Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

kishan bhavnani, lekh

राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023 मंत्रिमंडल में पारित

राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023 मंत्रिमंडल में पारित संसद के मानसून सत्र में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023 के पेश …


राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023 मंत्रिमंडल में पारित

राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023 मंत्रिमंडल में पारित

संसद के मानसून सत्र में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023 के पेश होने की संभावना

शिक्षा क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023 – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भारत के विज़न 2047 को दुनियां क्रियान्वित होते हुए आश्चर्यचकित रूप में देख रही है और अंदाज लगा रही है कि इसी तरहसफलता के झंडे गाड़ते चले गए तो अपने अमृतकाल में अपने 2047 के लक्ष्यों को अपने समय सीमा 2047 के पूर्व ही प्राप्त कर लेंगे जिससे भारत को विश्व का बादशाह बनने से कोई नहीं रोक सकता। इसीलिए इन भविष्य कालीन अनुमानों के साकार होने की अपार संभावनाओं को देखते हुए आज दुनियां के कई विकसित देश भारत के साथ फ्री ट्रेडएग्रीमेंट की बातें, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, परिवहन और शिक्षा के क्षेत्रों में वार्तालाप प्रोग्रेस पर है। अभी पीएम का 21-24 जून 2023 का अमेरिका दौरे को पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे उनके अनुबंध साइन हुए। चूंकि 28 जून 2023 को देर शाम केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनेक विषयों के साथ राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023 को भी संसद के अगले मानसून सत्र में रखने की मंजूरी प्रदान की है।इसलिए आज हम मीडिया और पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के शिक्षा क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023
साथियों बात अगर हम 28 जून 2023 को देर शाम मंत्रिमंडल बैठक में इस विषय को पारित होने की करें तो. पीएम की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) विधेयक, 2023 को संसद में पेश करने की स्वीकृति दे दी। स्वीकृत विधेयक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह फाउंडेशन अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) का बीजारोपण करेगा तथा उसे विकसित एवं प्रोत्साहित करेगा और देशभर के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों तथा अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) प्रयोगशालाओं में अनुसंधान एवं नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देगा। यह विधेयक, संसद में मंजूरी के बाद, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सिफारिशों के अनुरूप देश में वैज्ञानिक अनुसंधान को उच्चस्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिए एनआरएफ नाम की एक शीर्ष निकाय की स्थापना करेगा। इस शीर्ष निकाय की कुल अनुमानित लागत पांच वर्षों की अवधि (2023-28) के दौरान 50, हज़ार करोड़ रुपये होगी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) एनआरएफ का प्रशासनिक विभाग होगा जो एक शासी बोर्ड (गवर्निंग बोर्ड) द्वारा शासित होगा और इस बोर्ड में विभिन्न विषयों से संबंधितप्रख्यात शोधकर्ता और पेशेवर शामिल होंगे। चूंकि एनआरएफ का दायरा व्यापक होगा और यह सभी मंत्रालयों को प्रभावित करेगा, इसलिए प्रधानमंत्री इस बोर्ड के पदेन अध्यक्ष होंगे और केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री तथा केन्द्रीय शिक्षा मंत्री पदेनउपाध्यक्ष होंगे। एनआरएफ का कामकाज भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में एक कार्यकारी परिषद द्वारा प्रशासित होगा। एनआरएफ उद्योग एवं शिक्षा जगत तथा सरकारी विभागों व अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग स्थापित करेगा और वैज्ञानिक एवं संबंधित मंत्रालयों के अलावा विभिन्न उद्योगों और राज्य सरकारों की भागीदारी व योगदान के लिए एक इंटरफेस तंत्र तैयार करेगा। यह एक ऐसी नीतिगत रूपरेखा बनाने और नियामक प्रक्रियाओं को स्थापित करने पर ध्यान केन्द्रित करेगा जो अनुसंधान एवं विकास पर उद्योग जगत द्वारा सहयोग और बढ़े हुए व्यय को प्रोत्साहित कर सके।
यह विधेयक 2008 में संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) को भी निरस्त कर देगा और इसे एनआरएफ में सम्मिलित कर देगा, जिसका एक विस्तृत दायरा है और जो एसईआरबी की गतिविधियों के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों को भी कवर करता है।
साथियों बात अगर हम मानसून सत्र 2023 की करें तो संसद के आगामी मानसून सत्र को लेकर संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीपीए) की बैठक हुई। इसमें सत्र की तारीखों को लेकर चर्चा की गई। इस बीच मीडिया में बताया है कि जुलाई के तीसरे सप्ताह में मानसून सत्र की शुरुआत हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट के समक्ष प्रस्तावित तारीखों के अनुसार मानसून सत्र 17 जुलाई या 20 जुलाई से शुरू हो सकता है। मीडिया ने यह भी बताया कि लगभग एक महीने तक चलने वाले मानसून सत्र में 20 बैठकें होने की संभावना है और यह स्वतंत्रता दिवस से पहले समाप्त हो जाएगा। संभावना है कि सत्र पुराने संसद भवन में शुरू होगा, लेकिन बाद में इसे नई संसद में ले जाने की संभावना है। लोकसभा में विधेयक आसानी से पारित हो जाएगा क्योंकि निचले सदन में सत्ताधारी पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास स्पष्ट बहुमत है। राज्यसभा में विधेयक को पारित कराने में चुनौती पेश हो सकती है। क्योंकि सात रिक्त सीटों के साथ वर्तमान सदन के सदस्यों की संख्या 238 है, जिससे उच्च सदन में बहुमत का आंकड़ा घटकर 120 हो जाता है। इसलिए सत्ताधारी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को राज्यसभा में कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। नामित सदस्यों के समर्थन से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास उच्च सदन में संख्या बल 111 है, जबकि विपक्ष के पास कुल संख्या बल 106 है, जिसमें वाईएसआरसीपी, बीजेडी, बीएसपी, टीडीपी और जनता दल (सेक्युलर) जैसी पार्टियां शामिल नहीं हैं। इन पांचों दलों के पास कुल मिलाकर 21 सदस्य हैं।
साथियों बात अगर हम शैक्षणिक अनुसंधान की करें तो छात्र अध्ययन, शिक्षण विधियों, शिक्षक प्रशिक्षण और कक्षा गति की जैसे विभिन्न पहलुओं के मुल्यांकन को सन्दर्भित करने वाली विधियों को कहा जाता है।शैक्षिक अनुसंधान से तात्पर्य उस अनुसंधान से होता है जो शिक्षा के क्षेत्र में किया जाता है। उसका उद्देश्य शिक्षा के विभिन्न पहलुओं, आयामों, प्रक्रियाओं आदि के विषय में नवीन ज्ञान का सृजन, वर्तमान ज्ञान की सत्यता का परीक्षण, उसका विकास एवं भावी योजनाओं की दिशाओं का निर्धारण करना होता है। टैंवर्स ने शिक्षा-अनुसंधान को एक ऐसी क्रिया माना है जिसका उद्देश्य शिक्षा-संबंधी विषयों पर खोज करके ज्ञान का विकास एवं संगठन करना होता है। विशेष रूप से छात्रों के उन व्यवहारों के विषय में ज्ञान एकत्र करना, जिनका विकास किया जाना शिक्षा का धर्म समझा जाता है, शिक्षा-अनुसंधान में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण समझा जाता है। ट्रैवर्स के अनुसार, शिक्षा के विभिन्न पहलुओं के विषय में संगठित वैज्ञानिक ज्ञान-पुंज का विकास अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि उसी के आधार पर शिक्षक के लिए यह निर्धारित करना संभव होता है कि छात्रों में वांछनीय व्यवहारों के विकास हेतु किस प्रकार की शिक्षण एवं अधिगम परिस्थितियों का निर्माण करना आवश्यक होगा। छात्र अध्ययन, शिक्षण विधियों, शिक्षक प्रशिक्षण और कक्षा गतिकी जैसे विभिन्न पहलुओं के मुल्यांकन को सन्दर्भित करने वाली विधियों को कहा जाता है। विशेष रूप से छात्रों के उन व्यवहारों के विषय में ज्ञान एकत्र करना, जिनका विकास किया जाना शिक्षा काधर्म समझा जाता है, शिक्षा-अनुसंधान में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण समझा जाता है। ट्रैवर्स के अनुसार, शिक्षा के विभिन्न पहलुओं के विषय में संगठित वैज्ञानिक ज्ञान-पुंज का विकास अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि उसी के आधार पर शिक्षक के लिए यह निर्धारित करना संभव होता है कि छात्रों में वांछनीय व्यवहारों के विकास हेतु किस प्रकार की शिक्षण एवं अधिगम परिस्थितियों का निर्माण करना आवश्यक होगा।
साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के उद्देश्यों की करें तो इसके प्रमुख उद्देश्यों में से एक शैक्षणिक संस्थानों में अनुसंधान सुविधाओं की शुरुआत विकास और सुविधाएं प्रदान करना है। शैक्षणिक संस्थानों में उन विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जहां अनुसंधान क्षमता अभी विकास के चरण में हैएनआरएफ का एक अन्य उद्देश्य उच्च प्रभाव, बड़े पैमाने पर, बड़े स्तर पर अन्वेषण, मल्टी इंस्टीट्यूशन, और अंतर संकाय एवं बहु-राष्ट्रीय परियोजनाओं को फंडिंग और समर्थन देना है। उपरोक्त सभी काम संबंधित मंत्रालयों, विभागों और अन्य सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं, खासकर उद्योग जगत के सहयोग से किए जाएंगे।शिक्षा के अनेक संबंधित क्षेत्र एवं विषय हैं, जैसे, शिक्षा का इतिहास, शिक्षा का समाजशास्त्र, शिक्षा का मनोविज्ञान, शिक्षा दर्शन, शिक्षण-विधियाँ, शिक्षा तकनीकी, अध्यापक एवं छात्र, मूल्यांकन, मार्गदर्शन, शिक्षा के आर्थिक आधार, शिक्षा-प्रबंधन, शिक्षा की मूलभूत समस्याएँ आदि। इन सभी क्षेत्रों में बदलते हुए परिवेश एवं परिवर्तित परिस्थितियों के अनुकूल वर्तमान ज्ञान के सत्यापन एवं वैधता परीक्षण की निरंतर आवश्यकता बनी रहती है। यह कार्य शिक्षा अनुसंधान के द्वारा ही सम्पन्न होता है।
अतः अगर हम अपने पूरे हुए का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि पाएंगे कि राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023 मंत्रिमंडल में पारित संसद के मानसून सत्र में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023 के पेश होने की संभावना।शिक्षा क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023

About author

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 
किशन सनमुख़दास भावनानी 
गोंदिया महाराष्ट्र 

Related Posts

Kya sayana kauaa ….ja baitha by Jayshree birmi

November 17, 2021

 क्या सयाना कौआ………जा बैठा? हमे चीन को पहचान ने के लिए ज्यादा कोशिश नहीं करनी पड़ती।हम १९६२ से जानते है

Sanskritik dharohar ko videsho se vapas lane ki jarurat

November 13, 2021

 भारत की अनमोल, नायाब, प्राचीन कलाकृतियां, पुरावशेष और सांस्कृतिक धरोहरों को विदेशों से वापस लाने की जांबाज़ी हर शासनकाल में

Bal diwas he kyo? By Jayshree birmi

November 12, 2021

 बाल दिवस ही क्यों? कई सालों से हम बाल दिवस मनाते हैं वैसे तो दिवस मनाने से उस दिन की

Bharat me sahitya ka adbhud khajana by kishan bhavnani gondiya

November 12, 2021

भारत में साहित्य का अद्भुद ख़जाना –   साहित्य एक राष्ट्र की महानता और वैभवता दिखाने का एक माध्यम है 

Masoom sawal by Anita Sharma

November 12, 2021

 ” मासूम सवाल” एक तीन सवा तीन साल का चंचल बच्चा एकाएक खामोश रहने लगा….पर किसी ने देखा नही।उस छोटे

Prithvi ka bhavishya by Jayshree birmi

November 12, 2021

 पृथ्वी का भविष्य  हमारे पुराणों और ग्रंथों  में पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर जो भी प्रलय हुए हैं उसके बारे

Leave a Comment