Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

परिंदे की जात-लघुकथा

लघुकथापरिंदे की जात लाल्टू ने घर को आखरी बार निहारा l घर जैसे उसके सीने में किसी कील की तरह …


लघुकथा
परिंदे की जात

परिंदे की जात-लघुकथा

लाल्टू ने घर को आखरी बार निहारा l घर जैसे उसके सीने में किसी कील की तरह धँस गया था l उसने बहुत कोशिश की लेकिन, कील टस से मस ना हुआ l उसने सामने खुले मैदान में नजर दौड़ाई l सामने बड़े -बड़े पहाड़ खूब सूरत वादियाँ l कौन इस जन्नत को छोड़ कर जाने की बात भी सोचता है l लेकिन वो अपने बूढ़े बाप और अपने बच्चों का चेहरा याद करता है l तो ये घाटी अब उसे मुर्दों का टीला ही जान पड़ती है l इधर घाटी में जबसे मजदूरों पर हमले बढ़ें हैं l उसके पिताजी और उसके बच्चों का हमेशा फोन आता रहता है l कि कहीं कुछ… l उसके बूढ़े पिता कोई बुरी घटना घाटी के बारे में सुनतें नहीं कि उसका मोबाइल घनघना उठता है l चिंता की लकीरें लाल्टू के चेहरे पर और घनी हो जातीं हैं l
बूढ़ा असगर जाने कबसे आकर लाल्टू के बगल में खड़ा हो गया था l उसकी नजर अचानक बूढ़े असगर पर पड़ी l
लाल्टू झेंपता हुआ बोला – ” अरे चचा आईये बैठिये..l ”
” तुमने, तो जाने का इरादा कर ही लिया है l तो मैं क्या कहूँ..? लो यह पश्मीना साल है.. l रास्ते में ठंँढ़ लगेगी तो ओढ़ लेना l ” असगर चचा ने तह किये हुए साल को पन्नी से निकाला और लाल्टू के कंँधे पर डाल दिया l
इस अपनत्व की गर्मी के रेशे ने एक बार फिर, से लाल्टू की आँखें नम कर दीं l
असगर चचा ने धीरे – से उसके कँधे दबाये l और हाथ से उसके कँधे को बहुत देर तक सहलाते रहें l
असगर चचा को कहीं ये एहसास हुआ कि ज्यादा देर तक वो इस तरह रहें l तो उनकी भी आँखें भीगनें लगेंगी l
उन्होनें विषयांतर किया , और बोले- ” चाय पियोगे.. ? “
लाल्टू ने हाँ में सिर हिलाया l
बूढ़े असगर ने नदीम को आवाज़ लगाई – ” नदीम जरा दो कप चाय दे जाना l थोड़ी देर में नदीम दो प्यालों में गर्मा- गर्म चाय लेकर आ गया l ”
चाय पीते हुए बूढ़ा असगर बोला – ” ठीक, है अब तुम भी क्या कर सकते हो ? जब यहाँ लोग ड़र के साये में जीने को मजबूर हैं l वहाँ तुम्हारे वालिद और बच्चे परेशान हैं l यहाँ क्या है ? फुचके अब ना बिकेंगे l तो चाय बेचने लगूँगा l आखिर कहीं भी रहकर कमाया – खाया जा सकता है l तुम जहाँ रहो खुश रहो l अपने वालिद और अपने बच्चों को देखो l जमाना बहुत खराब आ गया l पहले लोग इंसानियत और कौम के लिए जान दे देतें थें l लेकिन, अब इन नालायकों को जेहाद और आतंकवाद के अलावे कुछ नहीं सूझता l जेहाद बुराई को खत्म करने के लिए किया जाता है l बुरा बनने के लिए नहीं l इस्लाम में कहीं नहीं लिखा है l कि बेगुनाहों, और मजलूमों को कत्ल करो l ये सब वही लड़कें हैं l जिन्हें धर्म के नाम पर उकसाया जाता है l और सीमापार बैठे हुक्मरान इनसे खेलतें हैं l ”
बहुत देर से चुप बैठा नदीम भी आखिरकार चुप ना रह सका l बोला – ” तमिलनाडु में एक कंपनी ने तो एक ऐसा विज्ञापन निकाला है l जिसमें लिखा है कि वो नौकरियाँ केवल हिंदुओं को देगा l मुसलमानों को नहीं !
आखिर जो हो रहा है l एकतरफा तो नहीं हो रहा है ना l ”
अचानक से चचा के शब्दों में अफसोस उतर आया l वो नदीम को घूरते हुए बोले – ” आज सालों पहले लाल्टू यहाँ आया था l और पता नहीं कितने मजदूर यहाँ काम की तलाश में आयें होंगे l ये देश जैसे तुम्हारा है वैसे लाल्टू का भी है l कोई भी कहीं भी देश के किसी भी हिस्से में जाकर मजदूरी कर सकता है l कमाने- खाने का हक सबको है l लाल्टू आज भी मुझे अपने वालिद की तरह ही मानता है l गोलगप्पे मैं बेलता हूँ l छानता वो है l रेंड़ी मैं लगता हूँ l रेंड़ी धकेलता वो है l मैंने कभी तुममें और लाल्टू में अंतर नहीं किया l बेचारा हर महीने जो कमाता है l अपने घर भेज देता है l साल – छह महीने में वो कभी घर जाता है l तो अपने बूढ़े बाप और बाल बच्चों से मिलने l मेरा खुदा गवाह है l कि मैंने कभी इसे दूसरी किसी नजर से देखा हो l इस ढंँग की हरकतें सियासदाँ करें l उनको शोभा देता होगा l हम तो इंसान हैं ऐसी गंदी हरकतें हमें शोभा नहीं देतीं ! हम तो मिट्टी के लोग हैं l और हमारी जरूरतें रोटी पर आकर सिमट जाती है l रोटी के आगे हम सोच ही नहीं पाते l हिंदू – मुसलमान भरे- पेट वालों लोगों के लिए होता है l खाली पेट वाले रोटी के पीछे दौड़ते हुए अपनी उम्र गँवा देतें हैं l इसलिए नदीम दुनियाँ में आये हो तो हमेशा नेकी करने की सोच रखो l बदी से कुछ नहीं मिलता बेटा l बेकार की अफवाहों पर ध्यान मत दो बेटा l इस तरह की अफवाहों पर कान देने से अपना ही नुकसान है , नदीम l ऐसी अफवाहें घरों में रौशनी नहीं करतीं l ना ही शाँति के लिये कँदीलें जलातीं हैं l बल्कि पूरे घर को आग लगा देतीं हैं l मै उन नौजवानों से भी कहना चाहता हूँ l जो इस तरह के कत्लो- गारत में यकीन रखतें हैं l बेटा उनका कुछ नहीं जायेगा l लेकिन तबतक हमारा सबकुछ जल जायेगा ! ”
बाहर की खिली हुई धूप में कुछ कबूतर उतर आयें थें l बूढ़ा असगर गेंहूँ के कुछ दाने कोठरी से निकाल लाया l और, उनकी तरफ फेंकनें लगा l ढ़ेर सारे कबूतर वहाँ दाना चुगने लगें l
बूढ़ा असगर, उनकी ओर ऊँगली दिखाते हुए लाल्टू और नदीम से बोला – ” देखो ये हमसे बहुत बेहतर हैं l अलग- अलग रंँगों के होने के बावजूद ये एक साथ बैठकर दाना चुग रहें हैं l ये बहुत बुद्धि मान नहीं हैं l फिर, भी ये आपस में कभी नहीं लड़तें l लेकिन, आदमी इतना बुद्धि मान होने के बावजूद भी जातियों और मजहबों में बँटा हुआ है l इन कबूतरों से आदमी को बहुत सीखने की जरूरत है l ”
लाल्टू ने नजर दौड़ाई दोपहर धीरे- धीरे सुरमई शाम में तब्दील होने लगी थी l उसने एक बार रेंड़ी को छुआ l फिर, उन बर्तनों पर सरसरी निगाह दौड़ाई l बिस्तर को निहारा l ये सब वो आखिरी बार निहारा रहा था l पिछले दस- बारह सालों से वो कश्मीर के इस हिस्से में रेंड़ी लगाता आ रहा था l सब छूटा जा रहा था ..!
उसकी बस किनारे आकर लगी l लाल्टू चलने को हुआ l
बूढ़ा असगर दौड़कर बस तक आया l उसने लाल्टू को सीने से लगा लिया l लाल्टू और बूढ़ा दोनों रोने लगे l
बूढ़ा असगर बोला – ” अपना ख्याल रखना ! कभी हमारी याद आये l और हालात ठीक हो जायें तो चले आना l ”
” आप भी.. अपना ख्याल रखना.. बाबा..! ” झेंपता हुए वो बस की सीट पर बैठ गया l उसने बैग से पश्मीना शाॅल निकाला और ओढ़ लिया l सुरमई शाम धीरे – धीरे रात में बदल गई l

सर्वाधिकार सुरक्षित
महेश कुमार केशरी
C/O -मेघदूत मार्केट फुसरो
बोकारो झारखंड
पिन-829144
मो-9031991875

email-keshrimahesh322@gmail.com


Related Posts

पिता का कर्ज़दार

August 22, 2022

“पिता का कर्ज़दार” कमल के सर पर हाथ रखकर शीतल ने पूछा क्या हुआ कमल आज नींद नहीं आ रही?

लघुकथा -तिरंगा/tiranga

August 14, 2022

लघुकथा -तिरंगा विजय ना जाने क्यों झंडे की ही पूजा करते मिलता है, उसे कभी किसी देवता की पूजा करते

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी जी की लघुकथाएँ

August 5, 2022

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी जी की लघुकथाएँ 1)चादर देखकर कोरोना से पीड़ित दो आदमी एक ही निजी हस्पताल में भर्ती

लघुकथा बहन की अहमियत

June 24, 2022

 लघुकथाबहन की अहमियत सुधीर श्रीवास्तव          पहली बार जब रीना ने ऋषभ के पैर छुए तो उसके

लघुकथा बुजुर्गों का सम्मान

June 24, 2022

 लघुकथाबुजुर्गों का सम्मान सुधीर श्रीवास्तव       बीते समय में बुजुर्गों का सम्मान करना एक परंपरा ही थी, जिस

Five short stories by mahesh keshri

June 5, 2022

Five short stories by mahesh keshri Five short stories by mahesh keshri महेश कुमार केशरी जी के द्वारा लिखित पांच

PreviousNext

Leave a Comment