Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh, Veena_advani

आज खुशी मिलेगी परंतु कल- अपनी काबिलियत पहचानें

आज खुशी मिलेगी परंतु कल- अपनी काबिलियत पहचानें निरंतर बढ़ती हुई आपाधापी में लोग इस कदर एक दूसरे से आगे …


आज खुशी मिलेगी परंतु कल- अपनी काबिलियत पहचानें

आज खुशी मिलेगी परंतु कल- अपनी काबिलियत पहचानें

निरंतर बढ़ती हुई आपाधापी में लोग इस कदर एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में न जाने कौन कौन से हथकंडे अपनाने लगे हैं। बस उन्हें तो आगे बढ़ना है कैसे भी करके इस दुनिया की भीड़ में अपने चेहरे की एक अलग पहचान बनानी है और इसके लिए कुछ लोग किसी भी हद तक कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। कड़वा है बहुत ही कड़वा है यह शब्द परंतु इस जहरीले सच में इतनी सच्चाई है कि मेरे लिखे हुए इन शब्दों को कोई भी टाल नहीं सकता है। जो इस तरह की राह आगे बढ़ने के लिए इख़्तियार करते हैं। वह जब मेरे इन शब्दों को पड़ेंगे तो वह खुद सोचने पर विवश हो जाएंगे और खुद का चेहरा जरूर एक बार आईने में देखेंगे उन्हें ऐसा लगेगा की एक लेखिका ने उनके विभक्त चेहरे को दुनिया के सामने लाकर रख दिया है चाहे वह मौन रहेंगे परंतु उनके भीतर की अंतरात्मा उनको कसौटती रहेगी। वो खुद अपनी ही नजरों में अपने आप को अपमानित महसूस करेंगे जानते हैं क्यों क्योंकि उन पाठकों को पता है। कि उन्होंने इस दुनिया की भीड़ में आगे बढ़ने के लिए अपने साथियों मित्रों अपनों को ही किस तरह गिरा कर आगे बढ़े हैं। और उन्होंने अपनी उम्र अपनों को गिराया है जिनके अंदर काबिलियत कूट-कूट कर भरी है जो उस पद जो उस सफलता के हकदार थे उन्हें अपने पैरों तले रौंद दिया अपनी ही नाकाबिलियत से। सिर्फ और सिर्फ इस भीड़ में अपना चेहरा एक अलग चमक के साथ दिखाने के लिए। आज मेरे शब्दों में वेदना छुपी है। अपनी काबिलियत को दुनिया के सामने रखने के लिए जी-जान से कुछ लोग मेहनत करते हैं, परंतु उनकी मेहनत पर वो नाकाबिल लोग पानी फेर देते हैं जो अपनी काबिलियत पर नहीं बल्कि किसी के कांधे का सहारा ले निरंतर क़ाबिल इंसान को धकेलते जाते उस नाउम्मीदी के दलदल मे जिस दलदल कि उसने अपनी काबीलियत के चलते कभी कल्पना भी नहीं की थी।
अब तक की जिंदगी के इन गुज़रे मेरे ही लम्हों मे कुछ ऐसे मोड़ आए जो मुझे ही मेरी काबिलियत से विमुख कर कर मुझे ही अपने कांधे का सहारा दे मुझे उस मुकाम के हसीन सपनों के ताने-बाने बुन आगे ले जाने कि बात कर रहे थे। जो सपने मैंने ही अपने भविष्य के लिए संजोए सपने देखना संजोना, एक लक्ष्य निर्धारित कर उस लक्ष्य को भेदने का निरंतर प्रयास करना कोई बुरी बात नहीं परंतु अपने ईमान से डगमगा अपनी काबिलियत को लताड़ कर, किसी ओर के दम़ पर आगे बढ़ना क्या ये सही है? नहीं मेरी नज़रों में यह अपनी ही नज़रों मे अपनी ही काबिलियत का अपमान है। ज़रा सी चूक, आगे बढ़ने की जल्द चाह, आपको ना जाने कब किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दे की जिस समाज में आप अपना रूतबा अपने ऊंचे पद, अहंकार से लाना चाहते थे वो ऐसा ना हो कि आपके ही विपरीत आपके ही विमुख हो जाए।
बहुत सरल है किसी के कांधे पर सर रख, किसी का हाथ थाम, किसी की चापलूसी कर आगे बढ़ना परंतु जो आपके भीतर का आत्म सम्मान है उस आत्म सम्मान को पहुंचती निरंतर चोट से घायल होता हुआ अंतर्मन आपको वो खुशी दे पाएगा। नहीं मिलेगी वो खुशी। खुशी तो तब होगी जब आप अपने ही दम पर अपनी काबिलियत के जोर पर आगे बढ़े और अपनी ही भीतर कला को ओर भी अधिक चमकाने का प्रयत्न करें आपकी मेहनत ही आपको तृप्ति दे सकती है। वो कहावत है ना खाली हाथ आए हैं खाली हाथ ही जाएंगे। फिर क्यों इतनी आपाधापी में हम भी अपने आप की काबिलियत को नकार, आपाधापी के पीछे-पीछे भाग रहे हैं। सिर्फ देखा-देखी चेहरे पर नकाब लगा की मैं तो इतना बढ़ा , अमीर इंसान हूं, दुनिया मुझे सलाम ठोकती है यही सोच से आप अपने बाहरी आवरण पर तो नकाब लगा खुश हो जाएंगे। परंतु सच क्या आप खुश हो पाएंगे ये जवाब तो आपके ही भीतर, आपके ही अंतर्मन को पता होगा। क्यों कि किसी का कांधा यदि आपको सहारा दे सकता है आपके समक्ष वो कांधा ये तसल्ली देता है कि वो कांधा सिर्फ आपके लिए है। तो भ्रमजाल में मत रहियेगा खास करके महिलाएं ऐसे लोग एक नहीं दस लोगों‌को अपने कांधे का सहारा दे रहे होते, हर एक को अंधेरे‌ में रख कर। इसलिए काबिलियत को अपनी हीरे की कनी की तरह बारिकी से तराशो ना कि अपनी काबिलियत से विमुख हो किसी के कांधे के सहारे से आगे बढ़ें। जो आज आपको कांधे का सहारा दे कर खुश कर रहा है, वो हो सकता है दूसरों कि चापलूसी से अधिक प्रसन्न होकर आपको ही उस अंधकार मय राह पर छोड़ दें जिसकी कल्पना आपने कभी की ही नहीं थी और कहीं उसी के चलते आप इतने अधिक विचलित हो जाएं की आप अपनी ही काबिलियत को ही टूटकर भूल जाएं। आप सभी बहुत काबिलियत से भरे हैं बस आपको अपनी-अपनी काबिलियत को पहचान उसे तराश कर दुनिया के समक्ष लाकर अपनी पहचान बनानी है। यही गर्व से समाज में सर उठाकर जीने का,खुश रहने का बहुत बड़ा मंत्र है।

About author

Veena advani
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर , महाराष्ट्र

Related Posts

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी

May 26, 2024

सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी अगर आप विजेता बनना चाहते हैं, तो विजेताओं के साथ रहें। अगर आप

विचारों की भी होती है मौत

विचारों की भी होती है मौत

May 26, 2024

प्रत्येक दिन दिमाग में 6,000 विचार आते हैं, इनमें 80% नकारात्मक होते हैं। इन नकारात्मक विचारों से दूर रहने के

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह

May 26, 2024

स्पष्ट लक्ष्य, सफलता की राह तीरंदाज एक बार में एक ही लक्ष्य पर निशाना साधता है। गोली चलाने वाला एक

जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, | jo log lakshya nhi banate

जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, | jo log lakshya nhi banate

May 26, 2024

 जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते हैं, वे लक्ष्य बनाने वाले लोगों के लिए काम करते हैं। यदि आप अपनी योजना

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य

May 26, 2024

हर दिन डायरी में कलम से लिखें अपना लक्ष्य सबसे पहले अपने जिंदगी के लक्ष्य को निर्धारित करें। अपने प्रत्येक

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही

May 26, 2024

महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्राचीन काल से जागरूक रही पर्यावरण शब्द का चलन नया है, पर इसमें जुड़ी चिंता

Leave a Comment