Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

laghukatha, Priynaka vallari

बेटी का हक लघुकथा| Beti ka haq

बेटी का हक छोटी बेटी सनाया से बात करते -करते रामनाथ बाबू चिल्ला पड़े, ” मैं बेऔलाद हूँ क्या जो …


बेटी का हक

बेटी का हक लघुकथा| Beti ka haq
छोटी बेटी सनाया से बात करते -करते रामनाथ बाबू चिल्ला पड़े, ” मैं बेऔलाद हूँ क्या जो इस तरह की तुम सलाह दे रही हो। अरे बेटी को ब्याह दिया मेरा काम खत्म। हमने उसके पूरे जिंदगी का ठेका ले रखा है क्या? थोड़ा बहुत जोड़-जार कर रखा हूँ ताकि आने वाले समय में बेटे को कोई तकलीफ ना उठाने पड़े।

पिताजी की बातें सुन सनाया सन्न हो सोच में पड़ गई। ओह! पिताजी बेटा और बेटी में कितना फर्क रखते है। क्या बेटा ही औलाद कहलाता है,बेटी नहीं ? आज दीदी इतनी मुसीबत में हैं,रहने को छत नहीं।

सोचते-सोचते सयाना उबल पड़ी, ” आपको जो सोचना हैं सोचिए पिताजी।पर मैं तो दीदी को उनका हक दिलवाकर मानूंगी। यह पैतृक संपत्ति है। आपने नहीं उपार्जन किया है। इस संपत्ति में आपके बेटे और बेटी का पूरा हक बनता है।कल ही मैं वकील को बुलवाती हूँ । आपको बेटी का हक देना होगा।

बेटी की बात रामनाथ बाबू ह्क्के- बक्के हो गये। कानूनी हक के विरोध में कोई जवाब न सूझा।

About author    

Priyanka vallari

रानी प्रियंका वल्लरी
बहादुरगढ हरियाणा


Related Posts

Laghukatha-Mummy| लघुकथा-मम्मी

March 6, 2023

मम्मी किटी पार्टी जमी हुई थी। अचानक बच्चों की कहानियां कहने की बात चली तो मिसेज रावत ने कहा, “भई

लघुकथा -मानव संग्रहालय| Laghukatha- manav sangrahalay

March 5, 2023

मानव संग्रहालय साल 3050। फ्लाइंग कार पार्किंग में लैंड कर के रोबो परिवार के बाल रोबोट खिड़की की ओर दौड़े।

Laghukatha-Pizza| लघुकथा-पिज्जा

March 5, 2023

 लघुकथा-पिज्जा हाईवे पर बने विशाल फूड जोन में केवला को नौकरी मिल गई थी। बस, कोने में खड़े रहना था

Story -बुरे काम का बुरा नतीजा ‘झाउलाल’

March 5, 2023

 ‘झाउलाल’ झाउलाल बड़े मनमौजी थे। कामचोरी विद्या में निपुण थे। तरह – तरह की तरकीब उनके पास था,काम से बचने

लघुकथा–ऊपरवाला सब देख रहा है

February 8, 2023

लघुकथा–ऊपरवाला सब देख रहा है रंजीत के पास धंधे के तमाम विकल्प थे, पर उसे सीसी टीवी का धंधा कुछ

लघुकथा-उपकार | Laghukatha- upkar

February 6, 2023

लघुकथा-उपकार रमाशंकर की कार जैसे हो सोसायटी के गेट में घुसी, गार्ड ने उन्हें रोक कर कहा, “साहब, यह महाशय

Leave a Comment