Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Deepak kranti, poem

राष्ट्रभाषा या राजभाषा | rashtrabhasha ya rajbhasha

राष्ट्रभाषा या राजभाषा अपने ही देश में दिवस मनवाने की मोहताज़ हूँ,विवश हूँ मैं..राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ,आज भी इस …


राष्ट्रभाषा या राजभाषा

राष्ट्रभाषा या राजभाषा | rashtrabhasha ya rajbhasha

अपने ही देश में दिवस मनवाने की मोहताज़ हूँ,विवश हूँ मैं..
राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ,
आज भी इस बात की ‘बहस’ हूँ मैं।

भारत माता की माथे की बिंदी कोई कहता,
स्वतंत्रता आंदोलन की एकता वाली हिंदी कोई कहता,
‘बोलती है मेरे माथे की बिंदी ‘ कोई कहता..
अपने ही लोगों के विविधता के विचारों से तहस -नहस हूँ मैं…
राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ…. मैं।।

मैं सबके शब्दों को सीने की मालिका में मोतियों सा पिरोती हूँ,
फिर भी अपने ही गाँव में गँवार कहला कर रोती हूँ।
मुझसे ‘रोटी’ कमाने वालों के मुँह से भी ‘गुड नाईट’ सुन के सोती हूँ,
‘उन’ अंग्रेजी बोलनेवालों की भी कीर्ति हूँ, यश हूँ मैं..
राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ…. मैं।।

आज विदेश भी मुझे अपना रहे हैं,
‘राष्ट्रीयता ‘ से बढ़के ‘क्षेत्रीयता’ है, कुछ ये भी सुना रहे हैं,
‘कमाई’ की बात हो तो बात -बेबात सभी बतिया रहे हैं,
पता नहीं मीठी हूँ, कर्कश हूँ या कश्मकश हूँ मैं..
राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ…. मैं।।

अलिखित रूप से लोग मुझे राष्ट्रभाषा हिंदी कहते हैं,
जैसे बापू को अलिखित रूप से
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी कहते हैं,
नौकरानी को न्यायरानी -राजरानी बनाने का क्या एक ‘दुस्साहस’ हूँ मैं?
राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ…. मैं।।

अपने ही देश में दिवस मनवाने की मोहताज़ हूँ,विवश हूँ मैं..
राष्ट्रभाषा हूँ या राजभाषा हूँ,
आज भी इस बात की ‘बहस’ हूँ मैं।।

About author 

-डॉ दीपक क्रांति,  गुमला झारखण्ड

-डॉ दीपक क्रांति, 

गुमला झारखण्ड

Related Posts

कविता – संदेश | kavita-Sandesh

September 13, 2023

संदेश जब से गए तुम साजन मेरे,मन को न कुछ भी भाये।हर क्षण लगता वर्ष सम मुझको,याद तेरी अति सताए।भूख

कविता – फिर रात | kavita -Phir rat

September 13, 2023

 कविता – फिर रात | kavita -Phir rat सत्य एक, बीती दो रात हैये दो चांदनी, फिर कहे कोई बात

भारतीय संस्कार | bharteey sanskar par kavita

September 11, 2023

भावनानी के भाव भारतीय संस्कार भारतीय संस्कार हमारे अनमोल मोती है प्रतितिदिन मातापिता के पावन चरणस्पर्श से शुरुआत होती है

नारी सब पर भारी हो | Naari par kavita

September 10, 2023

नारी सब पर भारी हो ! नारी हो तुमसब पर भारी होतुम किसी की बेटी बनघर की रौनक बन जाती

नटखट कृष्ण | natkhat krishna

September 6, 2023

नटखट कृष्ण कान्हा, तेरी देख सुंदर छवि प्यारी,मन हुआ विकारों से खाली।मनभावन अखियां तेरी,मोहक मुस्कान है।मोरपंख से सुशोभित मुकुट तेरा,घुंगराले

माँ बूढ़ी हो रही है

August 30, 2023

माँ बूढ़ी हो रही है अबकी मिला हूँ माँ से,मैं वर्षों के अंतराल पर,ध्यान जाता है बूढ़ी माँ,और उसके सफ़ेद

PreviousNext

Leave a Comment