Follow us:
Register
🖋️ Lekh ✒️ Poem 📖 Stories 📘 Laghukatha 💬 Quotes 🗒️ Book Review ✈️ Travel

Laxmi Dixit, lekh

भोग का अन्न वर्सस बुफे का अन्न

 भोग का अन्न वर्सस बुफे का अन्न कुछ दिनों पूर्व एक विवाह पार्टी में जाने का अवसर मिला। यूं तो …


 भोग का अन्न वर्सस बुफे का अन्न

भोग का अन्न वर्सस बुफे का अन्न
कुछ दिनों पूर्व एक विवाह पार्टी में जाने का अवसर मिला। यूं तो मैं शादियों में नहीं जाती परंतु शादी एक खास परिचित की थी और जाना जरूरी था। मैं थोड़ा लेट पहुंची थी और बुफे ऑलरेडी शुरू हो चुका था। वहां एक परिचित महिला मिल गई जिससे मेरा परिचय ब्रह्माकुमारीज सेंटर पर हुआ था। वो वहां की एक रेगुलर स्टूडेंट है। वह स्वयं के लिए खाना प्लेट में परोस रही थी। यूं अचानक मिलना हुआ तो अभिवादन और हाल-चाल पूछने की औपचारिकताओं के  बाद उसने मुझसे  कहा कि आप भी खा लीजिए तो मैं भी अपने लिए खाना परोसने लगी। फिर हम लोग वहां पास में ही लगी कुर्सियों पर साथ बैठ गए खाना खाने के लिए। 
मेरी एक आदत है कि मैं प्लेट में उतना ही भोजन लेती हूं जितना कि मैं खा सकूं और मैं खाना प्लेट में कभी जूठा नहीं छोड़ती कि उसे फेंकना पड़े क्योंकि मुझे अन्न की बर्बादी बिल्कुल भी पसंद नहीं है। परंतु शादी पार्टियों में तो यह आम बात है। मेरे साथ वाली महिला जो की बीके की स्टूडेंट है जब ब्रह्माकुमारीज में सेंटर पर आती थी तो वहां जब बाबा के भोग का प्रसाद ग्रहण करती थी तो प्लेट को चाट-चाट कर खाती थी। एक बार मैंने उससे पूछा भी की ऐसा क्यों तो उसने कहा कि बाबा का भोग है; एक दाना भी फेंकना नही चाहिए ना। परंतु मैंने देखा कि यहां पार्टी में उसी महिला ने पहले तो भूख से ज्यादा भोजन प्लेट में ले लिया और फिर आधे से ज्यादा खाना यूं ही प्लेट में जूठा छोड़ दिया। मैंने उससे कहा कि आपने तो बहुत थोड़ा ही खाया तो उसने कहा कि भूख ही नहीं लगी। तब आदत अनुसार मैंने उसे टोका की फिर आपको उतना ही भोजन लेना चाहिए था जितनी आपकी भूख थी। देखिए ना अब कितना भोजन वेस्ट जाएगा तो उसने तन्ना कार कहा, तो क्या हुआ यह तो सभी करते हैं। देखिए ना कितना भोजन फेंका जा रहा है। 
तब मैंने उससे कहा की अगर हम आप जैसे लोग किसी एक व्यक्ति को भी जागरूक करेंगे तो फिर देर से ही सही लेकिन यह जागरूकता आएगी और लोग यूं भोजन जूठा फेंकना छोड़ देंगे और लोगों का अन्न के प्रति आदर बढ़ेगा। शुरुआत तो एक से ही होती है ना और हमें यह शुरूआत स्वयं से करनी चाहिए। वह कहते हैं ना कि हम भले तो जग भला। किसी को दोष देने से पहले हम अपने स्तर पर क्या कार्य कर रहे हैं समाज में किसी सुधार को लाने के लिए वह मायने रखता है। अपनी गलतियों को छुपाने के लिए दूसरे की गलतियों को गिनाना यह कोई अच्छी बात नहीं। भारत जैसे देश में जहां हर साल 7 हजार से 19 हजार लोग भूख से मर जा रहे हैं। यानी पांच से 13 मिनट में एक आदमी बिना खाने के मर जाता है। अन्य की बर्बादी करना महापाप है। यहां आपको बता दूं कि वर्ल्ड हंगर इंडेक्स 2023 की रिपोर्ट के अनुसार भारत पिछले साल की तुलना में 107 से चार अंक लुढ़क कर 111वें स्थान पर पहुंच गया है। वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया है, “2023 ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 28.7 अंक के साथ भारत में भूखे रहने वालों का स्तर गंभीर है।”
मैंने उससे कहा की भोग के अन्न में और बुफे के अन्न में क्या अंतर है। अन्न तो अन्न है जिसे खेतों में उगाने में किसान कितनी मेहनत  करते हैं। और खेतों से हमारी प्लेट तक आने में न जाने कितने लोगों का श्रम लगता है। हमें इस अन्न का आभार मानना चाहिए जो न जाने कितने हाथों से होता हुआ हमारे पास आया है। और साथ ही उन अज्ञात लोगों का आभार मानना चाहिए जिनके श्रम से यह हमारे पास आया है। यह प्रकृति की देन है जिसे हमें बर्बाद नहीं करना चाहिए।  ईश्वर सिर्फ यह नहीं देखता कि हमने उसके भोग के अन्न को भली प्रकार ग्रहण किया या नहीं। कहीं जूठ तो नहीं छोड़ दिया। ईश्वर तो  हमारे संस्कारों को देखता है। हमारी सोच को पढ़ लेता है। और हमारे व्यवहार का आंकलन करता है जो उसके दरबार में भिन्न और किसी अन्न जगह भिन्न हो जाता है। क्या संस्था बदल जाने से अन्न अपनी गरिमा खो देता है। क्या अन्न का अनादर करने वाले लोगों से ईश्वर प्रसन्न हो सकता है। कदापि नहीं। क्योंकि अन्न कहीं भी पड़ोसा गया हो वह अन्नपूर्णा (प्रकृति) के दिए हुए प्रसाद के समान है जिसका समान आदर करना चाहिए।

About author 

Laxmi Dixit
लक्ष्मी दीक्षित
(लेखिका, आध्यात्मिक गाइड)

Related Posts

करवाचौथ: वैज्ञानिक विश्लेषण

October 31, 2023

करवाचौथ: वैज्ञानिक विश्लेषण कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ कहते हैं। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने

करवा चौथ में चाँद को छलनी से क्यों देखते हैं?

October 31, 2023

करवा चौथ में चाँद को छलनी से क्यों देखते हैं? हिन्दू धर्म में अनेक त्यौहार हैं, जिन्हें भक्त, पूरे श्रद्धाभाव

परिवार एक वाहन अनेक से बढ़ते प्रदूषण को रेखांकित करना जरूरी

October 31, 2023

परिवार एक वाहन अनेक से बढ़ते प्रदूषण को रेखांकित करना जरूरी प्रदूषण की समस्या से निपटने सार्वजनिक परिवहन सेवा को

सुहागनों का सबसे खास पर्व करवा चौथ

October 30, 2023

सुहागनों का सबसे खास पर्व करवा चौथ 1 नवंबर 2023 पर विशेष त्याग की मूरत नारी छाई – सुखी वैवाहिक

वाह रे प्याज ! अब आंसुओं के सरताज

October 28, 2023

वाह रे प्याज ! अब आंसुओं के सरताज किचन के बॉस प्याज ने दिखाया दम ! महंगाई का फोड़ा बम

दिवाली की सफाई और शापिंग में रखें स्वास्थ्य और बजट का ध्यान

October 28, 2023

दिवाली की सफाई और शापिंग में रखें स्वास्थ्य और बजट का ध्यान नवरात्र पूरी हुई और दशहरा भी चला गया,

PreviousNext

Leave a Comment