Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh, Veena_advani

फर्श से अर्श तक आने वालों से सीखने वाला ही- कलाकार

फर्श से अर्श तक आने वालों से सीखने वाला ही- कलाकार ट्विटर की दुनिया से लेकर इंस्टाग्राम या यूॅं कह …


फर्श से अर्श तक आने वालों से सीखने वाला ही- कलाकार

ट्विटर की दुनिया से लेकर इंस्टाग्राम या यूॅं कह लो कि सोशल मिडिया का हर एक प्लेटफॉर्म ले लो , अब इसमें कहें तो पेपर भी आ गया तो टी.वी. , न्यूज चैनल आदि सभी एप वेबसाईट, ब्लोगर्स आदि सभी को सम्मिलित कर , जब मैं देखती , सुनती या पढ़ती रहती हूॅं । तो आखिर अब तक मुझे ये मसला समझ क्यों नहीं आता या यूॅं कह लो क्यों नहीं समझ पा रही मैं नादान ? फिर खुदी से सवाल किया कि शायद मैं समझ नहीं पा रही या जो सोशल मिडिया के कुछ लोग हैं वो समझ नहीं पा रहे । अरे कोई तो स्पष्टवादी बन दूसरे सभी या मुझे समझा मेरी समझ (मेरे दिमाग की लाईट को जला दो ज़रा) को पॉलिश कर स्पष्ट करो । पता है मसला क्या है ? खैर आप सभी को पता भी कैसे चलेगा , मेरे भीतर समाए सवालों या उथल-पुथल के बारे मे । जब मैं आपको बताऊंगी तो ही तो आप जान पाएंगे ना । तो चलो खुलासा कर आप सभी को अपने अंदर उठे भूचाल से मिलवा ही देती हूॅं । मैं जानती ही हूॅं आप ही पाठक तो हैं , जो मेरे सवालों का जवाब दे सकते हैं । चलो तो जानते हैं मैं किस बात की ओर इशारा कर रही हूॅं ….

उससे पहले मुझे एक बात जो की आप सभी से पूछनी है जो कि मैंने गुगल पर सर्च कर पढ़ने के बाद जानी थी कि मशहूर फिल्म अभिनेता रजनीकांत जी बैंगलोर में एक बस कंडक्टर थे , उनकी इच्छा, लगन , जज़्बे , बुलंद हौसलों से लड़ वो आज खुद को आग में तपाकर फिल्म इंडस्ट्री में दाखिल हुए यहॉं तक की कुछ जगह अपमान भी सहा पर हिम्मत नहीं हारी आज उन सब बलिदानों को देने के बाद वो दक्षिण क्षेत्र के सबसे बेहतरीन कलाकार हैं । परंतु किसी की दया रहमों कर्म से नहीं अपने दम़ पर इसलिए लोग उन्हें भगवान का दर्जा देते हैं और उनके नाम का तो मंदिर भी बनवा दिया । उनका किसी ने भी विरोध करते हुए अपमानित नहीं किया की एक कंडक्टर हीरो कैसे बन गया न ही किसी ने सवाल उठाया क्यों सही कह रही ना मैं ? अपने मेहनत और लक्ष्य बना लो तो मुकाम मिल ही जाता है ।

कभी-कभी तो किस्मत का तारा ऐसी बुलंदियों पर होता की हमारी प्रतिभा को देख सामने से जैसे खुद किस्मत चली आती और कहती अरे पूछती मेरे भाई क्या तुम मेरे साथ बुलंदियों पर चलोगे ? हाय ! कितने नसीब वाला होगा ना वो इंसान जिसे किस्मत में कोई एक आध इंसान सामने से आकर आफॅर दे आगे बढ़ने का । जैसे जरूरत हमें नहीं, जरूरत किस्मत को हो हमारी ।

चलिए दूसरा भी उदाहरण देती हूॅं आदरणीय अक्षय कुमार जी का वो भी मार्शल आर्ट के टीचर रहे , उन्होंने अन्य बहुत से साधारण कार्य भी किए परंतु किस्मत का लिखा भला कोई कैसे मिटा सकता है । मैंने तो गुगल पर अक्षय कुमार की जीवनी टटोली तो पता चला वो तो वेटर का भी काम कर चुके । खैर किम कोई छोटा बड़ा नहीं होता बस आजीविका का साधन हो कोई न कोई तो वो भी सम्मान से भरा । अगर उनके नसीब में एक सफल अभिनेता बनना लिखा था वो बने मेहनत की यदि इंसान अक्षय कुमार जी , रजनीकांत जी या अमिताभ बच्चन जी की तरह मेहनती हो और कुछ कर दिखाने का जज़्बा रखता हो तो कोई चट्टान भी रास्ता रोक नहीं सकती जैसे पानी को कोई रोक नहीं सकता ठीक उसी तरह कोई किसी के बढ़ते कदमों को रोक नहीं सकता ।

अब बात यहॉं पर उठती है मेरे मन के भीतर उठे सवाल की तो मुझे ये बताईए कि इन सभी के खिलाफ तो कभी कोई कुछ अनुचित शब्द कभी नहीं बोला सबने इनके दृढ़ रहने की तारीफ कर इन्हें सिरमौर बनाया इनकी एक झलक के लिए तो लोग इनके बंगलों के बाहर रात-रात भर गुज़ार देते शायद यही सोच की इनकी एक झलक मिल जाए तो जीवन सफ़ल हो जाए । तो मुझे ये बताईए कि आखिर आप सभी की समस्या क्या है ? यही जब सब कुछ हमारे देश के आदरणीय प्रधानमंत्री जी को लेकर हुआ तो क्यों लोग उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश करते । क्यों आखिर ? उनके फर्श से अर्श पर आना या गरीबी से देश की सल्तनत तक पहुंचना ? या उनके हर एक सही नेतृत्व, सही फैसले जो सभी के हित में हैं या दिन प्रतिदिन उनकी श्रेष्ठता के चर्चे , जो देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी लोहा मनवा रहे या कुछ ओर क्या परेशानी आप सभी की जो कटु शब्द से उन्हें उच्चारण करते ।

क्या एक गरीब को सपने देखने का हक नहीं ? क्या जिसने कभी लोगों के बुरे शब्द भी सुने होंगे उसने उन बुरे शब्दों की मार को ही हथियार बना आगे बढ़ना ही अपना कर्तव्य माना होगा । ये कौन सी डिक्शनरी में लिखा है कि एक चाय वाला ऊंचे पद को प्राप्त नहीं कर सकता ? काबलियत है तो इंसान कुछ भी कर सकता है ।

अब सोचिए उस इंसान के बारे में जिसमें कितनी काबलियत कूट-कूट कर भरी थी , सही सोच , सभी का हित , विशिष्ट तरह के निर्णय लेने कि जिसने पानी को बोटलों में भर बेच कर लाखों से अरबों कमा लिए ।

तो वही गुण होगा हमारे मोदी जी मे तभी तो वो आज करोड़ों के दिलों में घर बना सके , अपने दूरदृष्टी को एकाग्र कर टकटकी लगा सिर्फ एक जगह देखो और सदैव सकारात्मक बोलो या सोच रखो तो वो सोच खुद चलकर आपके कदमों में नतमस्तक होगी । वही तो हुआ है मोदी जी के साथ फिर ऐसे में उन्हें चायवाला -चायवाला कहकर या फर्श से अर्श तक पहुंचने को ग़लत बताकर अपनी ही अशुद्ध वाक्चातुर्य , सोच का परिचय दे रहे लोग इन लोगों में आम जनता से लेकर महान उच्च पद् आसीन भी सम्मिलित हैं मैं सभी की नहीं कुछ लोगो की बात कर रही जो कटु शब्द बोलना ही अपनी महानता बताते हैं । मैं यहॉं किसी के पक्ष में नहीं लिख रही मेरा किसी भी पार्टी से कोई लेना-देना नहीं बस मैं ये बताना चाहती हूॅं की कोई किसी की किस्मत खा नहीं सकता किस्मत में होगा तो मिलेगा ही और नहीं होगा तो सर पटकते रहो फिर भी नहीं मिलेगा । विरोध में अपशब्द बोलना है तो सभी उन फर्श से उठे अर्श तक के लोगों पर सवाल उठाऐं । सिर्फ एक पर नहीं । इससे सोशल मिडिया पर विडियो बनाने वाले सच कहूं स्वयं का खून जला रहे , खून जलाने से बेहतर है सीखो आप उनसे या उनकी जीवनी पढ़ कि उनकी सफर किन कॉंटओं पर चलकर आज फूलों तक पहुंचा ताकी आपको भी सीख के इस तरह के ऊंचे मुकाम प्राप्त हो सकें। फर्श से अर्श तक भी जाना कोई बच्चों का खेल नहीं बहुत बलिदान दिये होंगे उन तमाम लोगों ने तब जाकर वो अर्श पा सके खैर यही सलाह है । वैसे तो कोई भी किसी की किस्मत मिटा नहीं सकता । आप भी कोशिश करें किस्मत आप सभी पर भी मेहरबान हो शायद । विशेष सलाह ऐसे लोगों की जीवनी पढ़ आगे बढ़े सीखें उनसे और चलने की कोशिश करें उस कॉंटे भरी राह पर जिस पर चल कुछ लोग आज भरी भीड़ में अपनी अलग पहचान बना कामयाब बने , यूॅं छींटाकशी से आप खून तो अपना जलाएंगे ही और आगे भी नहीं बढ़ पाएंगे ।

About author 

वीना आडवाणी तन्वी नागपुर, महाराष्ट्र

वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र


Related Posts

शरद पूर्णिमा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण

October 28, 2023

शरद पूर्णिमा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण हिंदू कैलेंडर में सभी व्रत त्यौहार चंद्रमा की कलाओं के अनुसार निर्धारित तिथियों पर मनाए

दशानन: एक वैचारिक अध्ययन | Dashanan: A Conceptual Study

October 23, 2023

दशानन: एक वैचारिक अध्ययन नवरात्रों के अवसर पर माता के पंडालों के दर्शन हेतु बाहर जाना होता था तो बाजार

बदलती रामलीला: आस्था में अश्लीलता का तड़का

October 23, 2023

बदलती रामलीला: आस्था में अश्लीलता का तड़का जब आस्था में अश्लीलता का तड़का लगा दिया जाता है तो वह न

कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत

October 22, 2023

कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत नवरात्रि का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। नौ दिनों

अंतरिक्ष की उड़ान भरने भारत का पहला ह्यूमन मिशन गगनयान

October 22, 2023

अंतरिक्ष की उड़ान – गगनयान ने बढ़ाया भारत का मान – भारत की मुट्ठी में होगा आसमान अंतरिक्ष की उड़ान

भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते

October 20, 2023

भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे

PreviousNext

Leave a Comment