Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

भ्रष्टाचारी कमीशन – 40 प्रतिशत बनाम 85 प्रतिशत

भ्रष्टाचारी कमीशन – 40 प्रतिशत बनाम 85 प्रतिशत चुनावी मौसम आया भ्रष्टाचार के आरोप प्रत्यारोप का दौर छाया भ्रष्टाचारी कमाई …


भ्रष्टाचारी कमीशन – 40 प्रतिशत बनाम 85 प्रतिशत

भ्रष्टाचारी कमीशन - 40 प्रतिशत बनाम 85 प्रतिशत

चुनावी मौसम आया भ्रष्टाचार के आरोप प्रत्यारोप का दौर छाया

भ्रष्टाचारी कमाई का बीज़ शरीर में फलकर, ब्याज सहित वसूली करके ही जीव को छोड़ता है – एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया -10 मई 2023 को कर्नाटक में चुनाव हैं, इसलिए वहां जोरों से राजनीतिक पार्टियों का चुनाव प्रचार,एक दूसरे पर भ्रष्टाचार का शाब्दिक वार आरोप-प्रत्यारोपों का मौसम छाया हुआ है। दो मुख्य पार्टियों में भ्रष्टाचार के 40 प्रतिशत कमीशन का जवाब 85 प्रतिशत कमीशन के रूप में दिया जा रहा है। दशकों पूर्व के तत्कालीन पीएम के दिल्ली से एक रुपए निकलने पर हितधारकों को 15 वैसे ही मिलने वाले वाक्य को दोहराया जा रहा है तो सत्ताधारी पार्टी पर 40 प्रतिशत कमीशन का आरोप लगाया जा रहा है।रेखांकित करने वाली बात यह है कि आरोप दोनों पार्टियों के किसी छोटे नेता नहीं बल्कि अति विशिष्ट उच्च हाई लेवल नेताओं द्वारा एक दूसरे पर लगाए जा रहे हैं जो आज दिनांक 30 अप्रैल 2023 को दिनभर टीवी चैनलों पर चलते रहे परंतु हमें बड़े बुजुर्गों की बात भूलना नहीं चाहिए कि भ्रष्टाचारी लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे ना रे भाई। चूंकि आज भ्रष्टाचार का मुद्दा चरम सीमा पर छाया रहा आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे, इसीलिए आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भ्रष्टाचारी कमीशन 40 प्रतिशत बनाम 85 प्रतिशत।
साथियों बात अगर हम वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म चंडीपूजा का रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी उर्फ कवि प्रदीप द्वारा लिखा गीत, कोई लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे ना रे भाई, जरा समझो इसकी सच्चाई रे, कर्म का लेख मिटे ना रे भाई यह गीत आज हर राजनीतिज्ञ शासकीय कर्मचारी युवा वर्ग और भ्रष्टाचार रूपी मीठी मिठाई खाने वालों को जरूर सुनना चाहिए, क्योंकि भ्रष्टाचार कमीशन एक ऐसा बीज़ है, जो हमेशा उसे बोने के लिए ललचाता है, खुद हर किसी के शरीर में जाकर पनपने को लालायित रहता है ताकि अपनी जड़ें जमा कर अपने शिकार को वर्तमान सहित उसके बुढापे में रिटायरमेंट में अधिक सुविधा और शुद्धता से अपना निवाला बना सके!! उसकी जिंदगी नर्क करे। परंतु हम मनीषजीव उसकी इस चाल को समझ नहीं पाते और आधुनिक सुख-सुविधाओं, अपने क्षमताओं से अधिक सुख भोगने, समाज में दिखावा करके, एंजॉयमेंट रसों लोगों का स्वाद चखने, अपनीं अपनीं जिंदगी जरूरत से अधिक सुगम बनाने के लिए भ्रष्टाचार रूपी खतरनाक बीज के झांसे में आकर उसे अपनाते है अपने शरीर में उससे खरीदी वस्तुओं का उपभोग कर अपने खून में उसे घोलतें है, जिससे उस बीज को शरीर में फलने फूलने का आश्रय और विकास करने की क्षमता प्रदान करतें है, जिसका भुगतान भ्रष्टाचारी को ख़ुद और अपने परिवार सहित अपने कुल को चक्रवर्ती ब्याज सहित भुगतान करना पड़ता है,जिसे हम सब अपने आसपास और समाज में देखते भी हैं कि किस तरह ऐसे लोग हमेशा विवादों में तकलीफों में बीमारियों के घेरे में रहते हैं, उनके परिवार हमेशा विपत्तियों के घेरे में रहते हैं और उम्र के अंतिम पड़ाव में नोटों के पहाड़ डहने लगते हैं जिसका उदाहरण हम पिछले कुछ दिनों से ईडी सीबीआई और अन्य एजेंसियों के रेड में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में देख सुन रहे हैं करीब-करीब रोज टीवी चैनलों पर नेताओं मंत्रियों ऑफिसरों से बरामद चमकती हुई नोटों की हरी गुलाबी गाडियां दिखाई जाती है जिन्हें गिनने मशीनें भी कम पड़ जाती है। इसलिए बड़े बुजुर्गों की कहावत सही है जब संभलो सवेरा तभी शुरू होता है, सुबह का भूला शाम को लौटे तो भुला नहीं कहते इसलिए कवि प्रदीप का उपरोक्त गीत सुनकर समझने की कोशिश करें,ऐसा मेरा मानना है इसके साथ ही मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचानां नहीं है अपितु भ्रष्टाचार रूपी असुर दानव को भारत माता की गोद से कोसों दूर भगाना है जो दीमक की तरह देश को चट कर रहा है।
साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार निवारण में समाज की भूमिका की करें तो, समाज ही सभी अच्छाईयों व बुराईओं का स्त्रोत व उत्तरदायी हैं। समाज द्वारा चुने लोग ही सरकार में भेजे जाते हैं।इसलिए मतदान का बटन बहुत सोच समझ कर करना चाहिए। हमारे समाज के लोग ही सरकारी नौकरियों व पदों पर रखे जाते हैं। इसका अर्थ यह है कि समाज के अन्दर ही भ्रष्टाचार का बीज विद्यमान हैं। हमें अपने समाज में सुधार करने की आवश्यकता हैं। इसके लिए आवश्यक हैं कि हमे ऐसे लोगो को प्रमुख जिम्मेदारी देनी चाहिए जो विद्वान, योग्य हो और समाज हित व देश हित की मंशा रखते हैं। हमें सबसे पहले शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को शुरू से ही अच्छे कार्य करने की शिक्षा देनी चाहिए। उन्हे गलत कार्यों व लालच से दूर रहने की सलाह देनी चाहिए। यह जिम्मेदारी प्रत्येक माता पिता, बुजुर्ग, शिक्षक व अन्य सभी प्रमुख व्यक्तियों की है कि, वे भ्रष्टाचार मुक्त समाज व राष्ट्र का निर्माण करने में सहायक बने और दूसरों को भ्रष्टाचार करने से रोकें व उन्हें शिक्षित करें।
साथियों बात अगर हम केंद्र सरकार को मिलने वाली भ्रष्टाचार की शिकायतों की प्रक्रिया की करें तो, शिकायतें केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) के जरिये मिलती है, जो एक ऑनलाइन पोर्टल है, जो नागरिकों को सरकारी विभागों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की सुविधा देता है। अगस्त-2022 के लिए जारी सीपीजीआरएएमएस रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल अब तक अकेले भ्रष्टाचार की श्रेणी के तहत 46 हजार 627 जन शिकायतें प्राप्त हुई हैं।गौरतलब है कि सीपीजीआरएएमएएस पर जन शिकायतों के समाधान की समयसीमा 45 दिन से घटाकर 30 दिन कर दी जा चुकीहै।पिछले पांच वर्षों में सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर औसतन 19 लाख शिकायतें मिली हैं।
साथियों बात अगर हम हाल ही में जारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की भ्रष्टाचारियों पर जारी रिपोर्ट 2022 की करें तो, रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि एक जनवरी से 25 अगस्त 2022 के बीच कुल 7 लाख 50 हजार 822 जन शिकायतें मिलीं, जिनमें पिछले साल की लंबित 68 हजार 528 जन शिकायतें शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक जनवरी से 25 अगस्त 2022 के बीच प्राप्त 7 लाख 50 हजार 822 जन शिकायतों में से 7 लाख 27 हजार 673 का निपटारा किया जा चुका है, जबकि 91 हजार 677 लंबित हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कुल लंबित जन शिकायतोंमें से 2 हजार 157 का एक साल से अधिक समय से निपटारा नहीं किया जा सका है, इसमें कहा गया है कि 10 हजार 662 जन शिकायतें छह महीने से अधिक समय से, 47 हजार 461 जन शिकायत 30 दिन से अधिक समय से और 44 हजार 216 जन शिकायतें 30 दिन से कम से समय से लंबित हैं।
साथियों हाल ही में नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई के जो आंकड़े जारी हुए हैं, वह चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में भ्रष्ट सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के पकड़े जाने के मामले 65 प्रतिशत तक बढ़ गए। अनेक सरकारी अधिकारी और कर्मचारी तो रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है- पूरे साल में बहुत कम भ्रष्टाचारी सलाखों के पीछे पहुंचे।
साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2021 और ट्रांसफिरेंसी इंटरनेशनल भ्रष्टाचार इंडेक्स 2021की करें तो, भ्रष्टाचार के मामले में भारत का मौजूदा हाल भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2021में भारत पिछले साल की तरह 85 वें स्थान पर काबिज है। 2013 के बाद से इस सूचकांक में भारत की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। इससे पहले के दो सालों 2014 और 2015 में भारत का स्कोर 38 था। 2016 में यह स्कोर बढ़कर 40 हुआ और 2017 में भी यही रैंक बना रहा। साल 2018 में भारत 1 नंबर की बढोत्तरी के साथ सूचकांक में सबसे बेहतर 41 के स्कोर पर जा पहुंचा था। 2019 में भी भारत का स्कोर इतना ही बना रहा। साल 2020 में भारत एक अंक से पीछे पहुंच गया और दोबारा 40 के स्कोर पर जा पहुंचा। 2021 में भी भारत के स्कोर में कोई सुधार नहीं हुआ और अब भी यह 40 ही बना हुआ है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स 2021 ने ताजा रिपोर्ट जारी की है, इस 180 देशों के भ्रष्टाचार धारण इस सूचकांक में भारत 2020 की तरह 2021 में भी 85 वें स्थान पर बना हुआ है। भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2021 में भारत का नंबर 40 है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भ्रष्टाचारी कमीशन – 40 प्रतिशत बनाम 85 प्रतिशत।चुनावी मौसम आया भ्रष्टाचार के आरोप प्रत्यारोप का दौर छाया।भ्रष्टाचारी कमाई का बीज शरीर में फलकर ब्याज सहित वसूली करके ही जीव को छोड़ता है।

About author 

Priyanka saurabh

प्रियंका सौरभ

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार
facebook – https://www.facebook.com/PriyankaSaurabh20/
twitter- https://twitter.com/pari_saurabh


Related Posts

kavi hona saubhagya by sudhir srivastav

July 3, 2021

कवि होना सौभाग्य कवि होना सौभाग्य की बात है क्योंकि ये ईश्वरीय कृपा और माँ शारदा की अनुकम्पा के फलस्वरूप

patra-mere jeevan sath by sudhir srivastav

July 3, 2021

पत्र ●●● मेरे जीवन साथी हृदय की गहराईयों में तुम्हारे अहसास की खुशबू समेटे आखिरकार अपनी बात कहने का प्रयास

fitkari ek gun anek by gaytri shukla

July 3, 2021

शीर्षक – फिटकरी एक गुण अनेक फिटकरी नमक के डल्ले के समान दिखने वाला रंगहीन, गंधहीन पदार्थ है । प्रायः

Mahila sashaktikaran by priya gaud

June 27, 2021

 महिला सशक्तिकरण महिलाओं के सशक्त होने की किसी एक परिभाषा को निश्चित मान लेना सही नही होगा और ये बात

antarjateey vivah aur honor killing ki samasya

June 27, 2021

 अंतरजातीय विवाह और ऑनर किलिंग की समस्या :  इस आधुनिक और भागती दौड़ती जिंदगी में भी जहाँ किसी के पास

Paryavaran me zahar ,praniyon per kahar

June 27, 2021

 आलेख : पर्यावरण में जहर , प्राणियों पर कहर  बरसात का मौसम है़ । प्रायः प्रतिदिन मूसलाधार वर्षा होती है़

Leave a Comment