Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

बालिकाओं को कौशलता विकास के साथ सशक्त बनाएं

बालिकाओं को कौशलता विकास के साथ सशक्त बनाएं बालिकाओं में आज की सशक्त लड़की के साथ कल की कार्यकर्ता मां …


बालिकाओं को कौशलता विकास के साथ सशक्त बनाएं

बालिकाओं को कौशलता विकास के साथ सशक्त बनाएं

बालिकाओं में आज की सशक्त लड़की के साथ कल की कार्यकर्ता मां उद्यमी घर का मुखिया संरक्षक राजनीतिक नेता दोनों होने की क्षमता है – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

गोंदिया -17 सितंबर, 2023 से नई दिल्ली में केंद्रीय क्षेत्र की योजना (पीएम)-विश्वकर्मा की शुरुआत हुई। इस नई योजना का उद्देश्य अपने हाथों और सामान्य उपकरणों से काम करने वाले पारंपरिक कारीगरों व शिल्पकारों को मान्यता देना और उन्हेंव्यापक सहायता प्रदान करना है, जिससे उनके उत्पादों की गुणवत्ता, स्तर व पहुंच में सुधार हो सके और उन्हें एमएसएमई मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत किया जा सके जो एक सराहनीय कार्य है। आदि अनादि काल से भारतीय संस्कृति में महिलाओं का बहुत सम्मान किया जाता रहा है। उन्हें देवियों का अवतार माना जाता रहा है, परंतु बड़े बुजुर्गों की कहावत सत्य ही है कि, समय कभी एक सा नहीं रहता परंतु उनकी वह भी शिक्षा है कि वह अपनी सकारात्मक सोच सच्चाई नारी सम्मान परमार्थ बुरी नजर से बचना सहित अनेक गुणों को समय के साथ न बदलते हुए स्थाई रखना मानवीय स्वभाव में समाहित करना जरूरी है। परन्तु जैसे-जैसे समय बीतता गया इनकी स्थिति में काफी बदलाव आया,लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने लगी, बालविवाह प्रथा, सती प्रथा, दहेज़ प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या इत्यादि रुढ़िवादी प्रथायें काफी प्रचलित हुआ करती थी, इसी कारण लड़कियों को शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार और चिकित्सा जैसे अधिकारों से वंचित रखा जाने लगा था, लेकिन अब इस आधुनिक युग में लड़कियों को उनके अधिकार देने और उनके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं। भारतीय सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है और कई योजनायें लागू कर रही है।
साथियों बात अगर हम बालिकाओं की शक्ति को साकार करने में निवेश की करें तो, ये एक असाधारण रूप से महत्वपूर्ण चरण से गुजरती हैं जहां उन्हें एक सुरक्षित, शिक्षित और स्वस्थ जीवन शैली सुनिश्चित करके दुनिया को बदलने के लिए सही साधनों के साथ सशक्त बनाया जा सकता है। उनमें आज की सशक्त लड़की के साथ-साथ कल की कार्यकर्ता, मां, उद्यमी, संरक्षक, घर का मुखिया या राजनीतिक नेता दोनों होने की क्षमता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, किशोरियों की शक्ति को साकार करने में निवेश आज उनके अधिकारों को कायम रखता है और एक अधिक न्यायसंगत और समृद्ध भविष्य का वादा करता है, जिसमें जलवायु परिवर्तन, राजनीतिक संघर्ष की समस्याओं को हल करने में आधी मानवता एक समान भागीदार है, आर्थिक विकास, बीमारी की रोकथाम और वैश्विक स्थिरता।

साथियों बात अगर हम भारत की करें तो,भारतीय समाज में सदियों से बेटियों को कई प्राचीन कुप्रथाओ, रीति-रिवाजों, के चलते प्रताड़ित होना पड़ा है। आज भी निर्भया जैसा कांड शर्मनाक है। कहने को हम आधुनिक हो चले हैं पर आज भी बहुत सारी ऐसी घटनाएं होती है जिन्हें सुनकर समाज का असभ्य चेहरा सामने आता है। आज भी भारतीय समाज में भ्रूण हत्या, दहेज़ प्रथा, यौन शोषण, बलात्कार जैसे अनैतिक कृत्य नहीं रुक रहे हैं। प्रशासन के साथ-साथ हर निजी व्यक्ति की भी एक सामाजिक जिम्मेदारी होती है। बेटियों को अच्छे संस्कार,नैतिक मूल्यों का महत्तव,महान महिलाओं की गाथाओं और धार्मिक संस्कारों से परिचित कराना अभिभावकों का कर्तव्य है।बाहर ही नहीं बल्कि घर में भी वह भेदभाव, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। इसलिए लड़कियों को शिक्षित करना हमारा पहला दायित्व है और नैतिक अनिवार्यता भी। शिक्षा से लड़कियां न सिर्फ शिक्षित होती हैं बल्कि उनके अंदर आत्मविश्वास भी पैदा होता है। वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती हैं साथ ही यह गरीबी दूर करने में भी सहायक होती है।

 
साथियों हालांकि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ भारत सरकार ने 2015 में योजना शुरू की थी। इसका उद्देश्य देश में हर बालिका को शिक्षा प्रदान करना है। यह बाल लिंग अनुपात में गिरावट के मुद्दे को भी संबोधित करता है। योजना का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना उनकी सुरक्षा करना है। यह योजना त्रि-मंत्रालयी प्रयास है। इसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, मानव संसाधन विकास और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा और 2015 में विश्व नेताओं द्वारा अपनाए गए इसके 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में प्रगति के लिए एक रोडमैप शामिल है जो टिकाऊ है और किसी को पीछे नहीं छोड़ता है। 17 लक्ष्यों में से प्रत्येक लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को प्राप्त करने का अभिन्न अंग है।

साथियों बात अगर हम बदलते परिपेक्ष की करें तो, वक़्त के साथ समाज की प्राथमिकताएं बदलती है सोच औऱ आदतें बदलती है निरंतर विकास की ओर कदमों की छाप बढ़ती जाती है इसी तरह ग्रामीण लोगों के नज़रिये में बदलाव आने लगा है। अब वह न केवल लड़कियों को क्रिकेट – फुटबॉल खेलने के लिए प्रोत्साहित करने लगे हैं बल्कि इससे जुड़ी हर गतिविधियों में सहयोग भी करते हैं। लेकिन ये भी सच है लैंगिकता के मायने लड़कियों और लड़कों, महिलाओं और पुरुषों में महिलाओं ने समानता सदैव चुनौतियों का सामना किया चाहे ग्रामीण इलाकों रहे हो या शहरी। ग्रामीण क्षेत्र अब भी महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर चाहे पहनावे से लेकर हो या नौकरी करने तक इक़ संकुचित सोच के दायरे में सिमटा हुआ है।

खिलती हुई कलियाँ हैं बेटियाँ,
माँ-बाप का दर्द समझती हैं बेटियाँ,
घर को रोशन करती हैं बेटियाँ,
लड़के आज हैं तो आने वाला कल हैं बेटियाँ।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि, आओ बालिकाओं को कौशलता विकास के साथ सशक्त बनाएं।दुनिया को बदलने के लिए सही साधनों के साथ बालिकाओं में आज की सशक्त लड़की के साथ कलकी कार्यकर्ता मां उद्यमी संरक्षक घर का मुखिया राजनीतिक नेता दोनों होने की क्षमता है इसलिए उन्हें सुरक्षित शिक्षित सशक्त और सवस्थ जीवन शैली सुनिश्चित करना समय की मांग है।

About author

kishan bhavnani

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 

किशन सनमुख़दास भावनानी 

Related Posts

Lekh aa ab laut chalen by gaytri bajpayi shukla

June 22, 2021

 आ अब लौट चलें बहुत भाग चुके कुछ हाथ न लगा तो अब सचेत हो जाएँ और लौट चलें अपनी

Badalta parivesh, paryavaran aur uska mahatav

June 12, 2021

बदलता परिवेश पर्यावरण एवं उसका महत्व हमारा परिवेश बढ़ती जनसंख्या और हो रहे विकास के कारण हमारे आसपास के परिवेश

lekh jab jago tab sawera by gaytri shukla

June 7, 2021

जब जागो तब सवेरा उगते सूरज का देश कहलाने वाला छोटा सा, बहुत सफल और बहुत कम समय में विकास

Lekh- aao ghar ghar oxygen lagayen by gaytri bajpayi

June 6, 2021

आओ घर – घर ऑक्सीजन लगाएँ .. आज चारों ओर अफरा-तफरी है , ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत का

Awaz uthana kitna jaruri hai?

Awaz uthana kitna jaruri hai?

December 20, 2020

Awaz uthana kitna jaruri hai?(आवाज़ उठाना कितना जरूरी है ?) आवाज़ उठाना कितना जरूरी है ये बस वही समझ सकता

azadi aur hm-lekh

November 30, 2020

azadi aur hm-lekh आज मौजूदा देश की हालात देखते हुए यह लिखना पड़ रहा है की ग्राम प्रधान से लेकर

Previous

Leave a Comment