Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Aalekh, Bhawna_thaker, lekh

कहाँ गया वो साहित्यिक दौर

“कहाँ गया वो साहित्यिक दौर” कहाँ गया वो दौर जब पुस्तकालय में जाकर लोग ज्ञान का दीप जलाते थे? सूनी …


“कहाँ गया वो साहित्यिक दौर”

कहाँ गया वो दौर जब पुस्तकालय में जाकर लोग ज्ञान का दीप जलाते थे? सूनी पड़ी है आज साहित्य की गलियाँ कभी पाठकों के मजमें जहाँ उमड़ते थे। आजकल के बच्चों में पढ़ने की ललक ही नहीं रहीं, बस पढ़ाई के लिए रट्टा मार लेते है वहीं तक सीमित रह गए है। पढ़ने से विचारों का विकास होता है, क्योंकि
साहित्य प्रत्येक देश की संस्कृति, परंपरा कला, इतिहास और संस्कारों का आईना है। मनुष्यों के मन की छवि और विचारों और परिकल्पनाओं का साया है। साहित्य का संबंध नैतिक सत्य मानवभाव बुद्धिमत्ता तथा व्यापकता से होता है। समाज और रुढिवाद को सही दिशा दिखाने का मार्ग और सही गलत का भेद समझाता सदियों से चला आ रहा सार्थक मंच है। हिन्दी साहित्य का इतिहास वैदिक काल से आरम्भ होता है।
हर देश की अलग-अलग भाषा, पहनावा बोली और संस्कृति को हर देश के लेखक शब्दों में ढ़ालकर अपने देश की पहचान करवाता है पूरे विश्व को। साहित्य एक ऐसा माध्यम है जो उजागर करता है हर दुन्यवी किरदारों के भीतर बसी एक खयाली दुनिया को। लोंगों की मानसिकता से लेकर हर गतिविधियों का बखूबी वर्णन किया जाता है। कविताएँ, गज़ल, आलेख और कहानियों के द्वारा महबूब से लेकर आम जनता की तस्वीर बयाँ होती है।
समय के चलते साहित्य में भी परिवर्तन आया है आजकल के नये उभरते लेखकों की तेजाबी कलम ने नये आयाम भी दिए है साहित्य को। लेखन ऐसा होना चाहिए , जिसमें हो ईमान, सद्कर्म और सरस्वती का वास, साहित्यकार अपनी लेखनी समाज की प्रतिष्ठा और नीति-नियम के अनुसार अपना पावन कर्तव्य बड़ी कर्मठता से निभाते रहते है। सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक-भौगोलिक-ऐतिहासिक वगैरह समस्याऐं वैश्विक समुदाय के सामने उपस्थित है खड़ी है जैसे आतंकवाद , नक्सलवाद, मादक द्रव्यों की तस्करी , भ्रष्टाचार, भ्रूण हत्या, बलात्कार , गरीबी , बेरोजगारी , भूखमरी , साम्प्रदायिकता , ग्लोबल वार्मिंग, जैसी अनेक समस्याओं को लेखक अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से निर्भीक और स्वतंत्र होकर समाज के सामने उजागर करते हैं , ताकि देश के जिम्मेदार नागरिकों में जन-जागरूकता और सतर्कता का प्रसार हो।
साहित्य के प्रति अपना दायित्व निभाते हर अच्छे लिखने वाले को अपना योगदान देना चाहिए। और आजकल के डिजिटल ज़माने में मोबाइल जैसे मशीन ने साहित्य को बौना करके रख दिया है। इसलिए साहित्य की धरोहर को आगे ले जाने के लिए बच्चों में बचपन से ही पठन पाठन और लेखन की आदत ड़ालनी चाहिए ताकि लेखन में रुचि बढ़े और बच्चे अच्छा साहित्य पढ़कर लेखन के प्रति आकर्षित हो।

About author

भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर
(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु

Related Posts

Ishwar ke nam patra by Sudhir Srivastava

August 7, 2021

 हास्य-व्यंग्यईश्वर के नाम पत्र    मानवीय मूल्यों का पूर्णतया अनुसरण करते हुए यह पत्र लिखने बैठा तो सोचा कि सच्चाई

Lekh kab milegi suraksha betiyon tumhe by jayshree birmi

August 6, 2021

 कब मिलेगी सुरक्षा बेटियों तुम्हे गरीब की जोरू सारे गांव की भौजाई ये तो कहावत हैं ही अब क्या ये

seema ka samar -purvottar by satya prakash singh

August 3, 2021

सीमा का समर -पूर्वोत्तर पूर्वोत्तर की सात बहने कहे जाने वाले दो राज्यों में आज सीमा का विवाद इतना गहरा

Lekh man ki hariyali by sudhir Srivastava

July 31, 2021

 लेखमन की हरियाली, लाए खुशहाली     बहुत खूबसूरत विचार है ।हमारे का मन की हरियाली अर्थात प्रसन्नता, संतोष और

Lekh by kishan sanmukh das bhavnani

July 31, 2021

 सत्य वह दौलत है जिसे पहले खर्च करो, जिंदगी भर आनंद पाओ- झूठ वह कर्ज़ है, क्षणिक सुख पाओ जिंदगी

janmdin jeevanyatra by Maynuddin Kohri

July 25, 2021

जन्मदिन —- जीवनयात्रा  आजादी के बाद के काले बादल छट जाने के बाद देश मे अमन चैन,गणतन्त्र भारत की सुखद

Leave a Comment