भारत के राज्यों और ज़िलों का सामाजिक प्रगति सूचकांक 2022 जारी
सामाजिक प्रगति सूचकांक (एसपीआई) 2022 यह रिपोर्ट राज्य और ज़िला में सुधार की आवश्यकता का एक उत्कृष्ट नैदानिक उपकरण है
2023 में विधानसभा चुनाव वाले कुछ राज्यों में सामाजिक प्रगति सूचकांक 2022 में कम और बहुत कम प्रगति चिंतनीय – एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर आधुनिक डिजिटल युग में जहां इंसान चांद पर पहुंच चुका है और वहां अब रिहायशी संभावनाओं पर काम किया जा रहा है वही दुनिया के देशों में अनेक क्षेत्रों में अलग-अलग सूचकांक रिपोर्ट के आधार पर रैंकिंग कर जानने की कोशिश की जाती है कि कौनसा देश किस क्षेत्र में पिछड़ा और अगड़ा है। ठीक उसी तरह अनेक देशों में उनके अंदर राज्यों और ज़िलों में क्या स्थिति है, कौनसा राज्य व जिला अगड़ा और पिछड़ा है इसका भी अध्ययन कुछ सटीक मानदंडों के आधार पर कर सूचकांक रिपोर्ट बनाई जाती है, जो लॉन्गटर्म शॉर्टटर्म नीतियां बनाने में प्रशासकों को काफी सहायक होती है। चुंकि दिनांक 20 दिसंबर 2022 को भारत में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस एंड सोशल प्रोग्रेस इम्पेरेटिव के साथ आज ईएसी-पीएम द्वारा अनिवार्य भारत के राज्यों और जिलों के लिए पूरे विस्तार के साथ 346 पुष्पों में सामाजिक प्रगति सूचकांक 2022 जारी किया, जिसमें 2023 में विधानसभा चुनाव वाले कुछ राज्यों में सामाजिक प्रगति कम और बहुत कम प्रगति रैंक आई है जो चिंतनीय है। इसीलिए आज हम पीआईबी में आई जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि सामाजिक प्रगति सूचकांक (एसपीआई) 2022 यह रिपोर्ट राज्य और जिला में सुधार की आवश्यकता का एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक उपकरण है।
साथियों बात अगर हम एस एसपीआई रिपोर्ट की करें तो, पुद्दुचेरी, लक्षद्वीप और गोआ श्रेष्ठ कार्य प्रदर्शन के आधार पर सूचकांक में शामिल किए गए। श्रेष्ठ कार्य प्रदर्शन के आधार पर तीन जिलों को भी चुना गया, ये हैं हिमाचलप्रदेश में शिमला और सोलन तथा मिजोरम में आईजोल। पुद्दुचेरी ने देश में सबसे अधिक 65.99 के एसपीआई अंक प्राप्त किये जो कि निजी स्वतंत्रता और चयन, आश्रय और जल तथा स्वच्छता जैसे तत्वों में बेहतर कार्य प्रदर्शन के द्योतक हैं। 65.89 स्कोर और 65.53 के साथ झारखंड जिसके बाद सबसे अंत में बिहार के अंक रहे। इस रिपोर्ट में देश के सभी राज्यों और जिलों में हुई सामाजिक प्रगति का विस्तृत अध्ययन किया गया है। इसमें बुनियादी मानवीय जरूरतें, रहन सहन और अवसर सहित कई बिंदुओं का अध्ययन किया हुआ है। इनमें राज्यों को 89 और जिलों को 49 फैक्टर पर अध्ययन के बाद विस्तार से रिपोर्ट तैयार की गई है। रिपोर्ट में बुनियादी मानवीय जरूरतों में बुनियादी चिकित्सा देखभाल, जल और स्वच्छता, व्यक्तिगत सुरक्षा और आश्रय के मामले में राज्यों और जिलों के प्रदर्शन का किया गया है। रहन का आयाम बेहतर तरीकों के आधार का आयाम बुनियादी ज्ञान तक पहुंच, सूचना तथा संचार तक पहुंच, स्वास्थ्य तथा कल्याण और पर्यावरण गुणवत्ता के घटकों में देश द्वारा की गई प्रगति का मूल्यांकन करता है। जबकि अवसर का आयाम व्यक्तिगत अधिकारों, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद, समावेशिता और उन्नत शिक्षा तक पहुंच के पहलुओं पर केंद्रित है। इस रिपोर्ट में सामने आया कि लक्षद्वीप, पुडुचेरी, सिक्किम, गोवा राज्य सभी ने इन पहलुओं में अच्छा काम किया है। जबकि असम, बिहार और झारखंड का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। देश के 112 आकांक्षी जिलों में से 27 जिले ऐसे हैं, जिनका प्रदर्शन बहुत ही अच्छा है। इसमें मिजोरम का मामित, मणिपुर के चंदेल, चंबा हिमाचल प्रदेश और पंजाब का मोंगा जिला शामिल है। इसके मुकाबले बिहार के 13 और झारखंड 19 आकांक्षी जिलों का प्रदर्शन सबसे खराब आंका गया है।
इसके अलावा यह रिपोर्ट में यह भी बताया कि पर्सनल सेफ्टी के मामले में नागालैंड, लद्दाख और पुडुचेरी सबसे आगे हैं। जबकि सबसे खराब में हरियाणा, ओडिशा और असम में यह सबसे खराब हैं। सरकारी योजना के जरिए घर मिलने के मामले में असम, बिहार और झारखंड सबसे पीछे है। तेलंगाना और तमिलनाडु का प्रदर्शन सबसे अच्छा है। पानी और स्वच्छता के मामले में पंजाब, गोवा और हरियाणा का प्रदर्शन सबसे अच्छा है। जबकि झारखंड, लद्दाख और ओडिशा का प्रदर्शन सबसे खराब है। पोषण और स्वास्थ्य के मामले में केरल, लक्षद्वीप और सिक्किम का प्रदर्शन अन्य राज्यों से अच्छा हैं। जबकि बिहार, झारखंड और ओडिशा का प्रदर्शन खराब है। स्वास्थ्य की योजनाओं में राजस्थान, लद्दाख का प्रदर्शन अच्छा है। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर चल रही योजनाओं में मिजोरम, नागालैंड, मेघालय का प्रदर्शन बेहतर है।
- पुडुचेरी- 65.99, लक्षद्वीप- 65.89, गोवा- 65.53,सिक्किम- 65.10, मिजोरम- 64.19, तमिलनाडु- 63.33, हिमाचल प्रदेश- 63.28, चंडीगढ़- 62.37, केरल-62.05
- जम्मू-कश्मीर- 60.76, पंजाब- 60.23, दादर और नागर हवेली दमन और दीव- 59.81, लद्दाख- 59.53, नागालैंड- 59.24, अंडमान निकोबार द्वीप-58.76
- उत्तराखंड- 58.26, कर्नाटका-56.77, अरुणाचल प्रदेश-56.56, दिल्ली- 56.28, मणिपुर-56.27
- हरियाणा- 54.15, गुजरात- 53.81, आंध्र प्रदेश- 53.60, मेघालय- 53.22, पश्चिम बंगाल- 53.13, तेलंगाना- 52.11, त्रिपुरा- 51.70, छत्तीसगढ़- 51.36, महाराष्ट्र- 50.86, राजस्थान- 50.69
- उत्तर प्रदेश- 49.16, ओडीशा- 48.19, मध्य प्रदेश- 48.11
- असम- 44.92, बिहार- 44.47, झारखंड-43.95।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत के राज्यों और जिलों की सामाजिक प्रगति सूचकांक 2022 जारी हुई सामाजिक प्रगति सूचकांक 2022 यह रिपोर्ट राज्य और जिला में सुधार की आवश्यकता का एक उत्कृष्ट नैदानिक उपकरण है। 2023 में विधानसभा चुनाव वाले कुछ राज्यों में एसपीआई में कम और बहुत कम प्रगति रैंक चिंतनीय है।







