Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

lekh, Veena_advani

अपने ही अपनों की आंखों मे तब खटकते

अपने ही अपनों की आंखों मे तब खटकते आज कि भागमभाग जिंदगी में हर कोई एक दूजे से आगे निकलना …


अपने ही अपनों की आंखों मे तब खटकते

अपने ही अपनों की आंखों मे तब खटकते

आज कि भागमभाग जिंदगी में हर कोई एक दूजे से आगे निकलना चाहता है हर कोई चाहता है कि मैं आगे बढ़ो और तरक्की करो और मेरे रास्ते में कोई भी व्यवधान उत्पन्न ना करें चाहे वह व्यवधान उत्पन्न करने वाले मेरे ही क्यों ना हो वह व्यवधान जो उत्पन्न किया जा रहा है मेरे हित में ही है जानते हुए भी , परंतु कहां किसी को पसंद की कोई किसी को ठोकाठोकी करें चाहे वह हमारे बड़े बुजुर्गों की क्यों ना हो जो हमारे हित में सोचते हुए हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं परंतु आज के लोगों में सहनशक्ति नाम की चीज ही कहां है उन्हें तो तब अपने ही दुश्मन नजर आते हैं जब उनके अपने उन्हें सही सलाह देते हैं और सही कार्य करने के लिए सदैव प्रेरणा देते रहते हैं । जब हमारा एकल परिवार हो या संयुक्त परिवार हो तो हर किसी को एक दूसरे के बारे में जानकारी होती ही है कि कौन क्या कर रहा है फिर भी कुछ लोग ऐसे होते हैं परिवार के अंदर ही *घर का भेदी लंका ढाए* वाले मुहावरे पर खरे उतरते हैं और वह घर के अंदर ही रहकर कुछ अनैतिक कार्यों में घुसकर पथ भ्रमित हो जाते हैं जब परिवार वालों को उनके बारे में पता पड़ता है अपना जानकर वह सदैव मार्गदर्शन करते हुए समझाते रहते हैं परंतु जिसे शॉर्टकट तरीके का चस्का लग गया हो या कोई भी अवैधानिक तरीके से आगे बढ़ने का रास्ता मिलता जा रहा और उसमें खूब पैसा कमाए या किसी को नीचे गिराने या किसी को अपने जाल में फंसाने का जब विभिन्न प्रकार के अवैधानिक कार्य हो उसे किसी भी प्रकार का व्यवधान पसंद नहीं आता है परंतु अवैधानिक कार्य करने वाला यह भूल जाता है कि वक्त का चक्र कब कैसे पलट जाए और कब वह चक्र पलट कर उसी के ऊपर गिर जाए कह नहीं सकते इसलिए यदि घर के लोग अपना जानते हुए आप से स्नेह रखते हुए आप को सही राह दिखा रहे हैं तो ऐसे लोगों का बल्कि सम्मान करते हुए उनकी बात मान कर अपने हित के बारे में सोचिने के बजाय उनसे नफरत करते हैं । बल्कि अपने ही लोगों के बीच में रहकर अपने लोगों से नफरत करते हुए आप सुखी नहीं रह पाएंगे अपने तो अपने ही होते हैं पराए या ये कहें बाहर वाले तो चार दिन की चॉंदनी की तरह बस साथ देंगे और 1 दिन मतलब निकल जाने के बाद आप को लात मारकर किस तरह ठोकर मार कर चले जाएंगे आप को पता भी नहीं चलेगा और तब तक आपके अपने आप से कितना दूर हो जाएंगे यह कह नहीं सकते आपके पास पछतावे के लिए भी चंद आंसू बहाने के सिवा कुछ साथ नहीं रहेगा ऐसे लोगों का तो साक्षात भगवान भी साथ नहीं देते हैं वह सोचते हैं कि भगवान हमारे साथ है हमारा तो कुछ अहित हो ही नहीं रहा परंतु यह वक्त की मार जब लगती है ना तो सब धूमिल हो जाते हैं इसलिए अपनों का साथ दीजिए अपनों के साथ रहकर अपना विकास कीजिए।

About author

Veena advani
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र

Related Posts

Lekh ek pal by shudhir Shrivastava

July 11, 2021

 लेख *एक पल*         समय का महत्व हर किसी के लिए अलग अलग हो सकता है।इसी समय का सबसे

zindagi aur samay duniya ke sarvshresth shikshak

July 11, 2021

 जिंदगी और समय ,दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक जिंदगी, समय का सदा सदुपयोग और समय, जिंदगी की कीमत सिखाता है  जिंदगी

kavi hona saubhagya by sudhir srivastav

July 3, 2021

कवि होना सौभाग्य कवि होना सौभाग्य की बात है क्योंकि ये ईश्वरीय कृपा और माँ शारदा की अनुकम्पा के फलस्वरूप

patra-mere jeevan sath by sudhir srivastav

July 3, 2021

पत्र ●●● मेरे जीवन साथी हृदय की गहराईयों में तुम्हारे अहसास की खुशबू समेटे आखिरकार अपनी बात कहने का प्रयास

fitkari ek gun anek by gaytri shukla

July 3, 2021

शीर्षक – फिटकरी एक गुण अनेक फिटकरी नमक के डल्ले के समान दिखने वाला रंगहीन, गंधहीन पदार्थ है । प्रायः

Mahila sashaktikaran by priya gaud

June 27, 2021

 महिला सशक्तिकरण महिलाओं के सशक्त होने की किसी एक परिभाषा को निश्चित मान लेना सही नही होगा और ये बात

Leave a Comment