Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

भारत के नेतृत्व में जी-20, एससीओ सम्मिट 2023 का कुछलता से विस्तार

भारत के नेतृत्व में जी-20, एससीओ सम्मिट 2023 का कुछलता से विस्तार भारत की अध्यक्षता व मेज़बानी में शंघाई सहयोग …


भारत के नेतृत्व में जी-20, एससीओ सम्मिट 2023 का कुछलता से विस्तार

भारत के नेतृत्व में जी-20, एससीओ सम्मिट 2023 का कुछलता से विस्तार

भारत की अध्यक्षता व मेज़बानी में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का 23 वां सम्मेलन नई दिल्ली में 3-4 जुलाई 2023 को होगा

वैश्विक मंचों पर भारत के बढ़ते दबदबे के चलते वैश्विक संस्थाओं का नेतृत्व मिलने से हर भारतीय गौरवविंत हुआ है – एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भारत के बढ़ते नेतृत्व का परिणाम जी-7, एससीओ सम्मिट 2023 की अध्यक्षता सहित अनेक मंचों पर भारत का लीडिंग रोल लाइव हो रहा वैश्विक मंचों पर देखा जा सकता है, जिसका परिणाम है कि कई मुद्दों, सुझाव व एजेंडों को भारत के अनुसार सेट किया जाता है हम जी-20 की अध्यक्षता तो कर ही रहे हैं, अब एससीओ की अध्यक्षता भी 2023 को हमारे हिस्से आई है जिसका एजेंडा सेट करने और अन्य द्विपक्षीय चर्चाओं के लिए भारत में 4-5 मई 2023 को एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसमें हमारे विदेश मंत्री द्वारा चीन और रूस के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय चर्चाएं भी की गई परंतु सबसे हैरानी वाली बात यह हुई कि 12 वर्षों के बाद हमारे पड़ोसी मुल्कों के विदेश मंत्री भी भारत आए और बिना किसी द्विपक्षीय चर्चा या एजेंडे के साथ एससीओ सम्मिट में शामिल हुए जो भारत के दबदबे को दिखाता है। मेरा मानना है कि शायद यह 3-4 जुलाई 2023 को होने वाले 23 वें सम्मेलन में पड़ोसी मुल्क के पीएम के शामिल होने का इशारा हो सकता है।जबकि पहले चीन और पड़ोसी मुल्क के वर्चुअल शामिल होने का अंदेशा था और पिछले समयों में भी वर्चुअल शामिल हुए हैं। चूंकि रूस यूक्रेन युद्ध जोरों पर शुरू है, यूक्रेन की नाटो में शामिल होने की अटकलें हैं, इसीलिए एससीओ को रूस और चीन विस्तृत करके नाटो के समक्ष एक ताकत बनाना चाहते हैं, क्योंकि इस सामूहिक यूरोपियन विभाग का 40 फ़ीसदी वैश्विक घरेलू उत्पाद 30 फ़ीसदी और विश्व की आबादी का 40 फ़ीसदी शामिल है। चीन और रूस इस समूह को नाटो के खिलाफ को पश्चिम के लिये एक काउंटर के तौर पर विस्तार देना चाहते हैं।हालांकि माना जाता है कि एससीओ और नाटो के बीच काफी विरोधाभास है। नाटो का विस्तार पूरी तरह से अलग है। जबकि एससीओ गुटनिरपेक्षता पर आधारित एक सहकारी संगठन है। किसी तीसरे पक्ष को लक्षित नहीं करता। वैसे ये यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है, जिसका लक्ष्य क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखना है। चूंकि 4-5 मई 2023 को गोवा में संपन्न हुए एससीओ विदेश मंत्रियों के सम्मिट में 3-4 जुलाई 2023 में होने वाले 23 वें सम्मिट का एजेंडा भी निकला है इसलिए मीडिया में उपलब्ध जानकारी केसहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से हम चर्चा करेंगे भारत की अध्यक्षता नेतृत्व व मेज़बानी में एससीओ और जी-20 मंचों का कुशलता से विस्तार।
साथियों बात अगर हम एससीओ की करें तो, भारत इस साल जी-20 के साथ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) समिट की भी मेजबानी कर रहा है। 8 अलग अलग देशों में आयोजित होने वाली यह समिट इस साल 3-4 जुलाई 2023 को नई दिल्ली में होगी। चर्चा है कि यूक्रेन के युद्ध के बाद पहली बार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आ सकते हैं। इस बार समिट के एजेंडे में कारोबार, आतंकवाद से निपटने की रणनीति, अफगानिस्तान में शांति और चाबहार पोर्ट समेत कई मुद्दों को शामिल किया जा रहा है।चूंकि इस समय भारत इस संगठन का अध्यक्ष है लिहाजा इस साल इसके सदस्य और पर्यवेक्षक देशों के शिखर सम्मेलन की मेजबानी वो कर रहा है। पिछले कुछ बरसों में शंघाई सहयोग संगठन का प्रभाव बढ़ा है। इसे नाटो के जवाब में विस्तार लेता संगठन कहा जा रहा है। समिट का आयोजन हर साल 8 सदस्य देशों में से किसी एक देश में होता है। जैसे- पिछली बार उज्बेकिस्तान में समिट आयोजित की गई थी, इस साल यह आयोजन नई दिल्ली में होगा। अगला आयोजन किस देश में होगा, यह समिट के दौरान तय होता है।पिछले सालउज्बेकिस्तान में घोषणा हुई थी कि अगला समिट का अगला आयोजन भारत में होगा।यही वजह है कि हर साल अलग-अलग देशों को मेजबानी का मौका मिलता है।सदस्य देश के किस शहर को समिट के लिए चुना जाएगा, इसके लिए कल्चरल और टूरिज्म कैपिटल को प्राथमिकता दी जाती है। यहां दुनिया के 8 देशों के दिग्गज पहुंचते हैं और कई मुद्दों पर चर्चा करते हैं।जैसे पिछले वर्ष 2022 को वाराणसी को चुना गया था। इस साल भारत इस समिट का होस्ट है,3-4 जुलाई में होने वाली समिट में यह तय होगा कि इसका अगला आयोजन किस देश में होगा।
साथियों बात अगर हम एससीओ के कार्यों की करें तो, यह संगठन देशों की राजनीति, अर्थव्यवस्था, विकास और सेना से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के साथ उनका समाधान करने की रणनीति बनाता है। संगठन का लक्ष्य आतंकवाद को रोकना, व्यापार और अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए जरूरी मुद्दों पर चर्चा करना है। हालांकि कोई भी कदम उठाने से पहले संगठन के सभी सदस्य देशों की मंजूरी लेना अनिवार्य है। इसके अलावा यह संगठन सदस्य देशों के बीच कारोबार के साथ टेक्नोलॉजी, कल्चर और रिसर्च को साझा करते हैं।
साथियों बात अगर हम भारत और एससीओ की करें तो, जुलाई 2005 में अस्ताना शिखर सम्मेलन हुआ जिसमें भारत को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया गया था। जुलाई 2015 में रूस के ऊफा में, एससीओ ने भारत को पूर्ण सदस्य के रूप में स्वीकार करने का निर्णय लिया। जिसके बाद भारत ने जून 2016 में ताशकंद, उज्बेकिस्तान में दायित्व ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिससे पूर्ण सदस्य के रूप में एससीओ में शामिल होने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हुई। 9 जून 2017 को, अस्ताना में ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के दौरान भारत आधिकारिक तौर पर पूर्ण सदस्य के रूप में एससीओ में शामिल हो गया। भारत के एससीओ क्षेत्र के साथ सदियों पुरानी सभ्यतागत सांस्कृतिक औरआध्यात्मिक संबंध हैं। बौद्ध भिक्षुओं से लेकर मसाला व्यापारियों तक, साहसिक खोजकर्ताओं से लेकर सूफी संतों तक, भारत और एससीओ सदस्य राज्यों के बीच बातचीत से वस्तुओं का आदान-प्रदान,विचारों का संलयन,नए व्यंजनों औरकला रूपों का परिचय हुआ है। इसलिए 2017 में एससीओ की भारत की सदस्यता इस क्षेत्र के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को गहराकरने के लिए भारत की उत्सुकता की पुष्टि थी।भारत ने 2017 में एक पूर्ण सदस्य राज्य बनने के बाद से संगठन के साथ सक्रिय जुड़ाव बनाए रखा है। 2020 में, भारत ने पहली बार एससीओ काउंसिल ऑफ गवर्नमेंट की दूसरी सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था की बैठक की मेजबानी की। भारत ने एससीओ में सहयोग के तीन नए स्तंभों-स्टार्टअप्स एंड इनोवेशन, साइंस एंड टेक्नोलॉजी और ट्रेडिशनल मेडिसिन पर जोर देकर अपने लिए एक जगह बनाई है। हमारे पीएम ने 2018 में चीन में शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) शिखर सम्मेलन मेंएसईसीयूआरई की अवधारणा पेश की थी।एसईसीयूआरई अवधारणा की व्याख्या करते हुए, प्रधानमंत्री ने नागरिकों के लिए सुरक्षा के लिए एस, आर्थिक विकास के लिए ई, क्षेत्र में कनेक्टिविटी के लिए सी एकता के लिए यू, संप्रभुता और अखंडता के लिये आर, और पर्यावरण संरक्षण के लिए ई के रूप में पेश किया था।
साथियों बात अगर हम एससीओ को जानने की करें तो,यह दुनिया के 8 देशों का संगठन है, जिसकी शुरुआत 15 जून 2001 को हुई थी, इसमें चीन, कजाकिस्ता, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, रूस, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं। 2016 से पहले इसमें भारत औरपाकिस्तान को छोड़कर 6 देश शामिल थे, लेकिन 24 जून, 2016 को इन्हें भी हिस्सा बनाया गया।पहले इसकी नींव चीनकजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के नेताओं द्वारा चीन के शंघाई में की गई थी। उज्बेकिस्तान को छोड़कर ये देश, शंघाई फाइव ग्रुप के सदस्य हुआ करते थे, जिसका गठन 26 अप्रैल 1996 को सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य ट्रस्ट को गहरा करने की संधि पर हस्ताक्षर के साथ किया गया था।2001 में, शंघाई में वार्षिकशिखर सम्मेलन के दौरान ही पांच सदस्य देशों ने पहली बार उज्बेकिस्तान को शंघाई फाइव मैकेनिज्म में शामिल किया जिसके बाद यह शंघाई सिक्स में बदल गया, जो अभी शंघाई 8 के रूप में शुरू है।
अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन कर उसकाविश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत के नेतृत्व में जी-20, एससीओ सम्मिट 2023 का कुछलता से विस्तार।भारत की अध्यक्षता व मेज़बानी में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का 23 वां सम्मेलन नई दिल्ली में 3-4 जुलाई 2023 को होगा।वैश्विक मंचों पर भारत के बढ़ते दबदबे के चलते वैश्विक संस्थाओं का नेतृत्व मिलने से हर भारतीय गौरवविंत हुआ है।

About author

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

Related Posts

डिजिटल विज्ञापन नीति 2023 को मंजूरी मिली

November 14, 2023

डिजिटल विज्ञापन नीति 2023 को मंजूरी मिली – निजी साइट और एप दायरे में आएंगे भारत में इंटरनेट सोशल और

दीप जले दीपावली आई

November 10, 2023

दीप जले दीपावली आई – धनतेरस ने किया दीपावली पर्व का आगाज़ पांच दिवसीय दीपावली पर्व धनतेरस के भावपूर्ण स्वागत

भारत दुनियां की फुड बॉस्केट बनेगा

November 10, 2023

वर्ल्ड फूड इंडिया महोत्सव 3-5 नवंबर 2023 पर विशेषभारत दुनियां की फुड बॉस्केट बनेगा,अर्थव्यवस्था बुलंदीयां छुएगी खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में

अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने समावेशी व्यापार का महत्वपूर्ण योगदान

November 10, 2023

अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने समावेशी व्यापार का महत्वपूर्ण योगदान भारत को दुनियां की तीसरी अर्थव्यवस्था त्वरित बनाने समावेशी व्यापार को

रंगत खोते हमारे सामाजिक त्यौहार।

November 10, 2023

रंगत खोते हमारे सामाजिक त्यौहार। बाजारीकरण ने सारी व्यवस्थाएं बदल कर रख दी है। हमारे उत्सव-त्योहार भी इससे अछूते नहीं

पीढ़ी के अंतर को पाटना: अतीत, वर्तमान और भविष्य को एकजुट करना

November 8, 2023

पीढ़ी के अंतर को पाटना: अतीत, वर्तमान और भविष्य को एकजुट करना पीढ़ी का अंतर एक कालातीत और सार्वभौमिक घटना

PreviousNext

Leave a Comment