क्यों एक ही दिन मां के लिए
मोहताज नहीं मां तुम एक खास दिन की
तुम इतनी खास हो कि शायद रब को भी होगी मां की ही चाह
तुम बिन सुना हैं संसार तू ही तो हैं बच्चों की तारणहार
पर हो दुःख में हो तुम हरदम साथ
लेकिन मेरे लिए तो रात दिन हफ्ता महीना हो या हो पूरा साल
तू साथ नहीं हो के भी तुम साथ हो मेरे
जयश्री बिरमी
अहमदाबाद





