Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

भारतीय बैंकों में ज़मा 35012 करोड़ का 10 वर्षों से कोई दावेदार नहीं आया

सुनिए जी ! बैंक से अपने पैसे तो वापस लेजाइए ! भारतीय बैंकों में ज़मा 35012 करोड़ का 10 वर्षों …


सुनिए जी ! बैंक से अपने पैसे तो वापस लेजाइए !

भारतीय बैंकों में ज़मा 35012 करोड़ का 10 वर्षों से कोई दावेदार नहीं आया – बैंकों नें आरबीआई को पैसे ट्रांसफर किए

भारतीय बैंकों में ज़मा 35012 करोड़ का 10 वर्षों से कोई दावेदार नहीं आया

भारतीय बैंकों के पास जिस जमाराशि पर 10 वर्ष तक कोई दावा नहीं करता उसे रिजर्व बैंक के, जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में ट्रांसफर करना नियम है – एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया – वर्ष 1976 में आई फिल्म सबसे बड़ा रुपैया का मजरूह सुल्तानपुरी द्वारा लिखा और महमूद द्वारा गाया गीत, ना बीवी ना बच्चा ना बाप बड़ा ना भैया द होल थिंग इस डेट के सबसे बड़ा रुपैया, इस गीत की एक एक लाइन में इस आधुनिक युग में रुपए के महत्व को गाकर बताया गया है जो हमें आज 47 साल बाद भी इसकी सच्चाई पर सटीक बैठता है क्योंकि आज पैसा ही सब कुछ हो गया है। हर क्षेत्र में पैसे का ही बोलबाला है जो हकीकत बन चुका है। परंतु यह सुनने में कुछ अजीब और आश्चर्यचकित सा लगता है कि हमारे भारत जैसे देश में इस वर्ष फ़रवरी 2023 तक भारतीय सरकारी बैंकों में 10.24 करोड़ खातों में 35012 करोड़ रुपए पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से लावारिस पड़े हुए हैं, जिनकी पूछ परख करने वाला कोई नहीं आया है। यानें 10 वर्ष से अधिक समय से इन पैसों का कोई लेने या पूछपरख करने वाला नहीं आया है जो भारतीय लोगों के लिए ताज़ुब की बात है। स्वभाविक है कि आज के वक्त में कोई व्यक्ति किसी अन्य को मात्र कुछ रुपए भी फ्री में नहीं देता है या हिसाब किताब करने पर ब्याज सहित वसूल कर लेता है, ऐसे में 35012 करोड़ रुपए मायने रखता है। हालांकि यह बात सीधी सादी नहीं है, इसके अनेक कारण हो सकते हैं। मेरे व्यक्तिगत विचार से इनके कारण निम्नलिखित हो सकते हैं (1) जिन्होंने पैसे जमा किए हो वह या उनके नामिनी इस दुनिया में नहीं रहे हो। (2) एफडी करवा कर भूल गए हो। (3) जमा या एफडी करवा कर मृत्यु हुए और उनके नामिनी नहीं भरे हैं। (4) ऐसे नामिनी जो कागजी कार्रवाई नहीं कर सक रहे हो। (5) आलस या लगर्जी कि कौन इतनी मगजमारी करें,जिसका जीताजागता उदाहरण मैं भी हूं, मेरे पिताजी के कुछ रुपए एक बैंक में जमा है परंतु कागजी कार्रवाई और लापरवाही,प्रोसेसिंग करना का समय नहीं है, यह लापरवाही है।(6) देश छोड़कर विदेश में जाकर बस गए हैं। (7) जमा पैसे वैध नहीं है या उनके निकालने से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। (8) भुलक्कड़ आदमी। (9) अकाउंट नंबर या कोड नंबर याद नहीं है। (10) बैंकों द्वारा चकरे खिलाकर परेशान किया गया है और निराश होकर पैसे निकालना छोड़ दिए हो इत्यादि अनेक कारण हो सकते हैं कि इतनी भारी मात्रा में रुपया लावारिस पड़ा हुआ है, जिनके कोई वारिस बैंक में नहीं आए हैं। यानें इतनी भारी मात्रा में रुपए बैंकों में बड़े हैं और उसको पूछताछ करने वाला मालिक या हितधारक नहीं आया है, इसकी जानकारी बजट सत्र में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा दी गई है।
साथियों बात अगर हम 6 अप्रैल 2023 को समाप्त हुए बज़ट सत्र में लोकसभा में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा दी गई जानकारी की करें तो, बीते दिनों वित्त राज्य मंत्री ने लोकसभा में बताया था कि सरकारी बैंकों ने अकाउंट में लावारिस पड़े करीब 35,012 करोड़ रुपयों को रिजर्व बैंक में ट्रांसफर कर दिया गया है। ये पैसे 10.24 करोड़ खातों में 10 साल या इससे ज्यादा वक्त से बैंकों में पड़े हुए थे, जिस पर किसी ने दावा नहीं किया था। सबसे ज्यादा लावारिस पैसा स्टेट बैंक में जमा था। एसबीआई में 8,086 करोड़ रुपए लावारिस पड़े थे। वहीं पंजाब नेशनल बैंक में 5,340 करोड़ रुपए, केनरा बैंक 4,558 करोड़ रुपए और बैंक ऑफ बड़ौदा 3,904 करोड़ रुपए थे। रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार अगर किसी सेविंग या करंट खाते में जमा राशि को 10 सालों तक नहीं ऑपरेट किया जाता है या किसी एफडी की मैच्योरिटी के 10 साल के बाद भी इसे क्लेम नहीं किया जाता है तो उसे अनक्लेम्ड राशि कहते हैं। इस तरह की राशि को आरबीआई द्वारा बनाए गए ‘डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड’ में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
साथियों बात अगर हम अनक्लेम्ड फंड को लेने की प्रोसेस की करें तो, लावारिस पड़े फंड को क्लेम करने के लिए होम ब्रांच से संपर्क कर दावा करना होगा। ब्रांच में क्लेम फॉर्म भरने के साथ केवाईसी डॉक्यूमेंट देने होंगे। यदि हम एक कानूनी उत्तराधिकारी या नॉमिनी हैं, तो खाताधारक के मृत्यु प्रमाण पत्र की एक प्रति भी बैंक को देना होगा। पेमेंट जारी करने से पहले बैंक क्लेम की प्रामाणिकता को वेरिफाइ करेगा। ग्राहक को पेमेंट करने के बाद बैंक, डीईए फंड से रिफंड लेने के लिए महीने के अंत में आरबीआई को क्लेम प्रस्तुत करेगा। चार दिन पहले आरबीआई गवर्नर ने चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक (आरबीआई एमपीसी मीटिंग) के नतीजों के बारे में ऐलान किया। इसमें आरबीआई गवर्नर ने बैंकों में जमा बिना दावे की राशि के लिए एक पोर्टल बनाए जाने की बात कही.। उन्होंने कहा कि ग्राहकों की बैंकों तक पहुंच बढ़ाने के लिए कुछ सुधार करने की आवश्यकता है। इसके लिए अनक्लेम्ड डिपॉजिट राशि के एक पोर्टल बनाया जाएगा, इस पोर्टल के जरिए अलग-अलग बैंकों में पड़ी बिना दावे का राशि का आसानी से पता लगाया जा सकेगा।
साथियों लोकसभा में वित्त राज्यमंत्री के एक लिखित जवाब देते हुए बताया था कि फरवरी, 2023 तक देश के अलग अलग पब्लिक सेक्टर बैंकों में कुल 35,012 करोड़ रुपये ऐसे जमा है जिसका कोई दावेदार नहीं हैं। इसमें सबसे ज्यादा राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में जमा है। एसबीआई में कुल 8,086 करोड़ रुपये बगैर दावे वाली राशि जमा है। वहीं दूसरे नंबर पर पंजाब नेशनल बैंक में कुल 5,340 करोड़ रुपये की राशि जमा है। वहीं केनरा बैंक में कुल 4,558 करोड़ रुपये की अनक्लेम्ड डिपॉजिट राशि जमा है।
साथियों बात अगर हम महामारी के कारण दुनिया के हर देश की अर्थव्यवस्था चरमराने की करें तो, वैश्विक स्तरपर कोविड महामारी के बाद दुनियां के करीब करीब सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं चरमरा सी गई है जो कई देशों के लिए आपदा में विपदा साबित हो रही है, और मंदी की भयंकर चपेट से जूझ रहे हैं, तो पड़ोसी मुल्कों सहित एशिया के कुछ देशों में भारी विपत्ति आन पड़ी है जिससे उबरने मसलन श्रीलंका को विश्व बैंक ने 400 मिलियन डॉलर ऋण सहायता का ऐलान भी किया है, वहीं पड़ोसी मुल्क इसके लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। परंतु हमारे भारत देश इतनी भारी मात्रा में लावारिस पड़े पैसे पड़े रहना किसी आश्चर्य से कम नहीं है हालांकि इस तरह के अनक्लेमड कैसे हर साल होते रहते हैं, जो आर्थिक क्षेत्र में कोई बड़ी बात नहीं है, परंतु एक आम नागरिक के लिए आश्चर्यजनक और हैरान करने वाली बात है। हमारा पड़ोसी मुल्क भी भारी अत्यधिक आर्थिक संकट से जूझ रहा है। और भारत में देखें तो इतनी भारी मात्रा में लावारिस रकम बैंकों में पड़ी है पड़ोसी मुल्क और आईएमएफ महीनों से रुके हुए कार्यक्रम को फिर से शुरू करने के लिए बातचीत कर रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी समझौते पर नहीं पहुंचे हैं। पड़ोसी मुल्क वर्तमान में उच्च विदेशी ऋण, एक कमजोर स्थानीय मुद्रा और घटते विदेशी मुद्रा भंडार से जूझ रहा है, जो बमुश्किल एक महीने के आयात के लिए पर्याप्त है, वहां मौजूदा अस्थिर राजनीतिक स्थिति आईएमएफ के साथ एक बहुप्रतीक्षित सौदे में देरी का एक कारक बन गई है। और भारत में इतनी भारी मात्रा में पड़ी अनक्लैमड रकम का कोई सानी नहीं हैं।
अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सुनिए जी ! बैंक से अपने पैसे तो वापस लेजाइए ! भारतीय बैंकों में ज़मा 35012 करोड़ का 10 वर्षों से कोई दावेदार नहीं आया – बैंकों नें आरबीआई को पैसे ट्रांसफर किए। भारतीय बैंकों के पास जिस जमाराशि पर 10 वर्ष तक कोई दावा नहीं करता उसे रिजर्व बैंक के, जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में ट्रांसफर करना नियम है।

About author

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

Related Posts

Jeevan aur samay chalte rahenge aalekh by Sudhir Srivastava

September 12, 2021

 आलेख        जीवन और समय चलते रहेंगें              कहते हैं समय और जीवन

Badalta parivesh, paryavaran aur uska mahatav

September 9, 2021

बदलता परिवेश पर्यावरण एवं उसका महत्व हमारा परिवेश बढ़ती जनसंख्या और हो रहे विकास के कारण हमारे आसपास के परिवेश

Jungle, vastavikta he jiski khoobsurati hai

September 9, 2021

 Jungle, vastavikta he jiski khoobsurati hai जंगल स्वतंत्रता का एक अद्वितीय उदाहरण है, जहां कोई नियम नहीं , जिसकी पहली

covid 19 ek vaishvik mahamaari

September 9, 2021

 Covid 19 एक वैश्विक महामारी  आज हम एक ऐसी वैश्विक आपदा की बात कर रहे है जिसने पूरे विश्व में

avsaad se kaise bahar aaye ?

September 9, 2021

avsaad se kaise bahar aaye ?|अवसाद से बाहर कैसे निकले? अवसाद आज के समय की एक गंभीर समस्या है, जिससे

Slow Zindagi

September 9, 2021

Slow Zindagi दोस्तों आज हम आपके लिए लाए है एक खूबसूरत लेख Slow Zindagi . तो पढिए इस खूबसूरत लेख Slow

Leave a Comment