Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, आचार्यदेवो भव

 मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, आचार्यदेवो भव माता-पिता की छत्रछाया – कुदरत ने अमृत बरसाया  माता-पिता ईश्वर अल्लाह का दूसरा रूप-आपके …


 मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, आचार्यदेवो भव

मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, आचार्यदेवो भव
माता-पिता की छत्रछाया – कुदरत ने अमृत बरसाया 

माता-पिता ईश्वर अल्लाह का दूसरा रूप-आपके माता-पिता आपसे खुश हैं तो समझो ईश्वर अल्लाह खुश हैं-एड किशन भावनानी

गोंदिया – भारत की मिट्टी में ही संस्कार है, भारत में जिस प्रकार के संस्कार,भाव,आस्था,परोपकार और जैसी भावना है, ऐसी हमें वैश्विक स्तर पर कहीं दिखाई नहीं देगी ऐसा मेरा मानना है। क्योंकि भारत की मिट्टी में ही ऐसे भाव होते हैं कि यहां रहने वाला हर वासी स्वभाविक ही ऐसे भाव से ओतप्रोत हो जाता है। यूं तो संस्कारों की माला में बहुत मणि मोती हैं पर हम आज उसके एक मणि मोती माता-पिता के सम्मान की उठाते हैं और उस पर चर्चा करेंगे, हालांकि वैश्विक स्तर पर दुनिया में सबसे अनमोल एक रिश्ता है जिससे कोई भी अछूता नहीं है। एक ऐसा रिशता जो अपना है,जिसमें कोई धोखा नहीं है,जिसमें स्वार्थ के लिये कोई स्थान नहींं है,जिसमें परायेपन की तो परछाई तक नहीं है,और वो रिश्ता है-माता-पिता का अपनी संतान से। य़ह एक ऐसा रिश्ता है जो दिल से जुडा होता है।

साथियों बात अगर हम मातापिता आचार्य को ब्रह्मा विष्णु महेश मानने की की करें तो तैत्तिरीयोपनिषद में कहा गया है- ‘मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, आचार्यदेवो भव। अर्थात माता-पिता और आचार्य को देवता मानो। ये तीनों प्रत्यक्ष ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं। इन्हें सदैव संतुष्ट और प्रसन्न रखना हमारा परम धर्म है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि माता-पिता के समान श्रेष्ठ अन्य कोई देवता नहीं है। अत: सदा सभी प्रकार से हमें अपने माता-पिता की पूजा और सेवा करनी चाहिए।

साथियों बात अगर हम भारत की करते हैं तो यहां इस रिश्ते को बहुत ही मान सम्मान है। अगर हम पहले की बात करें तो सबसे सटीक उदाहरण हम श्रावण का दे सकते हैं परंतु यह समय का चक्र है और घूमते रहता है समय कैसे बदल जाता है पता ही नहीं चलता। आज हम पुराने समय के श्रवण कुमार से अच्छा तो फिलहाल कोई नही बता सकते,लेकिन आज के बदलते परिवेश मे श्रवण कुमार तो बमुश्किल मिलेंगे। आज समय के हिसाब से पुत्र मे भी काफी बदलाव आया है।

साथियों अब पहले वाली बात नही रह गयी। एक बच्चे के लिये माता-पिता का रहना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है,जितना महत्व एक पौधे को पालने मे माली करता है,उतना ही जिम्मेदारी बच्चों को पालने मे करनी पड़ती है। वह माली जो पौधे को लकड़ी का सहारा देकर ,पानी ,खाद आदि से सिंचित करके उस पौधे को वृक्ष बनाता है।उसी प्रकार से माता-पिता भी नन्हे से बच्चे को कितने कष्ट को झेलते हुए उस बच्चे को युवक बनाते है। माता-पिता के अथक प्रयास के बदौलत ही एक बच्चा अपने सफलतम मार्ग पर चलते हुए एक बड़ा इंसान बनता है। इसीलिये माता-पिता को बच्चों की प्राथमिक विद्यालय कहते है।क्योकि हर बच्चा पैदा होते ही स्कूल नही जाता,तो उस समय घर पर पहली सीख माँ और पिताजी ही देते है।आज लोग प्यार का मतलब सिर्फ एक लड़के और लड़की के बीच के प्यार को समझते है। लोग भूलते जा रहे है की मनुष्य को पहला निस्वार्थ और सच्चा प्यार सिर्फ अपने माँ-बाप से मिला है। 

साथियों माता-पिता ने हमें जिंदगी देने के लिए कितनी कठिनाइयों का सामना किया इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। इसीलिए माता-पिता से हमेशा प्यार करे उनकी सेवा करे, माता-पिता की सेवा करना मतलब ईश्वर अल्लाह को राज़ी करना। हालांकि इस बदलते परिवेश में भी हम सभी एक बात महसूस करते हैं कि बेटे की अपेक्षा बेटी की माता-पिता के प्रति भाव, लगाव, आस्था, अधिक होती है और स्वाभाविक रूप से उसके परिवेश में माता-पिता के भी बेटी में भाव अपेक्षाकृत अधिक होते है फिर भी बेटा बेटी दोनों माता-पिता की आंखों के दो तारे होते हैं और दोनों आंखों को समान भाव देना मनुष्य की कुदरती प्रवृत्ति है। 

अतः हर बेटे बेटी को चाहिए माता-पिता का भरपूर सम्मान करें। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि, हमने माता-पिता की ऊँगली थाम के चलना सिखा और उनकी मेहनत से पले। आज हम जो कुछ भी है हमारे माता-पिता की वजह से है। माता-पिता के त्याग और बलिदान का कर्ज हम अपनी जान देकर भी नहीं चूका सकते। इस दुनिया में माँ की ममता का कोई मोल नहीं है और पिता की मोहब्बत का कोई तोड़ नहीं है। आज हम जब बड़े हो गए है तो हमारा हक़ बनता है की हम अपनेमाता पिता की सेवा करें, उनसे ऊँची आवाज में बात ना करे, कोई भी काम शुरू करने से पहले उनसे सलाह ले, उनका सम्मान करे और अपने मातापिता का कभी दिल न दुखाएँ। 

माता- पिता अपने बच्चों के लिए अपनी हर चीज कुर्बान कर देते है। लेकिन आज माता-पिता की अहमियत कम होती जा रही है। जिस बेटे की लाइफ बनाने में माता-पिता की जिंदगी गूजर जाती है आज उसी बेटे के लिए शादी के बाद माँ-बाप पराये हो जाते हैं। वे माता-पिता के त्याग और बलिदान को भूल रहे है।इस धरती पर हमारे माता-पिता ही साक्षात ईश्वर रूपी अंश हैं। माता-पिता की सेवा करना ईश्वर की आराधना का दूसरा नाम है।आज माता-पिता को गंगाजल नहीं, केवल नल के जल की जरूरत है। यदि हम समय पर उनकी प्यास बुझा सके तो इसी धरती पर स्वर्ग है।जिनके माता-पिता जिंदा है वे दुनिया के सबसे अमीर और संपन्न लोगहै।माता- पिता ईश्वर अल्लाह का दूसरा रूप होते है। 

अगर आपके माता-पिता आपसे खुश है तो समझो ईश्वर अल्लाह खुश है। जिस घर में माता-पिता की इज्जत नहीं होती है उस घर में बरकत नहीं होती है। माता-पिता की दुआ आपको मिल गयी समझो आपकी जिंदगी संवर गयी, माता-पिता को आखिरी सांस तक खुश रखे और उन्हें हर वो सुख दे जो वो अपनी ज़िन्दगी में न पा सके, उनके हर एक सपने को पूरा करे।आज माता-पिता की कद्र उस व्यक्ति से पूछिए जिनके माता-पिता इस दुनिया में नहीं है सब के आंसू झलकेंगे और विपरीत अपवाद कुछ ही लोग होंगे। 

अतः माता-पिता में ही ईश्वर अल्लाह समाया है, गुरु समाया है, उनकी सेवा करने से सौ गुना अधिक पुण्य फल भी प्राप्त होता है।

-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


Related Posts

Prithvi ka bhavishya by Jayshree birmi

November 12, 2021

 पृथ्वी का भविष्य  हमारे पुराणों और ग्रंथों  में पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर जो भी प्रलय हुए हैं उसके बारे

Rastriye shiksha shadyantra ka shikar by satya prakash singh

November 10, 2021

राष्ट्रीय शिक्षा षड्यंत्र का शिकार भारत में राष्ट्रीय शिक्षा निम्न वर्ग के लिए अत्यंत महंगी होती जा रही है। भारत

Ek aur natwarlal by jayshree birmi

November 7, 2021

 एक और नटवरलाल  एक वो नटवरलाल था जिसमे ताज महल,सांसद भवन और न जाने क्या क्या बेच दिया था और

Deepak kranti ‘the real super hero award 2021’ se sammanit

November 7, 2021

 दीपक क्रांति, ‘द रियल सुपर हीरो अवॉर्ड-2021’ से सम्मानित 7 नवंबर,2021,झारखंड , एफ.एस.आई.ए.(फोरेवर स्टार इंडिया अवार्ड्स) के सी.ई.ओ. राजेश अग्रवाल

देश के युवाओं को एक सामंजस्यपूर्ण और समावेशी समाज की दिशा में प्रयास करने के लिए आगे आने की ज़रूरत

November 7, 2021

 देश के युवाओं को एक सामंजस्यपूर्ण और समावेशी समाज की दिशा में प्रयास करने के लिए आगे आने की ज़रूरत 

Prem prateek by jayshree birmi

November 7, 2021

प्रेम प्रतीक गहने शरीर का सिंगार हैं तो गुण आंतरिक शक्ति और सिंगार भी हैं।अच्छा स्वभाव और सकारात्मक विचारों से

Leave a Comment