Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

ज़न्म और मृत्यु पंजीकरण संशोधन अधिनियम 2023 1 अक्टूबर 2023 से लागू

ज़न्म और मृत्यु पंजीकरण संशोधन अधिनियम 2023 1 अक्टूबर 2023 से लागू – भारत के राजपत्र में अधिसूचना जारी सुनिए …


ज़न्म और मृत्यु पंजीकरण संशोधन अधिनियम 2023 1 अक्टूबर 2023 से लागू – भारत के राजपत्र में अधिसूचना जारी

ज़न्म और मृत्यु पंजीकरण संशोधन अधिनियम 2023 1 अक्टूबर 2023 से लागू

सुनिए जी ! अब ज़न्म प्रमाण पत्र को हल्के में नहीं लीजिएगा जी ! यह शासकीय प्रक्रिया में प्रमाणन का अति अनिवार्य सिंगल दस्तावेज़ हो गया है

भारत में ज़न्म मृत्यु पंजीकरण कराना अनिवार्य बना – जन्म से मृत्यु तक हर शासकीय प्रक्रिया, योजना,रोजगार में ज़न्म प्रमाण पत्र की अनिवार्यता लागू हुई – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर दुनियां का हर देश अब जान गया है कि भारत विज़न 2047 के लिए बुलेट ट्रेन की तेजी से काम कर रहा है। अपने पुराने कानूनों में संशोधन, नए-नए कानूनों को बनाना, विवादित नियमों को हटाना और प्रत्येक क्षेत्र का डेटाबेस डिजिटाइजेशन में कन्वर्ट करना भारत की प्राथमिकता बन चुका है। भारत के बढ़ते रुतबे को देखते हुए दुनियां के अनेक देशों के नागरिकों की भारत में बसने की लालसा जाग उठी है, तो वहीं शासकीय योजनाओं लाभार्थियों, हितों, सरकारी सहायता प्राप्त करने, ज़न्म मृत्यु का इलेक्ट्रॉनिक डाटाबेस तैयार करने इत्यादि अनेककारणों से इनसे संबंधित प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए सरकार ने मंत्रिमंडलीय बैठक में में यह विधेयक पारित किया था। फिर उसे मानसून सत्र में लाकर 1 अगस्त 2023 को लोकसभा में और 7 अगस्त 2023 को राज्यसभा में पारित किया, जिसे राष्ट्रपति की स्वीकृति हस्ताक्षर के बाद अब कानून बन गया है, जिसे 13 सितंबर 2023 को भारत के राज्पत्र में अधिसूचना जारी कर 1 अक्टूबर 2023 से लागू करने की जानकारी दी गई है जिससे जन्म मृत्यु का पंजीकरण करवाना अनिवार्य और सभी शासकीय कार्यों हितों हेतु प्रक्रिया में इसे अनिवार्य बनाया गया है। बता दें जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 को 54 वर्षों के बाद पहली बार इस अधिनियम में संशोधन हुआ है जिसे रेखांकित करना जरूरी है। चूंकि शासकीय कार्यों लाभों हितों के लिए जन्म प्रमाण पत्र एक सिंगल डॉक्यूमेंट के रूप में उपयोग होगा, इसीलिए इसे हल्के में नहीं लेना समय की मांग है, इसलिए आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, सुनिए जी ! अब जन्म प्रमाण पत्र को हल्के में नहीं लीजिएगा जी! शासकीय प्रक्रिया में प्रमाण का अनिवार्य सिंगल दस्तावेज हो गया है।
साथियों बात अगर हम जन्म मृत्यु पंजीकरण संशोधन अधिनियम 2023 की करें तो दरअसल 13 सितंबर को गृह मंत्रालय ने एक नोटिस जारी कर बताया कि 1अक्टूबर 2023 से जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 लागू हो रहा है। इस नियम में कहा गया है कि सभी नागरिकों को बर्थ और डेथ के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य हो जाएगा। जन्म प्रमाण पत्र को सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर पर इस्तेमाल करने की जानकारी कानून के रूप में सामने आई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक आगामी 1 अक्टूबर से लागू हो जाएगा।इस संशोधितकानून के लागू होने से कई महत्वपूर्ण कामों में बर्थ सर्टिफिकेट सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर पर इस्तेमाल होगा। जैसे कि शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता सूची तैयार करने आधार संख्या, विवाह पंजीकरण और सरकारी नौकरी में नियुक्ति के लिए एकल दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल होगा।नया कानून रजिस्टर्ड बर्थ-डेथ का नेशनल और स्टेट लेवल डेटा बेस बनाने में भी मदद करेगा। इससे पब्लिक सर्विसेज बेहतर तरीके से डिलीवर की जा सकेंगीं। ये नया नियम 1 अक्टूबर या इसके बाद बनने वाले बर्थ सर्टिफिकेट पर लागू होगा। कानून लागू होने से सबसे बड़ा बदलाव यह होगा कि बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट डिजिटल रूप से भी मिल पाएगा। अभी इसकी हार्ड कॉपी ही मिल पाती है। इसके लिए भी कई-कई दिनों तक दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं।अभी तक आधार को हर जगह पहचान पत्र की तरह यूज किया जाता है। इसे अपने दूसरे डॉक्यूमेंट और अकाउंट से लिंक कराने की जरूरत पड़ती है। उसी तरह ये बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट होगा, जो कि बर्थ और डेथ प्रूफ के लिए हर जगह पर सर्वमान्य पहचान पत्र की तरह काम करेगा।
साथियों बात अगर हम इस नए अधिनियम के कारणों और फायदे की करें तो, दरअसल, इस कानून का मुख्य उद्देश्य पंजीकृत जन्म और मृत्यु के लिए एक राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय डेटाबेस स्थापित करना है। कानून जन्म प्रमाण पत्र को किसी व्यक्ति की जन्म तिथि और स्थान के निश्चित प्रमाण के रूप में स्थापित करेगा। यह नियम जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 के लागू होने पर या उसके बाद पैदा हुए लोगों पर लागू होगा। यह प्रमाणपत्र स्कूलों में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, मतदाता सूची तैयार करने, विवाह पंजीकरण, सरकारी रोजगार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, पासपोर्ट और आधार नंबर जारी करने सहित विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण होगा। इसके अलावा यह कानून गोद लिए गए, अनाथ, परित्यक्त और सरोगेट बच्चों के साथ-साथ एकल माता-पिता या अविवाहित माताओं के बच्चों के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाएगा। जन्म और मृत्यु पंजीकरण के नियमों में बदलाव के पीछे मुख्य मकसद यह है कि इससे केंद्र और राज्य स्तर पर जन्म और मृत्यु का डेटाबेस तैयार किया जा सके। इस नियम के लागू होने के बाद राज्य और केंद्र सरकार जन्म और मृत्यु के डेटा को आपस में आसानी से साझा कर पाएंगी। इसके लिए राज्यों के तरफ से चीफ रजिस्ट्रार और रजिस्ट्रार की नियुक्ति की जाएगी. चीफ रजिस्ट्रार राज्यों के स्तर पर डेटा मेंटेन करने का काम करेगा. वहीं ब्लॉक स्तर पर यह काम रजिस्ट्रार का होगा. इससे देश भर में जन्म और मृत्यु का नेशनलडाटाबेस तैयार करने में मदद मिलेगी और राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड जैसे कई डेटा बेस को तैयार करने में आसानी होगी।नया कानून रजिस्टर्ड बर्थ-डेथ का नेशनल और स्टेट लेवल डेटा बेस बनाने में भी मदद करेगा। इससे पब्लिक सर्विसेज बेहतर तरीके से डिलीवर की जा सकेंगीं।
साथियों बात अगर हम इस कानून द्वारा लागू होने पर संविधान में प्राप्त कुछ अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है जो विचारणीय है वह मुद्दे और धाराएं इस प्रकार हैं जन्म प्रमाणपत्र का उपयोग बिल में कुछ उद्देश्यों के लिएव्यक्तियों के जन्म प्रमाणपत्र की आवश्यकता बताई गई है। यह प्रावधान इस बिल के लागू होने के बाद जन्मे व्यक्तियों पर लागू होगा। इन उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) किसी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश, (ii) मतदाता सूची तैयार करना, (iii) सरकारी पद पर नियुक्ति, (iv) विवाह का पंजीकरण, और (v) केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित कोई अन्य उद्देश्य। इनमें से कुछ उद्देश्य संवैधानिक अधिकार हैं जो नागरिकों के पास हैं, और उन्हें जन्म प्रमाणपत्र के साथ सशर्त बनाना, उन अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
(1)स्कूल में प्रवेश: जन्म प्रमाणपत्र के बिना किसी बच्चे को स्कूल में प्रवेश से वंचित करना अनुच्छेद 21ए के तहत शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो सकता है। शिक्षा का अधिकार एक्ट, 2009 के तहत, प्रारंभिक शिक्षा में प्रवेश के लिए, बच्चे की उम्र उसके जन्मप्रमाण पत्र या किसी अन्य दस्तावेज़, जिसे निर्दिष्ट किया जा सकता है, के आधार पर निर्धारित की जाती है। एक्ट में यह प्रावधान भी है कि आयु का प्रमाण न होने पर किसी भी बच्चे को स्कूल में प्रवेश से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। बिल ऐसी कोई छूट प्रदान नहीं करता है। इसका तात्पर्य यह है कि अगर किसी बच्चे का जन्म पंजीकृत नहीं किया गया है, तो उसे जीवन भर शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश से वंचित किया जा सकता है।(2)वोट देने का अधिकार: अनुच्छेद 326 गारंटी देता है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक नागरिक को वोट देने का अधिकार है। इस अधिकार में कटौती की जा सकती है, अगर कोई व्यक्ति कुछ अयोग्यताओं के अधीन है, जैसे वह नॉन-रेसिडेंस है, उसका मस्तिष्क अस्वस्थ है, वह अपराधी, भ्रष्ट है या गैरकानूनी आचरण करता है। जन्म प्रमाणपत्र (आयु प्रमाण के लिए) न होना, उल्लिखित अयोग्यता के अंतर्गत नहीं आता है।(3)जन्म के रिकॉर्ड को आधार से लिंक करना-बिल माता-पिता और जन्म की सूचना देने वाले व्यक्ति (सूचनादाता) के आधार विवरण को बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र से जोड़ता है। सूचनादाताओं में निम्न शामिल हैं: (i) नर्सिंग होम के प्रभारी डॉक्टर, (ii) जेल में बच्चे के जन्म की स्थिति में जेलर, (iii) होटल, लॉजिंग हाउस, या धर्मशाला का प्रबंधक, अगर ऐसे स्थान पर जन्म हुआ है, और (iv) परित्यक्त नवजात शिशु के मामले में संबंधित पुलिस स्टेशन का एसएचओ। इससे दो मुद्दे उठते हैं:(4)प्राइवेसी का अधिकार-2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने उचित प्रतिबंधों के अधीन, प्राइवेसी के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी थी। अगर चार शर्तें पूरी होती हैं तो इस अधिकार पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, (i) प्रतिबंध की अनुमति देने वाला कोई कानून है, (ii) प्रतिबंध एक सार्वजनिक उद्देश्य को पूरा करता है, (iii) कानून का ऐसे उद्देश्य के साथ तर्कसंगत संबंध है, और (iv) कानून आनुपातिक है, याने, यह सार्वजनिक उद्देश्य को प्राप्त करने का सबसे कम दखल देनेवाला तरीकाहै (5)बिल का यह प्रावधान सूचनादाता के प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन कर सकता है। उदाहरण के लिए, अस्पताल में पैदा हुए किसी भी बच्चे के साथ एक चिकित्सा अधिकारी का आधार संलग्न करना, या किसी एसएचओ के क्षेत्राधिकार में सभी परित्यक्त बच्चों के लिए उसका आधार संलग्न करना, इन अधिकारियों के प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन कर सकता है।(6)आधार निर्णय का उल्लंघन, यह प्रावधान आधार निर्णय (पुट्टास्वामी 2018) में निर्धारित सिद्धांतों का भी उल्लंघन कर सकता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे वर्णन का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ज़न्म और मृत्यु पंजीकरण संशोधन अधिनियम 2023 1 अक्टूबर 2023 से लागू – भारत के राजपत्र में अधिसूचना जारी।सुनिए जी ! अब ज़न्म प्रमाण पत्र को हल्के में नहीं लीजिएगा जी ! यहशासकीय प्रक्रिया में प्रमाणन का अति अनिवार्य सिंगल दस्तावेज़ हो गया है।भारत में ज़न्म मृत्यु पंजीकरण कराना अनिवार्य बना – जन्म से मृत्यु तक हर शासकीय प्रक्रिया, योजना,रोजगार में ज़न्म प्रमाण पत्र की अनिवार्यता लागू हुई।

About author

kishan bhavnani

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 

किशन सनमुख़दास भावनानी 

Related Posts

Lekh aa ab laut chalen by gaytri bajpayi shukla

June 22, 2021

 आ अब लौट चलें बहुत भाग चुके कुछ हाथ न लगा तो अब सचेत हो जाएँ और लौट चलें अपनी

Badalta parivesh, paryavaran aur uska mahatav

June 12, 2021

बदलता परिवेश पर्यावरण एवं उसका महत्व हमारा परिवेश बढ़ती जनसंख्या और हो रहे विकास के कारण हमारे आसपास के परिवेश

lekh jab jago tab sawera by gaytri shukla

June 7, 2021

जब जागो तब सवेरा उगते सूरज का देश कहलाने वाला छोटा सा, बहुत सफल और बहुत कम समय में विकास

Lekh- aao ghar ghar oxygen lagayen by gaytri bajpayi

June 6, 2021

आओ घर – घर ऑक्सीजन लगाएँ .. आज चारों ओर अफरा-तफरी है , ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत का

Awaz uthana kitna jaruri hai?

Awaz uthana kitna jaruri hai?

December 20, 2020

Awaz uthana kitna jaruri hai?(आवाज़ उठाना कितना जरूरी है ?) आवाज़ उठाना कितना जरूरी है ये बस वही समझ सकता

azadi aur hm-lekh

November 30, 2020

azadi aur hm-lekh आज मौजूदा देश की हालात देखते हुए यह लिखना पड़ रहा है की ग्राम प्रधान से लेकर

Previous

Leave a Comment