Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Jayshree_birmi, Maa, poem

क्यों एक ही दिन मां के लिए

क्यों एक ही दिन मां के लिए मोहताज नहीं मां तुम एक खास दिन कीतुम इतनी खास हो कि शायद …


क्यों एक ही दिन मां के लिए

जयश्री बिरमी  अहमदाबाद

मोहताज नहीं मां तुम एक खास दिन की
तुम इतनी खास हो कि शायद रब को भी होगी मां की ही चाह

चाहे सब ही तुम ही को चाहे राजा हो या हो रंक
तुम बिन सुना हैं संसार तू ही तो हैं बच्चों की तारणहार
सुख में तुम साथ हो या न हो
पर हो दुःख में हो तुम हरदम साथ
मनाती सारी दुनियां इस दिन को तेरे नाम से
लेकिन मेरे लिए तो रात दिन हफ्ता महीना हो या हो पूरा साल
हर दिन ही मेरा तेरा खास हैं
तू साथ नहीं हो के भी तुम साथ हो मेरे

जयश्री बिरमी
अहमदाबाद


Related Posts

कविता –उम्मीद | kavita -ummid

September 26, 2023

उम्मीद  जीवन की राह मेंएक युद्ध सा लड़ता जाता हूं उम्मीद बहुत ज्यादा की मुझे हाथ में कुछ नही पाता

कविता – नारी | kavita Naari| naari par kavita

September 23, 2023

कविता – नारी | kavita Naari| Naari par kavita  जिम्मेदारियों का बोझ जिसके सरहोता हैवही जानता है कैसे गुजर –

Kavita-पति को भी इंसान मानो

September 18, 2023

पति को भी इंसान मानो उसके कंधे है इतने मजबूतवह सारी दुनिया को उठा लेगा तुम एक सुख दे कर

अनगिनत नाम दे कर

September 18, 2023

अनगिनत नाम दे कर मेरे दिल की धड़कनें धड़क कुछ कहती,मेरी सांसें थम-थम चलती ही रहती।गौर से सुना अपनी सॉंसों,

राष्ट्रभाषा या राजभाषा | rashtrabhasha ya rajbhasha

September 16, 2023

राष्ट्रभाषा या राजभाषा अपने ही देश में दिवस मनवाने की मोहताज़ हूँ,विवश हूँ मैं..राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ,आज भी इस

तुम ही मेरा सब कुछ-दिकु

September 16, 2023

 तुम ही मेरा सब कुछ-दिकु सुनो दिकु…… एक आसएक विश्वासतुम से है सिर्फ एक मिलन की प्यास चाहूं सिर्फ ख्वाब

PreviousNext

Leave a Comment