Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh, Veena_advani

तुम्हारे जज़्बे, सहयोग बिना हम कुछ भी नहीं- बाल सुधार गृह

तुम्हारे जज़्बे, सहयोग बिना हम कुछ भी नहीं- बाल सुधार गृह हां सच! कुछ मजबूरी रही होगी या हो सकता …


तुम्हारे जज़्बे, सहयोग बिना हम कुछ भी नहीं- बाल सुधार गृह

तुम्हारे जज़्बे, सहयोग बिना हम कुछ भी नहीं- बाल सुधार गृह

हां सच! कुछ मजबूरी रही होगी या हो सकता है अपहरण की हुई कहीं से लाई गई हों या उन बेसहारा अनाथ बच्चियों को उनके ही किसी अपने ने धकेल दिया हो उस गंदगी के दलदल में जहॉं हम महिलाएं जाने से भी कतराती हैं। चाहे हम समाजसेविका ही सही परंतु ऐसी जगहों पर धकेली गई उन बच्चियों को जिनकी तो अभी बाल्यावस्था है। जो पूर्णतः रूप से बालिग भी नहीं हुई। एसी बच्चियों से जब मैं मिली बाल सुधार गृह में तो हतप्रभ रह गई उनकी करूण व्यथा सुनकर। सुधार गृह के अंतर्गत बच्चियों के पालनहार स्वरूप जिन महिलाओं को रखा गया था वो सभी महिलाएं देवतुल्य ही तो थी। जो किसी बच्ची को दलदल से निकाल कर उन्हें नवजीवन दिलाने के लिए दिन-रात प्रयासरत थी। यदि हर कोई समाज में इस तरह देह व्यवसाय में लिप्त बच्चियों के प्रति सम्मान दृष्टि रख उन्हें दलदल से निकालने का भरपूर प्रयास कर एक स्वर्ण समान सम्मानित जिंदगी प्रदान कर उनमें आशा की किरण भरता है और उन्हें आश्वस्त करता है कि मैं हूं ना तुम्हारे साथ तो ऐसी बच्चियां भी साहस दिखा, अपनेपन और ममत्व से भरी छांव पाकर खुद आगे बढ़ने का प्रयास निरंतर करेंगी।
कोई भी किसी भी प्रकार का अनैतिक कार्य अपनी मर्जी से नहीं करता। हां अगर किसी भी बच्ची इस तरह के दलदल में धंसी है तो उसे आश्वस्त कर उससे कारण जानने का प्रयास करें। यदि किसी मां-बाप ने स्वयं धकेला होगा तो सबसे बड़ी मजबूरी उनकी गरीबी ही रही होगी परंतु इस गरीबी को कारण बता कर अपने ही अंश को हैवानों के समक्ष परोस देना कहां तक उचित है। बल्कि ऐसी अवस्था में हर राज्य, क्षेत्र, जिलों में बहुत सी सामाजिक संस्थाएं, संगठन मिल कर कार्य कर रहें हैं उन्हें अपनी आप बीती सुनाएं ताकि पूर्णतः न सही कुछ अंश तो मदद् मिल सके। कुछ हो रहा मिलेगी हो सकता है कोई संस्था आपके बच्ची को ही गोद लेकर आपके दायित्व को आंशिक रूप से समाप्त कर स्वयं कर्तव्य निर्वाह करेगी। ऐसी भयावह नर्क भरी जिंदगी से बेहतर तो संस्थाओं से निवेदन करें।
कुछ बच्चियों को शोषण तो तब होता है जब वो खुद के हाथों से खुद के ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारी लेती हैं‌। जैसे की प्रेम जाल का शिकार हो जाना जिसमें पहले लड़के बड़े-बड़े सपने दिखाकर प्रेम जाल में तो फंसा लेते हैं परंतु इन बच्चियों का शारीरिक शोषण कर घर से भगा के भी ले जाते और छोड़ देते एक अनजान शहर, जिले, राज्य न जाने कहां-कहां जहॉं से वह बच्चियां अपने घर भी किस मुंह से जाएं यही सोच कर। भटकती यहां से वहां और इसी बीच कुछ गिद्धों की नज़र उन पर पड़ती वो गिद्ध जिन्हें दलालों के नाम की संज्ञा दी गई है धकेल परोस देते कुछ मोटी राशि के लिए बच्चियों को हैवानों के आगे। ऐसे लोगों का कहां कोई ईमान होता वो तो मजबूरी का सौदा कर भी किसी की मजबूरी को भी आय का स्त्रोत बना लेते। ऐसी बच्चियों के लिए सिर्फ एक संदेश की कभी किसी पर अपने माता-पिता से अधिक विश्वास नहीं करना। हमारे मां-बाप से बढ़कर हमारा इस दुनिया में कोई हितेशी नहीं है।
कुछ बच्चियां तो जन्म से ही जैसे अभागी सी होती हैं जिनको मां की ममता, पिता का साया बचपन से ही नहीं मिला या तो वो अनाथ हैं या वो बच्चियां जो किसी ओर के पापों की सज़ा लावारिस रूप में कूड़ेदानों के ढ़ेर में पाई जाती जिन्हें उनके कोई अपने तो बहुत विश्वास संग अपने साथ रखते परंतु उन्हीं अपनों की नजर ना जाने कब एक अपराधिक नजर में तब्दील हो जाती की पता ही नहीं चलता। इससे तो वो बच्चियां भी अनजान रहती जो अपने घर पनाह दे पालनहार बन तो जाते परंतु कब वहीं अपने उनका शिकार कर देते और धीरे-धीरे रोज़ शिकार होते-होते ये बच्चियां धकेल दी जाती सेक्स अपराध की तरफ़ जिन्हें बहुत से नामों से संबोधन कर बुलाया जाता जैसे- कॉल गर्ल वगैरह-वगैरह। आज मेरी रूह संग मिल मेरी कलम भी उन शब्दों की वेदनाओं को महसूस कर लिखने में साथ नहीं दे पा रही। क्या कसूर उन मासूम से दिखने वाले चेहरों का क्या कोई अपने अंश को इस कदर हैवानों के समक्ष परोस सकता है पर कैसे? मेरा तो कलेजा सोच के ही जैसे बाहर आ रहा है। करूणा के अथाह सागर सा लिप्त हृदय दर्द से भरा जा रहा है।
ऐसे में हमारे समाज, सामाजिक संस्थाओं, संगठनों का एक दायित्व है कि इस तरह सेक्स के जाल में लिप्त बच्चियों के हौसले को पुनः जीवित कर उन्हें एक आशा, उम्मीद की किरण दिखाएं। उन्हें सूर्य की नवनीत रौशनी से मिलाएं। उन्हें शिक्षा, रोजगार स्वरूप कार्यशाला से जोड़ अपने पांवों पर खड़े हो आगे बढ़ने का हौसला बढ़ाएं। जब ऐसी बच्चियों को ममता भरी छांव से भरी संस्थाओं से मिलेगा तो वो भी हिम्मत कर आगे बढ़ अपने लिए क्या सही, क्या ग़लत यह फैसला कर पाऐगी। और जब उसे रोशनी भरी राह मिलेगी तो कुछ पल आपका हाथ थाम और बाद में स्वयं दुनिया के प्रकाश से मिल खुद को दलदल से निकलता देख गौरवान्वित होगी। जब समाज उसे अपना पन देगा तो भूल वो भी अपना भूतकाल वर्तमान भविष्य संवारेंगी साथ ही खुद कुछ सीख कर अपनी जैसी ही बच्चियों बहनों को जागृत कर प्रेरणास्रोत बन मार्गदर्शक भी बन जाएगी। याद रखना बच्चियों यहां रक्षक बहुत कम और भक्षक अधिक मिलते हैं क्यों कि कलयुग है कोई भी आज के वक्त में किसी से बिना मतलब रिश्ता नहीं रखता ऐसे में अगर कोई सुधार गृह आपके जीवन को अंधकार से निकाल स्वर्णिम आभा सी रोशनी भरने का प्रयास करे तो आपको भी सम्मानित संस्थाओं का सम्मान कर बराबर का साथ निभाना होगा। आपके विकास आपके ही हाथ में। आप क्या चाहते रौशनी या अंधेरा ये आप पर निर्भर करता है। रोशनी मतलब समाज में बराबरी का हक अपना खुश का गुरूर सम्मान। अंधेरा मतलब उजालों से दूर हर एक कालिख डरावनी रात। इसलिए आओ हाथ बढ़ाओं और खुद की खुशी ढूंढ़ों इन संस्थानों में ही जो आपके लिए ही नित प्रयासरत हैं । आपसे ही उम्मीद लगाए सच बच्चियों तुम्हारी हिम्मत, जज़्बे, सहयोग बिना हम कुछ भी नहीं। जब हम तुम्हारे साथ हैं तो तुम हारना नहीं। आगे बढ़ना ।

About author

Veena advani
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर , महाराष्ट्र

Related Posts

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी

May 26, 2024

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी अगर आप विजेता बनना चाहते हैं, तो विजेताओं के साथ रहें। अगर आप

विचारों की भी होती है मौत

विचारों की भी होती है मौत

May 26, 2024

प्रत्येक दिन दिमाग में 6,000 विचार आते हैं, इनमें 80% नकारात्मक होते हैं। इन नकारात्मक विचारों से दूर रहने के

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह

May 26, 2024

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह तीरंदाज एक बार में एक ही लक्ष्य पर निशाना साधता है। गोली चलाने वाला एक

जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, | jo log lakshya nhi banate

जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, | jo log lakshya nhi banate

May 26, 2024

 जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, वे लक्ष्य बनाने वाले लोगों के लिए काम करते हैं। यदि आप अपनी योजना

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य

May 26, 2024

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य सबसे पहले अपने जिंदगी के लक्ष्य को निर्धारित करें। अपने प्रत्येक

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही

May 26, 2024

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही पर्यावरण शब्द का चलन नया है, पर इसमें जुड़ी चिंता

Leave a Comment