गुरुवर जलते दीप से
गुरुवर तब सम्बल बने, होते बड़े महान।।
अपने- अपने दौर के, मानवता के दीप।।
शिक्षक अपने ज्ञान से, जीवन देत निखार।।
सच्ची इसकी साधना, कड़वे इसके बोल।।
सौरभ जिसे गुरू मिले, ईश्वर का वरदान।।
तभी कहे हर धाम से, पावन इनके पाँव।।
अंधियारे, अज्ञान को, करे ज्ञान से दूर।
गुरुवर जलते दीप से, शिक्षा इनका नूर।।
-(सत्यवान ‘सौरभ’ के चर्चित दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ से। )
About author
– डॉo सत्यवान ‘सौरभ’
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045
facebook – https://www.facebook.com/saty.verma333
twitter- https://twitter.com/SatyawanSaurabh







