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Jayshree_birmi, poem

मुस्कुराते चेहरे| muskurate chehre kavita

मुस्कुराते चेहरे हो खत्म दुनिया से दुःख की लहरेतब दिखेंगे हम मुस्कुराते हुए चेहरेजुल्म ओ सितम का दौर खत्म होप्यार …


मुस्कुराते चेहरे

मुस्कुराते चेहरे| muskurate chehre kavita

हो खत्म दुनिया से दुःख की लहरे
तब दिखेंगे हम मुस्कुराते हुए चेहरे
जुल्म ओ सितम का दौर खत्म हो
प्यार और अमन के सपनें रचे हो
लिखे सब प्रेम महोबबत की कहानी
न नफरत की बातें किसी की जुबानी
जब लिखेंगे हम सब प्यार के ही तराने
दुनिया में करते नफरत कीसी बहाने
बताओं कौन गाएगा उल्फत के फसाने
खत्म मत करो हसीं को इस जहां से
हमें ही करना है नष्ट जहां से नफरत
हमें बदलनी होगी सब की फितरत
नहीं उतर आयेगी कोई परी आसमां से
मिटाने नफरत,घृणा,द्वेष को जहां से

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Jayshree birimi
जयश्री बिरमी
अहमदाबाद (गुजरात)


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