Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Bhawna_thaker, lekh

तलाक की शमशीर बड़ी तेज होती है चलती है जब रिश्तों के धागे पर तब एक प्यार से पिरोई माला कतरा कतरा बिखर जाती है

 “तलाक की शमशीर बड़ी तेज होती है चलती है जब रिश्तों के धागे पर तब एक प्यार से पिरोई माला …


 “तलाक की शमशीर बड़ी तेज होती है चलती है जब रिश्तों के धागे पर तब एक प्यार से पिरोई माला कतरा कतरा बिखर जाती है” 

तलाक की तलवार कहर ढ़ाती है, दो दिलों के किले पर और इमारत दांपत्य की ढ़ह जाती है। तलाक या (डिवोर्स) महज़ शब्द नहीं एहसासों को विच्छेद करने वाली छैनी है।  

जब दो विपरीत तार जुड़ जाते है तो चिंगारी उठना लाज़मी है। वैसे ही दो अलग स्वभाव के लोग शादी के बंधन में बंध जाते है तो तलाक होना भी तय है। पहले के ज़माने में तलाक लेना एक शर्मनाक काम माना जाता था, समाज का डर और चार लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे वाली फीलिंग्स तलाक लेने से रोकती थी, पर आजकल “तलाक” बहुत आम हो गया है। वैसे तलाक के बहुत सारे कारण होते है, जैसे की सबसे पहला मुद्दा आनन-फानन में हुआ प्यार और जल्दबाजी में हुई शादी उसके चलते अहं का टकराव, पति-पत्नी के बीच हल्की भी दीवार, ख़लिश या कोई राज़ नहीं होना चाहिए पारदर्शी रिश्ता सुमधुर होता है। दूसरा ससुराल वालों का बहू के प्रति गलत रवैया, दहेज का मसला या बहू का ससुराल में मानसिक तौर पर एडजस्ट नहीं होना। तीसरा मायके वालों की बेटी के जीवन में दखल अंदाज़ी, पति का किसी ओर के साथ रिश्ता या बच्चों को लेकर कोई प्रोब्लम। साथ में शोर्ट टैंपर स्वभाव और लड़कियों का अपने पैरों पर खड़ी होना मुख्य कारण है। ये इसलिए कि लड़कियाँ अब किसी पर डिपेंड नहीं रही, आत्मनिर्भर बन चुकी है इसलिए अनमने रिश्ते को लात मारते हरगिज़ नहीं हिचकिचाती। पत्नी के कमाऊ होने की वजह से पत्नियां भी हर अहम फैसले में अपनी भागीदारी चाहती है पर पुरुष अपनी मानसिकता के चलते इस बात को अपने वर्चस्व और अधिकारों के अतिक्रमण के तौर पर लेते है। वे मानते हैं कि फैसले लेने का अधिकार सिर्फ उन्हें ही है।

पर जो लड़की अपने पैरों पर खड़ी नहीं होती उनके लिए तलाक जीवन को तहस-नहस कर देने वाली प्रक्रिया है। बहुत कम लड़कियां ये कदम उठाने की हिम्मत करती है। ज़्यादातर ससुराल में दमन सहते उम्र काट देती है। पर कुछ कारणों से कई बार ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं कि पति-पत्नी का साथ रहना संभव नहीं होता। मजबूरन उन्हें अपने रास्ते अलग करने पड़ते है और ये फैसला पति-पत्नी दोनों को भावनात्मक रूप से तोड़ देता है।

आमतौर पर देखा जाता है की समाज तलाकशुदा महिला को शादीशुदा  जितना सम्मान नहीं दे पाता। तलाक के बाद महिला माता-पिता पर बोझ समझी जाती है ये कड़वी सच्चाई है। डिवोर्सी का टैग उसके नाम से जुड़ जाता है। लड़कों को ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता पर लड़कियों का जीना दूभर हो जाता है। डिवोर्सी लड़कियों के सामने चुनौतियां मुँह फ़ाडकर खड़ी होती है। पर किसी भी रिश्ते में प्यार, विश्वास, भरोसा, सम्मान और खुशी नहीं होगी तो न रिश्तों में गर्माहट होगी और न एक दूसरे को बांधकर रखने की शिद्दत। आत्म सम्मान के साथ समझौता करना किसी भी रिश्ते की बुनियाद कमज़ोर करता है इससे अच्छा है अलग हो जाए। अगर तलाक ले रहे पति-पत्नी के बच्चें होते है तो माँ बाप के सेप्रेशन का बच्चों पर बहुत गहरा असर होता है।

सवाल ये उठता है कि सालों से जुड़ा एक प्यार भरा रिश्ता आख़िर क्यूँ टूट जाता है? दो लोग जो प्यार, इश्क, मोहब्बत की भावना से जुड़ कर अग्नि को साक्षी मानकर दो से एक होते है, साथ-साथ जीने-मरने की कसमें खाते है और बड़े प्यार से ज़िंदगी बसर कर रहे होते है। एक या दो संतान के माता-पिता भी बनते है, सालों साथ रहते है फिर अचानक ऐसा क्या हो जाता है की सालों का रिश्ता खराब हो जाता है। इतने सालों बाद एक दूसरे में क्यूँ कमियां नज़र आने लगती है। क्यूँ अब साथ नहीं रह सकते, इतने सालों बाद क्यूँ बात तलाक तक पहुँच जाती है। कुछ दंपत्ति पंद्रह, बीस, पच्चीस सालों बाद अलग होने का फैसला लेते है तब ताज्जुब होता है। माना सबको अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जीने का संपूर्ण अधिकार है, पर कभी ये भी सोचा है कि बच्चों के दिमाग पर इस सेप्रेशन का क्या असर पड़ता है? बच्चों को माँ-बाप दोनों के प्यार और परवाह की जरूरत होती है। तलाक पति पत्नी के लिए आज़ादी और सुकून का ज़रिया होता है, पर बच्चों के लिए हादसे से कम नहीं होता।

माता-पिता के आपसी विवाद और तलाक का बच्चों के दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। खासकर जब बात कस्टडी की आती है, तो बच्चे के लिए इस स्थिति को समझ पाना बेहद मुश्किल होता है। वैसे तो कानूनी तौर पर सात साल के छोटे बच्चे की कस्टडी मां को ही मिलती है, तब क्या पिता को अपने बच्चे से अलग होना अख़रता नहीं होगा। और बच्चे को पिता से अलग होना कैसा महसूस होता होगा।

बच्चे अपने माता-पिता के तलाक़ को लेकर परेशान हो जाते है कि आख़िर ये हो क्या रहा है? ये मेरे साथ ही क्यों हो रहा है? उम्र के इस दौर में बच्चे को इमोशनली मज़बूत बनाने के लिए माता-पिता दोनों के प्यार व मार्गदर्शन की ज़रूरत होती है। दरअसल बच्चे अपने पैरेंट्स के अलगाव को जल्दी स्वीकार नहीं कर पातें। अपने सबसे क़रीबी रिश्ते को टूटता देख उनका रिश्तों पर से विश्‍वास उठ जाता है। अक्सर देखा गया है कि माता-पिता दोनों का साथ व प्यार न मिल पाने की वजह से बच्चे ज़िद्दी बन जाते है। जब वो दूसरे बच्चों को अपने पैरेंट्स के साथ देखते है, तो उसका मासूम मन आहत हो जाता है और वो ख़ुद को दुर्भाग्यशाली मानकर परेशान हो जाते है। शारीरिक विकास के चलते कुछ उम्र में लड़कियों को मां की स़ख्त ज़रूरत होती है। ऐसे में अगर उनकी कस्टडी पिता के पास है, तो अपनी भावनाओं व परेशानियों को किसी से शेयर न कर पाने की वजह से वो कुंठित हो जाती है। और लड़के भावनात्मक रूप से अपनी माँ के ज़्यादा करीब होते है और पिता की छत्रछाया में खुद को महफ़ूज़ समझते है ऐसे में माँ-बाप का अलग होना बच्चों को मानसिक तौर पर बहुत आहत करता है।

एक ज़िंदगी मिली होती है इंसानों को पर अहं को पालते खुद का और परिवार का कितना बड़ा नुकसान कर लेते है। जहाँ इतने साल बिता लिए वहाँ उम्र भी गुज़ार लेते। क्यूँ कोशिश नहीं करते एक दूसरे को समझने की, क्यूँ असंख्य वर्षगांठ साथ-साथ नहीं मनाते।

About author

भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर
भावना ठाकर ‘भावु’ बेंगलोर

Related Posts

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी

May 26, 2024

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी अगर आप विजेता बनना चाहते हैं, तो विजेताओं के साथ रहें। अगर आप

विचारों की भी होती है मौत

विचारों की भी होती है मौत

May 26, 2024

प्रत्येक दिन दिमाग में 6,000 विचार आते हैं, इनमें 80% नकारात्मक होते हैं। इन नकारात्मक विचारों से दूर रहने के

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह

May 26, 2024

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह तीरंदाज एक बार में एक ही लक्ष्य पर निशाना साधता है। गोली चलाने वाला एक

जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, | jo log lakshya nhi banate

जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, | jo log lakshya nhi banate

May 26, 2024

 जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, वे लक्ष्य बनाने वाले लोगों के लिए काम करते हैं। यदि आप अपनी योजना

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य

May 26, 2024

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य सबसे पहले अपने जिंदगी के लक्ष्य को निर्धारित करें। अपने प्रत्येक

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही

May 26, 2024

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही पर्यावरण शब्द का चलन नया है, पर इसमें जुड़ी चिंता

Leave a Comment