Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Bhawna_thaker, lekh

“ज़रा सोचो क्या हक है हमें नवरात्रि मनाने का”

“ज़रा सोचो क्या हक है हमें नवरात्रि मनाने का” नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है। महिषासुर नामक …


“ज़रा सोचो क्या हक है हमें नवरात्रि मनाने का”

नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है। महिषासुर नामक राक्षक ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर उनसे वरदाना मांगा था कि दुनिया में कोई भी देव, दानव या धरती पर रहने वाला मनुष्य उसका वध न कर सके। इस वरदान को पाने के ​बाद महिषासुर आतंक मचाने लगा, उसके आतंक को रोकने के लिए शक्ति के रुप में माँ दुर्गा का जन्म हुआ। माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक युद्ध चला और दसवें दिन माँ ने महिषासुर का वध कर दिया। उन नौ दिनों की महिमा को दर्शाता नवरात्रि का त्यौहार हम सदियों से मनाते आ रहे है। पर शायद उस राक्षस का अंश कहीं न कहीं छूट गया लगता है। तभी आज गली-गली राक्षस भटक रहे है।

नवरात्रि के दौरान हर घरों में माँ के नौ रूपों का पूजन किया जाता है और नवरात्रि के आख़री दिन शास्त्र अनुसार कंजक या कन्या पूजन करने का हमारे देश में विधान है। ये कंजक पूजन अष्टमी व नवमी पर किया जाता है। इस दिन छोटी कन्याओं को देवी माँ का रूप मानकर पूजा जाता है। कन्‍या पूजन की शुरुआत कन्‍याओं के चरण धोने से होती है। इसके बाद उनको भगवती दुर्गा को लगा चने, हलवा-पूरी, खीर, पुए आदि का भोग का पूरी श्रद्धा से कन्याओं को खिलाया जाता है। इसके बाद उनसे झुककर आशीष लिया जाता है। सत्य और समर्पण भाव से उनको माता ही मानकर उनके आशीर्वाद को स्वीकार करने की यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है।
शास्त्रों के अनुसार कन्‍या पूजन के बिना नवरात्रि पूजा के फल की प्राप्ति नहीं होती है। नवरात्र शक्ति उपासना का पर्व है। देवी पूजा के साथ साथ प्रतीक रूप में कन्या को देवी मानके उनके चरणों का पूजन करने से माता शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पर……..
क्या हक है हमें नवरात्री मनाने का ?
जिस देश में हर दिन हज़ारों बच्चियाँ रोंद दी जाती हो घटिया मानसिकता वाले राक्षसों के हाथों। वो रोता हुआ लम्हा ठहर गया है हमारे दिल की अंजुमन में, कचोटता है जब कन्याओं को देवी का दर्ज़ा देकर पूजते है सब। खून के कतरों से बदहाल या जली हुई जब मासूमों की लाश देखते ही कराह उठता है मन क्या बितती होगी मासूम पर.! नहीं होंगी मातारानी खुश, नहीं पहुँचेगी किसीकी आराधना उसकी चौखट तक, इस अंधे, गूँगे, बहरे समाज में किसीको हक नहीं अपने मुँह से दुर्गा माँ का नाम लेने का भी। सिर्फ़ मोमबत्तियाँ जला लेने से या जब घटनाएं घटती है तब चार दिन नूराकुश्ती करने से वो गुनाह मिट नहीं जाता, करने वाले गुनाह करते है, पर गुनाह होता हुआ देखना और देखकर भी चुप रहना सबसे बड़ा गुनाह है।
सड़े हुए न्यायतंत्र का भेड़ बकरी की तरह अनुसरण करना भी गुनाह है। पहले गंदी सड़ी मानसिकता को जड़ से खत्म करो समाज में जो बिमारी फैला रहे है बहन, बेटियों को नौचने की उसे जला ड़ालो
तब तक मत मनाओ नवरात्री। जिस रुप को पूजते हो उसीको वहसियत से रोंदते हो। ये ढ़ोंग छोड़ दो बेटियों को माँ दुर्गा समझकर पूजने का। या न्याय दिलाओ पहले उन तमाम खिलती कलियों को जिसे खिलने से पहले ही कुचल दिया गया है।
क्या गलती होती है सिर्फ़ सात आठ महीने की फूल सी बच्ची की महज़ एक लड़की होने की कितनी बड़ी किंमत चुका रही है। समाज के ऐसे दरिंदों को फ़ांसी पर लटका दो, उन माँओं को इंसाफ़ दिलाओ जिनकी बेटियाँ बली चढ़ी है राक्षसों के हाथों उन राक्षसों की बलि चढ़ाओ। मासूमों की रक्षा के लिए कड़े कायदे बनाओ,स्त्री के हर रुप को सम्मान दिलाओ फिर मातारानी को भोग चढ़ाओ, उसके बाद नवरात्री नहीं मनाओ तब भी माँ दुर्गा खुश होंगी।।
भावना ठाकर ‘भावु’ बेंगलोर

About author

bhawna thaker

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु

Related Posts

Ganesh ke gun by Jayshree birmi

September 9, 2021

 गणेश के गुण वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ। निर्विध्न कुरु मे देव सर्व कार्येशु सर्वदा।।  सिमरो प्रथम गणेश,होंगे पूरे सर्व कार्य

Pahla safar ,anubhuti by Jay shree birmi

September 9, 2021

 पहला सफर,अनुभूति करोना काल में लगता था कि शायद अब दुनिया से कट कर ही रह जायेंगे। ऑनलाइन देख खूब

Zindagi choti kahani bandi by Kashmira singh

September 9, 2021

 जिंदगी छोटी कहानी बड़ी । हमारे चारो तरफ कहानियों का जाल सा फैला हुआ है । यह दीवार पर टँगी

Langoor ke hath ustara by Jayshree birmi

September 4, 2021

लंगूर के हाथ उस्तरा मई महीने से अगस्त महीने तक अफगानिस्तान के लड़कों ने धमासान मचाया और अब सारे विदेशी

Bharat me sahityik, sanskriti, ved,upnishad ka Anmol khajana

September 4, 2021

 भारत प्राचीन काल से ही ज्ञान और बुद्धिमता का भंडार रहा है – विविध संस्कृति, समृद्धि, भाषाई और साहित्यिक विरासत

Bharat me laghu udyog ki labdhiyan by satya Prakash Singh

September 4, 2021

 भारत में लघु उद्योग की लब्धियाँ भारत में प्रत्येक वर्ष 30 अगस्त को राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस मनाने का प्रमुख

Leave a Comment