Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, poem

सुख दुख दोनों रहते जिसमें जीवन है वो गांव

भावनानी के भाव सुख दुख दोनों रहते जिसमें जीवन है वो गांव जिंदगी में उतार-चढ़ाव बस एक ख़ूबसूरत खेल है …


भावनानी के भाव

सुख दुख दोनों रहते जिसमें जीवन है वो गांव

सुख दुख दोनों रहते जिसमें जीवन है वो गांव|The village where there is life in both happiness and sorrow

जिंदगी में उतार-चढ़ाव
बस एक ख़ूबसूरत खेल है
जिंदगी सुखों और दुखों का
बहुत ही ख़ूबसूरत मेल है

दुख भी शरमा जाएगें
यह कैसा माहौल है
जियो अगर दुखों को खुशी से
जिंदगी में यह सबसे यह अनमोल है

कभी ढेरों खुशियां आती है
कभी गम आते बेमिसाल है
घबरा जाए तो चुनौतियां से
वह भी क्या इंसान है

जीना सिखा दे बुरे वक्त में
वही असल इम्तिहान है
इम्तिहानो से भरी जिंदगी यही
खूबसूरत मिसाल है

सिर्फ सुख या सिर्फ दुख ही
जीवन में यह सरासर बेमेल है
जिंदगी में उतार-चढ़ाव होते रहें
बस यही तो खूबसूरत खेल है

जिस प्रकार दो पहियों से
पटरी पर दौड़ती रेल है
बस उतार-चढ़ाव जिंदगी के
खूबसूरत खेल है

About author

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 
किशन सनमुख़दास भावनानी 
गोंदिया महाराष्ट्र

Related Posts

kavita- sab badal gya by jitendra kabir

June 6, 2021

सब बदल गया है आजादी के परवानों ने कुर्बान किया खुद को जिनकी खातिर, उन आदर्शों के लिए देश के

kavita sangharsh by mosam khan alwar

June 6, 2021

संघर्ष संघर्ष है जिसके जीवन में उसे जीवन का सार हैनित जीवन में करते हम संघर्ष जीवन का आधार हैउठ

Kavita-paap nhi hai pyar by devendra arya

June 6, 2021

 पाप नहीं है प्यार अपने प्यार को कभी ऐसे नहीं सरापते हज़ूर कि श्राप लग जाए पूछ पछोर कर नहीं

kavita aurat paida hoti hai | aurat par kavita

June 4, 2021

औरत पैदा होती है बनाई नहीं जाती सूत दो सूत का अंतर रहा होगा दोनों बच्चों मेंडील डौल कपड़े लत्ते

kavita vyavstha samrthak baniye by jitendra kabir

June 4, 2021

 व्यवस्था समर्थक बनिए व्यवस्था पर कोई भी आरोप लगाने से पहले सौ बार सोच लीजिए ( चाहे वो सही क्यों

kavita kitni lahren baki hai by anita sharma

June 4, 2021

“कितनी लहरें बाकी हैं” कितनी लहरें अभी बाकी हैं,कितनी लहरें आकर जा चुकी । कितने बवंडर उठे यहाँ ,कितने रिश्तों

Leave a Comment