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Nandini_laheja, poem

कविता – संदेश | kavita-Sandesh

संदेश जब से गए तुम साजन मेरे,मन को न कुछ भी भाये।हर क्षण लगता वर्ष सम मुझको,याद तेरी अति सताए।भूख …


संदेश

कविता - संदेश | kavita-Sandesh

जब से गए तुम साजन मेरे,
मन को न कुछ भी भाये।
हर क्षण लगता वर्ष सम मुझको,
याद तेरी अति सताए।
भूख भूली मैं ,प्यास ना लगती,
क्या करूँ, समझ न आये।
करती प्रभु से नित प्रार्थना,
उनका संदेशा आये।
आज मिला आनंद ये सुनकर,
सन्देश आपका आया।
पत्र आपका हैं हाथों में ,
और मन मेरा भर आया
ह्रदय से लगायी पाती आपकी ,
नयन से अश्रु बहते।
पढ़ने को आतुर संदेशा,
पर हाथ मेरे कपकपाते।
कैसी हो तुम प्रियतमा मेरी,
पढ़े शब्द जब मैंने।
आया तुम पर राग और प्रेम भी,
क्या, मेरे मन की तू न जाने।
पर जब पढ़ा मैंने यह कि,
आ रहे हो लौट कर तुम।
भूल गई शिकवे सारे,
बस राह निहारें तेरी प्रियतम।

About author 

नंदिनी लहेजा | Nandini laheja
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

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