Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

poem, Prithvi Singh Beniwal

कभी नाराज ना होना

कभी नाराज ना होना जग रूठै तो रूठने दे,पर तुम नाराज न होना।जो चाहो कहना महबूब,पर तुम नाराज न होना।। …


कभी नाराज ना होना

कभी नाराज ना होना

जग रूठै तो रूठने दे,
पर तुम नाराज न होना।
जो चाहो कहना महबूब,
पर तुम नाराज न होना।।

तुम रूठोगी मैं मनाऊंगा,
मैं रूठ जाऊँ तुम्हें मनाना है।
जो कहना हो कह देना तुम,
पर तुम नाराज न होना।।

चाहत नहीं जिंदगी हो तुम,
मेरी नितप्रति बन्दगी हो तुम।
दिल में शामिल हो इस कदर,
हरपल आवाज देती हो तुम।।

मैं तुम्हारा ही हूं तुम मेरी हो,
मेरे लिए इन्द्र की ज्यूँ परी हो।
हरपल मुझे अहसास है तेरा,
मुझे देखकर तुम होती हरी हो।।

मुझे कभी तुम टूटने ना देना,
मुझे कभी तुम घूटने ना देना।
जब सब छोड़ जाये साथ मेरा,
तब भी तुम साथ मेरा देना।।

मुझसे कभी नाराज न होना तुम,
मुझे जान से भी प्यारी हो तुम।
पृथ्वीसिंह’ सब भूल सकता है,
पर तुम्हें कभी नहीं भूल सकता।।
इसलिए मेरी महबूबा
तुम कभी नाराज न होना…
तुम कभी नाराज न होना…

About author 

© कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल
कवि लेखक, पत्रकार, साहित्यकार
#313, सेक्टर 14, हिसार – 125001 (हरियाणा)


Related Posts

kavita Sandeh by sudhir srivastav

June 27, 2021

 संदेह संदेह के बादल एक बार घिर आये, तो सच मानिए कि फिर कभी न छंट पाये,  मान लिया छंट

bihadon ki bandook by priya gaud

June 27, 2021

 “बीहड़ों की बंदूक” बीहड़ों में जब उठती हैं बंदूकें दागी जाती हैं गोलियां उन बंदूकों की चिंगारी के बल पर

Rajdaar dariya by priya gaud

June 27, 2021

 राज़दार दरिया दरिया  सबकी मुलाकातों की गवाह रहती है कुछ पूरी तो कुछ अधूरी किस्सों की राजदार रहती है आँखे

sawam ki rachyita by priya gaud

June 27, 2021

 “स्वयं की रचयिता” तुम्हारी घुटती हुई आत्मा का शोर कही कैद न हो जाये उलाहनों के शोर में इसलिए चीखों

kavita Prithvi by priya gaud

June 27, 2021

 “पृथ्वी “ पृथ्वी के उदर पर जो पड़ी हैं दरारें ये प्रमाण है कि वो जन्म चुकी है शिशु इतंजार

kavitaon ke aor by priya gaud

June 27, 2021

 “कविताओं के ओर” खोजें नही जाते कविताओं और कहानियों के ओर ये पड़ी रहती है मन के उस मोड़ पर 

Leave a Comment