Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh, Virendra bahadur

क्या अब प्यार और संबंध भी डिजिटल हो जाएंगे

क्या अब प्यार और संबंध भी डिजिटल हो जाएंगे मनुष्य के बारे में कहा जाता है कि वह सामाजिक प्राणी …


क्या अब प्यार और संबंध भी डिजिटल हो जाएंगे

क्या अब प्यार और संबंध भी डिजिटल हो जाएंगे

मनुष्य के बारे में कहा जाता है कि वह सामाजिक प्राणी है। अगर इस मामले में भविष्य में बदलाव करना पड़े तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। भविष्य में शायद यह कहा जाएगा कि मनुष्य एक डिजिटल एनीमल है। मनुष्य का सब चीज के बगैर चल जाएगा, पर डिजिटल टेक्नोलॉजी के बिना नहीं चलेगा। अभी ही देख लीजिए, सभी के हाथों मोबाइल तो होया ही है। इसके अलावा लैपटॉप या टेबलेट जैसा दूसरा कोई न कोई डिजिटल इंस्ट्रूमेंट भी साथ होता है। किसी भी आदमी से एक घंटे मोबाइल से अलग रहने की बात करिए तो वह अपसेट हो जाएगा। बैटरी लो हो रही हो तो मनुष्य भी डाउन होने लगता है। अब आज ऐसी हालत है तो दस साल बाद क्या स्थिति होगी? इलेक्ट्रॉनिक वर्ल्ड में रोजाना कुछ न कुछ नया आ रहा है और आदमी रोज-का-रोज अधिक से अधिक टेक्नोलॉजी के शिकंजे में फंसता जा रहा है।
आप ने किसी दिन मार्क किया है, आप दिन में कितने घंटे मोबाइल का उपयोग करते हैं? दिन में कितनी बार मोबाइल हाथ में लेते हैं? अब तो मोबाइल ही आप से कहता है कि आप ने इतने घंटे मोबाइल चलाया है। इस समय में भी आप ने कितने मिनट क्या किया, इसका भी हिसाब आप को मिल जाता है। हमें पता होता है, फिर भी हम इसे नजरअंदाज करते हैं। डिजिटल एडिक्शन इस समय की सब से बड़ी समस्या है। मोबाइल के कारण संबंधों का महत्व कम होता जा रहा है। इस समय जो है, यह तो कुछ भी नहीं है, भविष्य में तो कोई कल्पना भी नहीं कर सकता, यह स्थिति पैदा होने वाली है। फ्रांस की रिसर्च एजेंसी इप्सोस ने अभी 32 देशों में टेक्नोलॉजी और संबंधों के बारे में मजेदार सर्वे किया है। 22,508 लोगों से भविष्य के संबंधों के बारे में सवाल किए गए थे। उनसे से जो जवाब मिले, वे दस साल बाद प्यार कैसा होगा और संबंधों की स्थिति क्या होगी, यह बयान करता है। यह अध्ययन यह बताता है कि आगामी दस सालों में 61 प्रतिशत लोग मेटावर्स से प्यार करेंगे और 46 प्रतिशत लोग तो रोबोट्स को ही अपना पार्टनर बना लेंगे। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि अब आने वाली सच्ची लवस्टोरी में एक मनुष्य होगा और एक वर्च्युअल पार्टनर होगा। कुछ हद तक तो इसकी शुरुआत हो भी गई है। आप ने नोट किया होगा कि हमें मोबाइल में अमुक चेहरा अच्छा लगने लगता है। हम उसे पहचानते नहीं हैं, उससे कभी हम मिल भी नहीं पाएंगे, फिर भी हम उसे देखते रहते हैं, उसके बारे में सोचते रहते हैं। मेटावर्स टेक्नोलॉजी तो उस व्यक्ति की आप के साथ उपस्थिति है, यह अहसास कराने वाली है। मतलब यह कि आप को कोई हीरो या हीरोइन अच्छी लगती है, तो वह आप के साथ रह रही है, आप यह अनुभव कर सकेंगे और आनंद प्राप्त कर सकेंगे। इस समय भी तमाम लोग अपने पसंद के कलाकारों के फोटो या क्लिप अपने मोबाइल में रखते हैं। पर अब इसका स्वरूप बदल जाएगा। अब सवाल यह है कि मनुष्य को इस तरह रहना अच्छा लगेगा? क्या मनुष्य ख्यालों में जीने लगेगा?
आज के हाईटेक वर्ल्ड के प्रेमियों के बारे में किया गया एक अध्ययन यह कहता है कि अब बड़ी तेजी से प्रेमियों का मोह भंग हो रहा है। प्यार होता है, पर लंबे समय तक टिकता नहीं। ब्रेकअप के मामले प्यार की अपेक्षा बढ़ रहे हैं। इंसान को इंसान के साथ अच्छा नहीं लगता। मनुष्य का दिमाग विचित्र होता जा रहा है। हर कोई अपने मूड और मस्ती में रहना चाहता है। कान में आइपोड या प्लग्स लगा कर बैठे व्यक्ति से कुछ कहो तो वह चिढ़ जाता है। प्राइवेसी का नाम अब मैं और मेरा मोबाइल हो गया है। ऐसे संयोगों में भला किसी दूसरे के साथ कहां अच्छा लगेगा? विवाह कर के बारात विदा होते ही कार में बैठे-बैठे तुरंत नवपरिणीत युगल स्टेटस अपलोड करने लगता है। दिखावा करने में कोई भी जरा देर नहीं करता। किसी चाय की टपरी पर थर्डक्लास चाय पीते हुए रील बनाते हुए जिंदगी के बारे में कोई मस्त मजे का गाना लगा देंगे। भले ही चाय पूरी न पी हो या पी न सके ऐसे न हों। अभी की सच घटना है। अरेंज मैरिज के लिए एक लड़का और लड़की मिले। लड़की ने कहा, “मैं मोबाइल में होऊं तो मुझे छेड़ना मत। मैं क्या देख रही हूं, क्या कर रही हूं, इस बारे में कभी कोई सवाल मत करना। लड़का या लड़की कोई बात करें, उसके पहले एक-दूसरे का सोशल मीडिया चेक कर लेते हैं कि उसकी करतूतें कैसी हैं?
समय के साथ कन्फ्यूज्ड रिलेशनशिप के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लड़का और लड़की साथ होते हैं, फिर भी यह तय नहीं कर पाते कि आखिर हम साथ क्यों हैं? हम एक-दूसरे के योग्य हैं? इकट्ठा होने के कुछ समय बाद ही ऐसा लगने लगता है कि यह मेरे लायक नहीं है, मैं बहुत अच्छे व्यक्ति को डिजर्व करता हूं। संबंधों में असंतोष बढने का कारण डिजिटल ही है। सभी लोग सोशल मीडिया पर जो फोटो और स्टेटस डालते हैं, वह सब देख कर सभी को लगता है कि पूरी दुनिया मजे कर रही है और मेरे हिस्से में ही मजदूरी करना लिखा है। हर किसी को कहीं न कहीं कुछ कमी नजर आती है। अपने पार्टनर से अनगिनत शिकायते होती हैं। एडजस्ट नहीं होता, यही लगता है कि इससे अच्छा तो अकेला रहना ही है। यह अकेले रहने की वृत्ति धीरे-धीरे बढ़ती ही जानी है और अंत में लोग रोबोट्स या वर्च्युअल पार्टनर के साथ रहने लगेंगे। यह सब करने से वे कितना खुश और सुखी रह सकेंगे, यह सब से बड़ा सवाल है और वर्च्युअल लाइफ से दूसरी अनेक मानसिक समस्याएं खड़ी होने की संभावनाएं हैं।
एक ओर डिजिटल दांपत्य से ले कर डिजिटल लाइफ स्टाइल की बातें हो रही हैं तो ऐसे तमाम समाजशास्त्रियों और मनोचिकित्सकों का मानना है कि सब कुछ पूरी तरह डिजिटल नहीं होने वाला, उल्टा आदमी इस सब से जल्दी या देर में ऊबने वाला है। डिजिटल टेक्नोलॉजी अभी नई-नई है। धीरे-धीरे लोगों की समझ में आ जाएगा कि सही क्या है और अच्छा क्या है? यह विचार लोगों को फिर से जिंदगी की ओर और अपनी ओर ले जाएगा। दुनिया भले ही कुछ भी कहती हो, पर आदमी का आदमी के बगैर चलने वाला नहीं है। जिंदगी जीने के लिए किसी का तो साथ होना जरूरी है न, कोई तो साथ होना चाहिए न? यह एक बवंडर है जो एक न एक दिन शांत होना ही है। लोग फिर से बेसिक अंर रियल की ओर लौटेंगे। आदमी में इतनी तो समझ है ही कि टेक्नोलॉजी हमारे लिए है, हम टेक्नोलॉजी के लिए नहीं। अन्य अनेक अध्ययन यह भी कहते हैं कि दुनिया दो हिस्सो में बंट जाएगी। एक ओर ऐसे लोग होंगे, जो टेक्नोलॉजी से घिरे होंगे और दूसरा वर्ग ऐसा होगा, जो प्रकृति के नजदीक होगा। लोग दो एक्स्ट्रीम के बीच जिएंगे। इस हमय जो चल रहा है, ये सब अनुमान है। समय अनुमान के हिसाब से नहीं चलता। लोगों की मानसिकता कब और किस तरह बदल जाए, यह तय नहीं है।
लोगों का संबंध के बिना चलने वाला नहीं है। समय लोगों को बदलते संयोग के साथ जीना सिखा देता है। टेक्नोलॉजी के कारण ही परिवर्तन आया है, इसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी, इसलिए इस समय मनुष्य को टेक्नोलॉजी के साथ ताल मिलाने में संघर्ष करना पड़ रहा है। आदमी इसकी भी रीति और पद्धति सीख जाएगा और नहीं सीखेगा तो भोगना भी उसे ही पड़ेगा। एक हिसाब से आदमी को खुश और सुखी रहना होता है। सुख, खुशी, आनंद, साथी और जीवन की व्याख्याओं में भी बदलाव आता रहता है और अभी आता भी रहेगा, इसे कोई रोक भी नहीं सकता। अंत में आदमी सुख, शांति और खुशी के लिए अपनी जड़ की ओर लौटेगा ही।

यह भी हो सकता है
समय के साथ आदमी के स्क्रीन टाइम बढ़ता जाएगा। स्क्रीन लोगों पल इस हद तक हावी हो जाएगी को लोग खुद को भुला बैठेंगे। टेक्नोलॉजी धीरे-धीरे आदमी को इतना पंगु बना देगी कि टेक्नोलॉजी के बगैर आदमी जी नहीं सकेगा।

About author 

वीरेन्द्र बहादुर सिंह जेड-436ए सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उ0प्र0) मो-8368681336

वीरेन्द्र बहादुर सिंह
जेड-436ए सेक्टर-12,
नोएडा-201301 (उ0प्र0)
मो-8368681336


Related Posts

सेक्स में रूचि कम हो रही है तो सावधान हो जाएं

सेक्स में रूचि कम हो रही है तो सावधान हो जाएं

December 30, 2023

सेक्स में रूचि कम हो रही है तो सावधान हो जाएं ऐसी तमाम महिलाएं हैं, जिनकी समय के साथ सेक्स

लघुकथा -बेड टाइम स्टोरी | bad time story

लघुकथा -बेड टाइम स्टोरी | bad time story

December 30, 2023

लघुकथा -बेड टाइम स्टोरी “मैं पूरे दिन नौकरी और घर को कुशलता से संभाल सकती हूं तो क्या अपने बच्चे

तापमान भले शून्य हो पर सहनशक्ति शून्य नहीं होनी चाहिए

December 30, 2023

तापमान भले शून्य हो पर सहनशक्ति शून्य नहीं होनी चाहिए  समाज में जो भी दंपति, परिवार, नौकरी और धंधा टिका

नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य।

December 30, 2023

नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य। नए साल पर अपनी आशाएँ रखना हमारे लिए बहुत अच्छी बात है,

नागपुर की वीना आडवाणी “तन्वी” को 26 वे अन्तर्राष्ट्रीय जुनूँ अवार्ड से किया जायेगा सम्मानित

December 30, 2023

नागपुर की वीना आडवाणी “तन्वी” को 26 वे अन्तर्राष्ट्रीय जुनूँ अवार्ड से किया जायेगा सम्मानित महाराष्ट्र, नागपुर । विगत वर्षों

सर्दियों में बच्चे की छाती में जम गया है कफ?

सर्दियों में बच्चे की छाती में जम गया है कफ?

December 30, 2023

सर्दियों में बच्चे की छाती में जम गया है कफ? अपनाएं यह तरीका तुरंत मिलेगा आराम। सर्दियों की ठंड अक्सर

Leave a Comment