवन निकाल देते हैं। फिर उस अनुरूप बच्चों का विवाह या नौकरी न हो तो भी चिंतित रहते हैं। अपनी इज्जत बनाए रखने के लिए यह अपना दुख-दर्द किसी से नहीं कहते हैं। दूसरों से बातचीत करने पर कभी-कभी समाधान मिल जाया करता है। पर क्योंकि यह लोग कहते नहीं इसलिए इन्हें समाधान नहीं मिल पाता और यह चिंताओं से घिरे रहते हैं। एक समस्या का समाधान करो तो दूसरी समस्या ऐसी आ जाती है। जिस पर धन खर्च करना महंगाई के जमाने में संभव नहीं हो पाता। इस कारण मध्यमवर्ग का संघर्ष खत्म ना होकर अनवरत चलता ही रहता है। परिवार के बच्चों के अच्छी नौकरी में आगे आने पर ही उनको थोड़ी राहत मिलती है। मध्यम वर्ग को श्रम और पूंजी के बीच रखा गया है। यह न तो सीधे तौर पर उत्पादन के साधनों का मालिक है जो मजदूरी श्रम शक्ति द्वारा उत्पन्न अधिशेष को पंप करता है और न ही यह अपने श्रम द्वारा उस अधिशेष का उत्पादन करता है जिसका उपयोग और विनिमय मूल्य होता है।

मध्यम वर्ग में मुख्य रूप से छोटे पूंजीपति और सफेदपोश श्रमिक शामिल हैं। व्यवसाय के संदर्भ में, दुकानदार, सेल्समैन, दलाल, सरकारी और गैर सरकारी कार्यालय कर्मचारी, पर्यवेक्षक और पेशेवर जैसे इंजीनियर, डॉक्टर आदि मध्यम वर्ग का गठन करते हैं। इनमें से अधिकांश व्यवसायों के लिए कम से कम कुछ हद तक औपचारिक शिक्षा की आवश्यकता होती है। मध्यम वर्ग मुख्य रूप से 19वीं और 20वीं शताब्दी में पूंजीवादी विकास और राज्य के कार्यों के विस्तार का परिणाम है। मोदी के भारत में ये परिवार डिग्री और कौशल प्रशिक्षण की आवश्यकता के साथ, मध्यम वर्ग का दिखावा करने वाली नौकरियों में श्रमिक वर्ग की स्थितियों के चक्रव्यूह में फंस गए हैं। मध्यम वर्ग के युवाओं के लिए रोजगार प्रशिक्षण में सरकार का निवेश सुरक्षित और निष्पक्ष निर्माण से मेल नहीं खाता है। कई लोग कम लागत वाले सरकारी केंद्रों या गैर सरकारी संगठनों में कंप्यूटर और अंग्रेजी बोलने में प्रशिक्षित होने के बारे में शिकायत करते हैं, लेकिन अंत में उन्हें ऐसा काम करना पड़ता है जिसमें इन कौशलों की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती है।

भारत में “मध्यम वर्ग” होने का क्या मतलब है? इसका उत्तर देना कठिन प्रश्न है और मध्यम वर्ग के बारे में हमारे विचार के आधार पर यह भिन्न हो सकता है। लगभग 50% भारतीय खुद को मध्यम वर्ग का मानते हैं। यह हमारे लिए कोई नई बात नहीं है। मध्यम वर्ग क्यों मायने रखता है। इसके कई उत्तर हैं और सामान्य तौर पर, यह अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इसके स्रोत हैं। मध्यम वर्ग भी घरेलू खपत को बढ़ावा देता है और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षा और बचत में निवेश जिसे हम आम तौर पर किसी भी अच्छी अर्थव्यवस्था से जोड़ते हैं। वह मुख्य रूप से मध्यम वर्ग द्वारा संचालित होता है। इसलिए हमें इस विचार को त्यागने की जरूरत है कि भारत में मध्यम वर्ग का एक अविश्वसनीय आधार है और सिवाय इसके कि भारत अभी भी एक गरीब देश है। आजादी के बाद से भारत का मध्यम वर्ग एक महत्वपूर्ण वर्ग रहा है।

1857 के विद्रोह के दौरान , वे विद्रोह से लेकर औपनिवेशिक अंग्रेजों के प्रति वफादार रहे। इन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन किया जब उन्हें अंग्रेजों के असली मकसद का एहसास हुआ तो उनका पहला उदय हुआ। 1905 के स्वदेशी आंदोलन में देखा गया और उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। तब से, भारतीय मध्य ने विभिन्न रूपों में रूपांतरित होकर समाज, राजनीति, संस्कृति, आदि पर अपना प्रभाव डाला। शिक्षक, वैज्ञानिक, डॉक्टर, वकील, इंजीनियर की भारतीय समाज को मुख्य रूप से इसी वर्ग से आपूर्ति की जाती है। आईटी क्रांति के दौरान देखा गया कि मध्यम वर्ग का विस्तार स्पष्ट रूप से हो सकता है । लेकिन वे सपनों का भारत बनाने में असफल रहे; किसी राष्ट्र की इच्छाओं के बजाय उनके कौशल मुख्य रूप से व्यक्तिगत केंद्रित थे। वे बड़ी संख्या में विदेश जाने के लिए उड़ान भरने लगे। ऊँचे लक्ष्य, प्रतिभा पलायन, जो हुआ, ने भारत को कम कुशल बना दिया।

स्वतंत्रता के दौरान, यद्यपि वे अल्पसंख्यक थे, फिर भी उन्होंने एक गतिशील अल्पसंख्यक का गठन किया। विचारों और मूल्यों का ढांचा, जिसने स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया था। आज़ादी के बाद राजनीति में उनकी भूमिका के मिश्रित पहलू रहे। एक तरफ उनकी राजनीतिक भागीदारी अत्यधिक है। वे सीएसओ, एनजीओ और दबाव समूहों में अभिन्न सदस्य हैं। इनकी 2011 में अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी और दिसंबर 2012 में निर्भया मामले में भागीदारी बहुत बड़ी थी। दूसरी ओर उनका मतदान प्रतिशत घटता जा रहा है; वे राजनीति में विशेषकर शहरी मध्यम वर्ग में कम दिखाई देते हैं। उनके पास भारतीय राजनीतिक प्रकृति पर दृष्टि की कमी रही और अब भी नहीं है। ताली से थाली का संघर्ष करता मध्यम वर्ग मध्यम वर्ग लोकतंत्र का मुख्य आधार है, राष्ट्र, राजनीति और समाज में उनकी भूमिका बहुत बड़ा प्रभाव डालती है।

About author 

Priyanka saurabh

प्रियंका सौरभ

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार
facebook – https://www.facebook.com/PriyankaSaurabh20/

twitter- https://twitter.com/pari_saurabh 


Related Posts

Jeevan aur samay chalte rahenge aalekh by Sudhir Srivastava

September 12, 2021

 आलेख        जीवन और समय चलते रहेंगें              कहते हैं समय और जीवन

Badalta parivesh, paryavaran aur uska mahatav

September 9, 2021

बदलता परिवेश पर्यावरण एवं उसका महत्व हमारा परिवेश बढ़ती जनसंख्या और हो रहे विकास के कारण हमारे आसपास के परिवेश

Jungle, vastavikta he jiski khoobsurati hai

September 9, 2021

 Jungle, vastavikta he jiski khoobsurati hai जंगल स्वतंत्रता का एक अद्वितीय उदाहरण है, जहां कोई नियम नहीं , जिसकी पहली

covid 19 ek vaishvik mahamaari

September 9, 2021

 Covid 19 एक वैश्विक महामारी  आज हम एक ऐसी वैश्विक आपदा की बात कर रहे है जिसने पूरे विश्व में

avsaad se kaise bahar aaye ?

September 9, 2021

avsaad se kaise bahar aaye ?|अवसाद से बाहर कैसे निकले? अवसाद आज के समय की एक गंभीर समस्या है, जिससे

Slow Zindagi

September 9, 2021

Slow Zindagi दोस्तों आज हम आपके लिए लाए है एक खूबसूरत लेख Slow Zindagi . तो पढिए इस खूबसूरत लेख Slow

Leave a Comment