Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Aalekh, Bhawna_thaker, lekh

बेटियों को आग सी जल्लद और चट्टान सी कठोर बनाईये

 “बेटियों को आग सी जल्लद और चट्टान सी कठोर बनाईये” जानें कब करवट लेगी ज़िंदगी कमज़ोर शब्द से उलझते थकी …


 “बेटियों को आग सी जल्लद और चट्टान सी कठोर बनाईये”

बेटियों को आग सी जल्लद और चट्टान सी कठोर बनाईये

जानें कब करवट लेगी ज़िंदगी कमज़ोर शब्द से उलझते थकी महिलाओं की। “आज के दौर में भले ही परचम लहरा रही हर क्षेत्र में नारी, पर सदियों से अबलाओं की श्रेणी में ही शोभायमान होती आ रही है”

आने वाली आधुनिक पीढ़ी की लड़कियाँ याद रखो। महिलाओं के त्याग, हुनर, सहनशीलता और समझदारी को याद रखना परिवार, समाज और इतिहास ने कभी न जरूरी समझा है, न कभी समझेगा। “निगरानी, दमन या असमानता की चक्की में पीसते सदियों से स्त्री कमज़ोर शख़्सियत ही कहलाई है” लड़कियाँ जन्म लेती है, अपना कर्तव्य निभाते परिवार के लिए ज़िंदगी खर्च करते लड़की से औरत बन जाती है। दो सिरे को जोड़ने की जद्दोजहद से उलझते उम्र के मध्याह्न में ही बुढ़ी दिखने लगती है, पर उसके त्याग की गाथा फ़र्ज़ की खूँटी पर टाँग दी जाती है। 

हकदार नहीं किसी वसीहत की न दो बोल प्रशंसा की। न मायके की वारसदार होती है, न ससुराल की मिल्कियत में हिस्सेदार होती है। स्त्री के कर्मों की कथनी उसकी रीढ़ पर छपी होती है, जिसे कोई नहीं पढ़ता। तुम चुप रहो, तुम्हें कुछ नहीं आता या “बोलने से पहले सोच लिया करो” जैसे ताने उल्हानों के वाग्बाणों से छलनी होते उम्र काटने की आदी हो जाती है।

बहु बीमार हो तो उसे आराम करने मायके आना पड़ता है। और समाज कहता है, “हमारी बहु तो हमारे लिए बेटी जैसी है” क्यूँ बहूओं के लिए ससुराल वालों के दिल में बेटी के प्रति जो ममता उमड़ती है वो भाव नहीं आता? हर माँ-बाप को बेटियों के भविष्य की चिंता सताती रहती है। जिस माँ-बाप की बेटी ससुराल में दु:खी होती है उनकी रातों की नींद और दिन का सुकून छीन जाता है। बेटियों के माँ-बाप ईश्वर से एक ही कामना करते है, भले बेटी की सौगात दें पर बेटी की लकीरों में सुख और खुशियों की बौछार लिखकर देना। बेटी हर माँ-बाप के जिगर का टुकड़ा होती है। बेटी का उदास चेहरा पिता का हदय छलनी कर देता है। 

कुछ लड़कियों को जब जीने की समझ आती है इतने में शादी हो जाती है। प्यार, इश्क, मोहब्बत की उम्र में कई बच्चियाँ संतानें पाल रही होती है। जब आराम करने का समय आता है, तब बीमारियाँ घेर लेती है। जब जीने का मन बनाती है तब ज़िंदगी हाथों से सरक जाती है।

हर माँ-बाप से निवेदन है कि बेटियों को पढ़ा, लिखाकर इतनी काबिल बनाओ की उसे किसीका मोहताज न होना पड़े। हर परिस्थिति से लड़ना सिखाईये और हर कला में माहिर बनाईये। बेटियाँ दो कूलों का गौरव है। बेटी के जन्म पर मुँह हरगिज़ न बनाईये बेटी को उसके हर अधिकार और हक का उपहार दीजिए। समाज से प्रार्थना है बेटियों का, महिलाओं का सम्मान कीजिए। बेटे के समान लालन-पालन करके बेटियों को उनके जन्म लेने पर गौरवान्वित कीजिए तभी समानता दिखेगी।

भावना ठाकर ‘भावु’ बेंगलोर

About author

bhawna thaker

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु

Related Posts

मानवीय सन्दर्भों के सशक्त रचनाकार डॉ. सत्यवान सौरभ

October 16, 2023

मानवीय सन्दर्भों के सशक्त रचनाकार डॉ. सत्यवान सौरभ विभिन्न विषयों के साथ-साथ खास तौर पर सम्पादकीय और दोहे लिखने की

कैश फॉर क्वेरी इन पार्लियामेंट

October 16, 2023

कैश फॉर क्वेरी इन पार्लियामेंट वर्ष 1951 में जब देश में प्रोविजनल सरकार थी तब से अभी तक सवाल पूछने

शिक्षकों की व्यथा व उनका निराकरण

October 14, 2023

शिक्षकों की व्यथा व  उनका निराकरण  शिक्षक मानवीय व्यक्तित्व निर्माता हैं इसलिए अपनी शिक्षण क्षमताओं में विकास और छात्रों में

सैकड़ो वर्षों बाद नौ शुभ योग में नवरातत्रा पर्व

October 14, 2023

सैकड़ो वर्षों बाद नौ शुभ योग में नवरातत्रा पर्व 15 – 23 अक्टूबर 2023 पर विशेष गज पर सवार होके

शादी-ब्याह: बढ़ता दिखावा-घटता अपनापन

October 14, 2023

शादी-ब्याह: बढ़ता दिखावा-घटता अपनापन भौतिकता की पराकाष्ठा के समय में जिसमें प्रत्येक कार्य व रिश्तों को धन की बुनियाद पर

इजरायल-हमास युद्ध – भारत नें ऑपरेशन अजय लॉन्च किया

October 14, 2023

इजरायल-हमास युद्ध – भारत नें ऑपरेशन अजय लॉन्च किया इजराइल ने फाइनल ऑपरेशन लिया हाथ में – भारत अमेरिका सहित

PreviousNext

Leave a Comment