Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

poem, Virendra bahadur

कविता-सूखा पेड़ | sukha ped

कविता-सूखा पेड़ सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आश हैजैसे किसी प्यासे को पानी की प्यास हैदूसरे हरेभरे वृक्ष …


कविता-सूखा पेड़

कविता-सूखा पेड़ | sukha ped

सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आश है
जैसे किसी प्यासे को पानी की प्यास है
दूसरे हरेभरे वृक्ष को देख कर थोड़ा उदास है
मैं दूसरों को छाया दूं सूरज का ऐसा प्रकाश है
सूखे पेड़ को हराभरा होने की आश है
खाद, बीज पानी की जरूरत इसे खास है
फिर फूल आए या फल आए, इसमें भी वैसी ही मिठास है
सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आश है
जीवन है इसमें देखभाल की इसे तलाश है
देगा आक्सीजन यह इसमें भी सांस है
सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आश है
न करें इसका पतन करें इसका जतन इसमें भी सुहास है
है यह धरती का अनमोल रतन प्रकृति का इसमें वास है
सूखे पेड़ को भी हराभरा होने की आश है।

About author 

वीरेन्द्र बहादुर सिंह जेड-436ए सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उ0प्र0) मो-8368681336

वीरेन्द्र बहादुर सिंह
जेड-436ए सेक्टर-12,
नोएडा-201301 (उ0प्र0)


Related Posts

कविता – संदेश | kavita-Sandesh

September 13, 2023

संदेश जब से गए तुम साजन मेरे,मन को न कुछ भी भाये।हर क्षण लगता वर्ष सम मुझको,याद तेरी अति सताए।भूख

कविता – फिर रात | kavita -Phir rat

September 13, 2023

 कविता – फिर रात | kavita -Phir rat सत्य एक, बीती दो रात हैये दो चांदनी, फिर कहे कोई बात

भारतीय संस्कार | bharteey sanskar par kavita

September 11, 2023

भावनानी के भाव भारतीय संस्कार भारतीय संस्कार हमारे अनमोल मोती है प्रतितिदिन मातापिता के पावन चरणस्पर्श से शुरुआत होती है

नारी सब पर भारी हो | Naari par kavita

September 10, 2023

नारी सब पर भारी हो ! नारी हो तुमसब पर भारी होतुम किसी की बेटी बनघर की रौनक बन जाती

दीवार और हाजी मस्तान | Diwar and Haji mastan

September 7, 2023

सुपरहिट  दीवार और हाजी मस्तान  आज खुश तो बहुत होगे तुम  अंडरवर्ल्ड पर फिल्में बनाने का चलन मूल तो हालीवुड

नटखट कृष्ण | natkhat krishna

September 6, 2023

नटखट कृष्ण कान्हा, तेरी देख सुंदर छवि प्यारी,मन हुआ विकारों से खाली।मनभावन अखियां तेरी,मोहक मुस्कान है।मोरपंख से सुशोभित मुकुट तेरा,घुंगराले

PreviousNext

Leave a Comment