Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Aalekh, Bhawna_thaker, lekh

न लिंग भेद होता न नारीवाद पनपता

“न लिंग भेद होता न नारीवाद पनपता” Pic credit–Image by YuliiaKa “खुली रखो बेटियों के लिए भी एक छोटी सी …


“न लिंग भेद होता न नारीवाद पनपता”

न लिंग भेद होता न नारीवाद पनपता
Pic credit–Image by YuliiaKa

“खुली रखो बेटियों के लिए भी एक छोटी सी खिड़की जो आसमान की ओर खुलती हो, परवाज़ दो आज़ादी की, हौसला दो बुलंदियों का, कितनी प्रशस्त लगती है वो लड़की जो मुक्त गगन में उड़ती हो”

कुछ महानुभावों को लगता है, “फ़ेमिनिज़म” यानी नारीवाद, या स्त्री स्वतंत्रता जैसी विचारधारा स्त्रियों का पुरुषों पर विजय पाने का नाम है। जब भी उनके आगे महिला सशक्तिकरण की बात करो चीढ़ जाते है। उनको स्त्रियों का आज़ाद होना, आगे बढ़ना, या पहचान बनाना अखरता है। मर्दों का एक वर्ग हंमेशा महिलाओं को मर्दों से दो कदम पीछे ही चलना चाहिए ऐसी राय रखता है। उनसे जुड़ी औरतों की तरक्की उनको बरदाश्त नहीं। पर आजकल की 50% औरतें उन मर्दों की संकुचित मानसिकता का दायरा तोड़ कर आगे बढ़ चुकी है।
नारीवाद यह विश्वास है कि पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए। यह लिंगों की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक समानता का सिद्धांत है। नारीवाद का मतलब ये हरगिज़ नहीं की महिलाएँ मर्दों को पीछे छोड़ना, या नीचा दिखाना चाहती है। नारीवाद का अर्थ है महिलाएँ अपने बल बूते पर आगे बढ़कर अपनी पहचान बनाना चाहती है। घर संसार चलाने में पति के कँधे से कँधा मिलाकर साथ देना चाहती है।
 
न लिंग भेद होता न नारीवाद पनपता। 
Gender inequality
आज इक्कीसवीं सदी में भी कुछ घरों में बेटियों के प्रति अनमना व्यवहार किया जाता है। इसलिए महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हर तीसरा लेखक कलम उठाता है। अपना वजूद बचाना और पहचान बनाना गलत तो नहीं? हर इंसान को अपना स्वतंत्र अस्तित्व स्थापित करने का हक है। परिवर्तन संसार का नियम है और समय के साथ चलकर औरतें अब आसमान छू रही है। बेशक उस स्वतंत्रता की कीमत औरतों को बहुत बड़ी चुकानी पड़ती है। समाज हर आगे बढ़ने वाली महिला से तगड़ी कीमत वसूल करता है। औरतों के लिए मंज़िल तक पहुँचना आसान नहीं। बहुत कुछ सुनना पड़ता है, सहना पड़ता है और झेलना पड़ता है।
स्त्री स्वतंत्रता मर्दों के साथ प्रतियोगिता का नाम नहीं। आज की स्त्री ये जताना चाहती है की वो मर्दों पर निर्भर नहीं। एक भ्रम जो पितृसत्तात्मक वाली सोच ने पाल रखा है उसका खंडन करना चाहती है।
महिलाएं इस प्रगतिशील भारत को विकसित बनाने के लिए हर क्षेत्र में अपना योगदान देती है। फिर भी उन्हें कई बार अलग-अलग रूपों में प्रताड़ित किया जाता है तथा उनके अधिकारों का हनन किया जाता है। आज हर साल किसी भी परीक्षा में महिलाएँ समान रूप से शामिल होती है, तथा कई बार पुरुषों से अधिक अंक भी लातीं है। परंतु कहीं ना कहीं यह भी सच है कि पैतृक सत्ता समाज होने के कारण पुरुषों को ही मान सम्मान दिया जाता है। आज भी कई ऐसे प्रांत है जहाँ बेटियों के होने पर निराशा ज़ाहिर की जाती है, या कोख में ही बेटियों का कत्ल कर दिया जाता है।
हर आगे बढ़ती औरत ये कहना चाहती है कि बस, एक मौका दीजिए औरतें मर्दों से किसी भी पहलू से कमतर नहीं। हर क्षेत्र को संभालने की ताकत और हिम्मत रखती है। अगर मौका मिले तो हर औरत अपना लक्ष्य तय करते सुरक्षित जीवन की नींव रखकर अपनी एकल पहचान बनाने में सक्षम होती है। औरतें मानसिक तौर पर पुरुष के मुकाबले ज़्यादा सशक्त और सहनशील होती है, पर सदियों से थोपी गई कुछ रवायतें कुछ औरतों के पैरों में आज भी बेड़ियाँ डालें पड़ी है।
हकीकत में हर पुरुष को नारिवाद को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उनकी बेटियाँ, बहनें और माताएं पूर्वाग्रह से मुक्त हो सकें और हर महिलाओं को अपना खुद का एक मंच मिले, जहाँ से उड़ान भरते आगे बढ़ सकें। बेटियों को बेटों के समकक्ष समझकर हर वो सुविधा दीजिए, समानता दिखेगी तो फ़ेमिनिज़म नाम का शब्द अपने आप समाज से मिट जाएगा। अगर लिंग भेद को बढ़ावा न मिलता तो नारिवाद जन्म ही न लेता। पर बेटियों के साथ सदियों से चला आ रहा अन्याय का सिलसिला आज भी जारी है इसलिए महिलाओं को अपना अधिकार पाने के लिए कभी-कभी विद्रोह का सहारा लेना पड़ता है जिसे फ़ेमिनिज़म का नाम दे दिया गया है। क्यूँ आज भी नारी विमर्श लेखकों की पहली पसंद है? हर तीसरा लेखक स्त्री स्वतंत्रता की हिमायत करते लिखता है, इसका मतलब आज भी नारी प्रताड़ित है, आज भी नारी स्वतंत्र नहीं, आज भी अन्याय और अत्याचार होता है। पर अब इस कथन पर काम किया जाए “बेटा-बेटी एक समान जिसमें है जीवन का सार”।

About author

bhawna thaker

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु

Related Posts

Hum hind ki naariya | mahila divas Vishesh

March 8, 2024

 नन्हीं कड़ी में….  आज की बात   हम हिन्द की हैं नारियां... महिला दिवस पर विशेष…. हमारे भारत देश में आज के

AI में भी बना सकेंगे आप अपना कैरियर, जानिए कैसे

March 8, 2024

AI में भी बना सकेंगे आप अपना कैरियर, जानिए कैसे परिचय: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एक गतिशील और तेजी से बढ़ते

जब महिला होगी सशक्त, तब देश उन्नति में न लगेगा वक्त

March 8, 2024

जब महिला होगी सशक्त, तब देश उन्नति में न लगेगा वक्त आज के आधुनिक समय में महिला उत्थान एक विशेष

संतुलन अधिनियम: साझा जिम्मेदारियों के लिए साझेदारी को सशक्त बनाना”

March 8, 2024

“संतुलन अधिनियम: साझा जिम्मेदारियों के लिए साझेदारी को सशक्त बनाना” जिंदगी में सिर्फ बोझा ना उठाओ,स्वयं को थोड़ा समझाओ,एक दूसरे

बड़े काम का रेजोल्यूशन

December 31, 2023

बड़े काम का रेजोल्यूशन एक बार फिर रेजोल्यूशन बनाने का दिन आ ही गया, नए साल के साथ। बिहेवियर साइकोलॉजी

प्रभु श्री राम की प्राणप्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024

December 31, 2023

 नव वर्ष 2024-22 जनवरी 2024 को बजेगा भारत का आध्यात्मिक डंका  विश्व को नए वर्ष 2024 का नायाब तोहफा-प्रभु श्री

Leave a Comment